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रोजगार समाचार
सूचना, संचार एवं मनोरंजन के युग में खरीददारी (शॉपिंग) नई पीढ़ी का एक शौक बन गई है। खरीददारी की पूरी संकल्पना, उपभोक्ता क्रय व्यवहार के संबंध में समय के साथ बदल गई है। तीव्र गति से हो रहे शहरीकरण, रिटेल स्टोर्स, शॉपिंग मॉल्स और बड़े-बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के खुल जाने से रिटेलिंग विश्व-अर्थव्यवस्था में एक सबसे बड़े क्षेत्र के रूप में विकसित हुई है ।
विश्व के एक तीव्र गति से परिवर्तनशील तथा विकासशील उद्योग-रिटेल उद्योग ने कई देशों के आर्थिक विकास में योगदान दिया है। ‘रिटेल’ शब्द फ्रैंच शब्द रिटेलर से व्युत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है ‘‘किसी चीज का टुकड़ों में काटना, थोक सामान को विभाजित करना’’। रिटेलिंग व्यवसाय उद्योग का एक महत्वपूर्ण अंश है, जिसमें उत्पादों तथा सेवाओं को उपभोक्ताओं के अपने व्यक्तिगत या पारिवारिक उपभोग के लिए बेचना शामिल है। रिटेलिंग को, उपभोक्ताओं द्वारा मांगे गए सामान को वहन करने योग्य तथा प्रतिस्पर्धी मूल्य पर समय पर डिलीवरी के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। यह एक समानांतर तथा व्यक्ति-उन्मुखी उद्योग है। भारत में रिटेल उद्योग 1980 के दशक में उभरा और कुछ ही समय में भारतीय रिटेल क्षेत्र को विश्व में पांचवें अत्यधिक आकर्षक एवं उभर रहे रिटेल उद्योग के रूप में सम्मान दिया गया है। भारतीय रिटेल उद्योग, जिसका देश के सकल घरेलू उत्पाद में 10 प्रतिशत से अधिक और रोजगार में लगभग 8 प्रतिशत योगदान माना जाता है। अगले पांच वर्षों में 30 प्रतिशत की मिश्रित दर पर विकसित होने की आशा है। रिटेलिंग प्रक्रिया में ग्राहकों के साथ सीधा सम्पर्क और व्यवसाय कार्यकलापों का, उत्पादों के डिजाइन चरण से लेकर उसकी डिलीवरी तथा उसके पश्चात सेवाओं का समन्वय निहित है। रिटेल व्यवसाय को सामान्यतः उनके आकार, रूप, उत्पाद लाइन, दी जाने वाली सेवा की मात्रा तथा लिए जाने वाले मूल्य आदि के आधार पर कई प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है। उनमें से कुछ विशेष रूप से भंडार, सुपरमार्केट/मॉल्स, फैक्टरी आउटलेट, प्रैंचाइसेस, चेन स्टोर, लाइफस्टाइल तथा व्यक्तिगत उत्पाद, फर्निशिंग घरेलू उपकरण एवं ग्रोसरीज-स्टोर आदि हैं ।
अर्थव्यवस्था की बड़ी प्रगति के साथ ही रिटेल प्रबंधन भारत में एक तीव्र गति से विकासशील करियर के रूप में उभरा है। पिछले कुछ वर्षों में रिटेल क्षेत्र का व्यापक विस्तार होने के कारण इस क्षेत्र में कुशल व्यवसायियों की बड़ी मांग हो गई है। यह ऐसा उद्योग है जिसमें सभी स्तरों पर अर्थात बुनियादी कुशलता रखने वाले स्कूल से उत्तीर्ण होकर निकलने वाले छात्रों से लेकर सुयोग्य सप्लाई चेन एवं रिटेल प्रबंधन व्यवसायियों की आवश्यकता होती है। चूंकि, रिटेल उद्योग में मार्केटिंग से लेकर ब्रांडिंग तक की गतिविधियां होती हैं, इसलिए कोई भी व्यक्ति अपनी रुचि एवं अभिवृत्ति के आधार पर कोई रोजगार प्राप्त कर सकता है। यह रिटेल व्यवसाय को युग का एक अत्यधिक मांगकारी करियर बनाता है ।
कार्य-समय तथा कार्य-माहौल सब कुछ उस कंपनी पर निर्भर होता है जिसके लिए आप कार्य करते हैं। कोई भी व्यक्ति यहां अपना करियर एक प्रबंधन प्रशिक्षणार्थी के रूप में प्रारंभ कर सकता है और कठोर परिश्रम एवं सही सोच के साथ वह विभिन्न विभागों के प्रबंधक पदों तक पहुंच सकता है। रिटेल दूकानों के अलावा विज्ञापन एजेंसियों, एयर-लाइन्स, बीमा कंपनियों, बैंकों आदि क्षेत्रों में भी रोज़गार ढूंढ सकते हैं। कोई भी व्यक्ति अपना निजी व्यवसाय भी चला सकता है और नवोद्यमी भी बन सकता है ।
• विभाग प्रबंधक/फ्लोर प्रबंधक/वर्ग प्रबंधक: ये कुछ ऐसे पद हैं, जिन पर कोई व्यक्ति स्टोर में कार्य कर सकता है ।
• स्टोर प्रबंधक: स्टोर प्रबंधक जिन्हें कभी-कभी महाप्रबंधक या स्टोर निदेशक भी कहा जाता है, किसी व्यक्तिगत स्टोर तथा वहां के दैनिक कार्यों के प्रबंधक के लिए जिम्मेदार होता है। स्टोर प्रबंधक स्टोर के कर्मचारियों का प्रभारी होता है और जिला या क्षेत्रीय प्रबंधक या कंपनी के स्वामी को रिपोर्ट करता हैं ।
• रिटेल कार्य प्रबंधक: रिटेल प्रबंधक का दायित्व किसी आउटलेट के कार्यों की योजना बनाना एवं समन्वय स्थापित करने का होता है। इसमें मर्चेंडाइज की रूपरेखा, रिटेल ऑर्डर तथा स्टॉक की निगरानी, सप्लाई का विश्लेषण आदि कार्य शामिल होते हैं। मास्टर डिग्री धारी व्यक्ति रिटेल प्रबंधक के रूप में अपना करियर प्रांरभ कर सकते हैं ।
• रिटेल क्रेता एवं मर्चेंडाइजर्स: ये वे व्यक्ति होते हैं जो रिटेल शॉप के लिए सामग्री चुनते और खरीदते हैं। उन्हें ग्राहकों की आवश्यकताओं की समझ होनी चाहिए। बाजार में रुख की जानकारी होनी चाहिए और उन्हें अत्यधिक उत्साही एवं ऊर्जाशील होना चाहिए।
• विजुअल मर्चेंडाइजर: ये व्यक्ति किसी ब्राण्ड को एक आकृति देते हैं, इसलिए वे किसी उद्योग में अत्यधिक महत्वपूर्ण पद धारित करते हैं। संकल्पना एवं डिजाइन का एक अंग होने के कारण कोई व्यक्ति तकनीकी डिजाइनर, उत्पाद विकासकर्ता तथा स्टोर नियोजक भी बन सकता है ।
• प्रबंधक-बैक-एंड ऑपरेशन
• लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउस प्रबंधक
• रिटेल कम्यूनिकेशन प्रबंधक
• मैनेजर प्राइवेट लेनलब्राण्ड्स
• रिटेल मार्केटिंग कार्यपालक: प्रशिक्षित एवं प्रतिभावान रिटेल प्रबंधन व्यवसायियों की न केवल भारत में बल्कि, विदेशों में भी हमेशा भारी मांग होती है। बडे ब्राण्डों ने शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रिटेल चेन खोली हैं। जो रोजगार के अवसर देती है। अच्छा संचार कौशल तथा व्यक्तियों को विश्वास में लेने की प्रवृत्ति रखने वाले व्यवसायी को किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में स्टोर मैनेजर, कस्टमर केयर कार्यपालक मर्चेंडाइज़ ऑफिसर, जनसम्पर्क कार्यपालक और अन्य पदों पर भर्ती किया जा सकता है ।
रिटेल प्रबंधन को करियर के रूप में चुनने वालों के लिए इस क्षेत्र में डिग्री या डिप्लोमा करने के लिए कई विकल्प हैं। विभिन्न संस्थान रिटेल प्रबंधन में पाठ्यक्रम चलाते हैं, जैसे रिटेल प्रबंधन में एम.बी.ए., रिटेल प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा आदि। हाईस्कूल, स्नातक या समकक्ष, 10+2 या डिग्रीधारी उम्मीदवार रिटेल प्रबंधन में क्रमशः प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या स्नातक पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं। रिटेलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आर.ए.आई) भारत में रिटेलर्स का पहला स्वंतत्र निकाय है।
रिटेल प्रबंधन में कोई पाठ्यक्रम रिटेलिंग की संकल्पना सीखने में सहायता करता है, जो भावी कार्यों तथा व्यावहारिक अनुभव के लिए सहायक होगा। विपणन नीति, लेखाकरण, व्यवसाय गणित, एथिक्स तथा विधि, ग्राहक संबंध, विजुअल मर्चेंडाइजिंग, मर्चेंडाइजिंग रिटेल संचार, मॉल प्रबंधक और रिटेल क्रय एवं परिचालन आदि जैसे कुछ विषय रिटेल प्रबंधन पाठ्यक्रम से जुड़े हैं। ये पाठ्यक्रम मर्चेंडाइजिंग, वित्त प्रबंधन, इलेक्ट्रॉनिक रिटेल, सप्लाई चेन प्रबंधन आदि पर सूचना भी देंगे ।
• फैशन मर्चेंडाइजिंग एवं रिटेल प्रबंधन में बी.एससी (बी.एससी.-एफ.एम.आर.एम.)
• फैशन मर्चेंडाइजिंग एवं रिटेल प्रबंधन में एम.एससी. (एम.एससी.-एफ.एम.आर.एम.)
• एम.बी.ए. रिटेल प्रबंधक
• फैशन रिटेल प्रबंधन स्नातक
• रिटेल प्रबंधन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (पी.जी.सी.आर.एम.)
• विपणन एवं रिटेल प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पी.जी.डी.एम.आर.एम.)
• रिटेल प्रबंधक में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पी.जी.डी.आर.एम.)
• फैशन रिटेल प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम
प्रतिभावान कार्य-समर्पित व्यक्ति, जो विभिन्न प्रकार की कुशलता रखते हैं, रिटेल व्यवसाय प्रभावी रूप से चलाने के लिए इनकी आवश्यकता होती है। रिटेल व्यवसाय में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने की तुलना में व्यावसायिक कौशल प्राप्त करना अधिक महत्वपूर्ण है। विश्लेषिक मस्तिष्क तथा अच्छे नेतृत्व-गुण एवं सकारात्मक सोच अत्यधिक अनिवार्य क्षमता के लिए आवश्यक है। उन्हें अच्छा संचार तथा समस्या-समाधान कौशल, व्यक्तियों को बात मनवाने की दक्षता तथा विभिन्न स्तरों पर व्यक्तियों से जुड़ने की क्षमता वाला होना चाहिए। उनमें आत्म-विश्वास होना चाहिए और रिटेल बाजार में आए परिवर्तन से परिचित तथा विज्ञापन एवं मर्चेन्डाइजिंग तकनीकों का जानकार होना चाहिए। इस करियर में उत्साह तथा रचनात्मकता हमेशा महत्वपूर्ण रहेंगी। इन गुणों के अतिरिक्त, व्यक्ति को व्यवहार कुशल, धैर्यवान तथा विक्रय-कार्य में रुचि रखने वाला, साफ छवि तथा स्पष्ट अभिव्यक्ति कौशल धारी होना चाहिए ।
भारत तथा विदेशों में कई संस्थान कुछ ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाते हैं जो केवल रिटेल प्रबंधन के लिए बने हैं। आजकल अधिकांश व्यवसाय विद्यालय तथा राजकीय संस्थान रिटेल प्रबंधन को विशेषज्ञता के एक विषय के रूप में चला रहे हैं। इग्नू (आई.जी.एम.ओ.यू.) रिटेलस एसोसिएशन आॅफ इंडिया (आर.ए.आई.) के सहयोग में रिटेलिंग में प्रमाणपत्र/ डिप्लोमा कार्यक्रम चलाता है। अनेक संस्थान पाठ्यक्रम के समय वृत्तिकाग्राही औद्योगिक प्रशिक्षण चलाते हैं ।
• सेंटर फॉर रिटेल, फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफ.डी.डी.आई.), भारत सरकार
रिटेल उद्योग में वेतन कंपनी, कार्य-प्रकृति तथा उस क्षेत्र पर निर्भर करता है जहां आप कार्य करते हैं। रिटेल उद्योग में किसी विक्रय कर्मचारी का औसत प्रारंभिक वेतन रु.5500 प्रतिमाह होता है। विभिन्न पदों के आधार पर वेतन रु. 6000/- से रु. 22000/- प्रतिमाह होता है। इस करियर में विशेष पैकेज, बोनस प्रोत्साहन राशि आदि भी दी जाती है।
भारत से बाहर भी वेतन दूकानों, उत्पादों एवं स्थानों आदि जैसे तथ्यों के आधार पर भिन्न-भिन्न होता है।
लेखक सेंटर फॉर रिटेल, फुटवियर डिज़ाइन एवं डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रलय, भारत सरकार, फुरसतगंज, सी.एस.एम. नगर (पूर्व रायबरेली) में अध्यक्ष है। ई.मेल: satya@fddiindia.com
विश्व के एक तीव्र गति से परिवर्तनशील तथा विकासशील उद्योग-रिटेल उद्योग ने कई देशों के आर्थिक विकास में योगदान दिया है। ‘रिटेल’ शब्द फ्रैंच शब्द रिटेलर से व्युत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है ‘‘किसी चीज का टुकड़ों में काटना, थोक सामान को विभाजित करना’’। रिटेलिंग व्यवसाय उद्योग का एक महत्वपूर्ण अंश है, जिसमें उत्पादों तथा सेवाओं को उपभोक्ताओं के अपने व्यक्तिगत या पारिवारिक उपभोग के लिए बेचना शामिल है। रिटेलिंग को, उपभोक्ताओं द्वारा मांगे गए सामान को वहन करने योग्य तथा प्रतिस्पर्धी मूल्य पर समय पर डिलीवरी के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। यह एक समानांतर तथा व्यक्ति-उन्मुखी उद्योग है। भारत में रिटेल उद्योग 1980 के दशक में उभरा और कुछ ही समय में भारतीय रिटेल क्षेत्र को विश्व में पांचवें अत्यधिक आकर्षक एवं उभर रहे रिटेल उद्योग के रूप में सम्मान दिया गया है। भारतीय रिटेल उद्योग, जिसका देश के सकल घरेलू उत्पाद में 10 प्रतिशत से अधिक और रोजगार में लगभग 8 प्रतिशत योगदान माना जाता है। अगले पांच वर्षों में 30 प्रतिशत की मिश्रित दर पर विकसित होने की आशा है। रिटेलिंग प्रक्रिया में ग्राहकों के साथ सीधा सम्पर्क और व्यवसाय कार्यकलापों का, उत्पादों के डिजाइन चरण से लेकर उसकी डिलीवरी तथा उसके पश्चात सेवाओं का समन्वय निहित है। रिटेल व्यवसाय को सामान्यतः उनके आकार, रूप, उत्पाद लाइन, दी जाने वाली सेवा की मात्रा तथा लिए जाने वाले मूल्य आदि के आधार पर कई प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है। उनमें से कुछ विशेष रूप से भंडार, सुपरमार्केट/मॉल्स, फैक्टरी आउटलेट, प्रैंचाइसेस, चेन स्टोर, लाइफस्टाइल तथा व्यक्तिगत उत्पाद, फर्निशिंग घरेलू उपकरण एवं ग्रोसरीज-स्टोर आदि हैं ।
अर्थव्यवस्था की बड़ी प्रगति के साथ ही रिटेल प्रबंधन भारत में एक तीव्र गति से विकासशील करियर के रूप में उभरा है। पिछले कुछ वर्षों में रिटेल क्षेत्र का व्यापक विस्तार होने के कारण इस क्षेत्र में कुशल व्यवसायियों की बड़ी मांग हो गई है। यह ऐसा उद्योग है जिसमें सभी स्तरों पर अर्थात बुनियादी कुशलता रखने वाले स्कूल से उत्तीर्ण होकर निकलने वाले छात्रों से लेकर सुयोग्य सप्लाई चेन एवं रिटेल प्रबंधन व्यवसायियों की आवश्यकता होती है। चूंकि, रिटेल उद्योग में मार्केटिंग से लेकर ब्रांडिंग तक की गतिविधियां होती हैं, इसलिए कोई भी व्यक्ति अपनी रुचि एवं अभिवृत्ति के आधार पर कोई रोजगार प्राप्त कर सकता है। यह रिटेल व्यवसाय को युग का एक अत्यधिक मांगकारी करियर बनाता है ।
कार्य-समय तथा कार्य-माहौल सब कुछ उस कंपनी पर निर्भर होता है जिसके लिए आप कार्य करते हैं। कोई भी व्यक्ति यहां अपना करियर एक प्रबंधन प्रशिक्षणार्थी के रूप में प्रारंभ कर सकता है और कठोर परिश्रम एवं सही सोच के साथ वह विभिन्न विभागों के प्रबंधक पदों तक पहुंच सकता है। रिटेल दूकानों के अलावा विज्ञापन एजेंसियों, एयर-लाइन्स, बीमा कंपनियों, बैंकों आदि क्षेत्रों में भी रोज़गार ढूंढ सकते हैं। कोई भी व्यक्ति अपना निजी व्यवसाय भी चला सकता है और नवोद्यमी भी बन सकता है ।
रिटेल क्षेत्र में रोजगार के अवसर
• कस्टमर सेल्स एसोसिएट: रिटेल व्यवसाय का यह एक एंट्री-लेवल पद हैं. किंतु प्रत्येक रिटेल शॉप पूरी तरह विक्रय पर निर्भर होती है, इसलिए इस व्यवसाय में यह पद एक महत्वपूर्ण पद होता है। एक अच्छा सेल्समैन बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को उत्पादों, दूकान एवं ग्राहकों आदि का अच्छा ज्ञान होना चाहिए ।• विभाग प्रबंधक/फ्लोर प्रबंधक/वर्ग प्रबंधक: ये कुछ ऐसे पद हैं, जिन पर कोई व्यक्ति स्टोर में कार्य कर सकता है ।
• स्टोर प्रबंधक: स्टोर प्रबंधक जिन्हें कभी-कभी महाप्रबंधक या स्टोर निदेशक भी कहा जाता है, किसी व्यक्तिगत स्टोर तथा वहां के दैनिक कार्यों के प्रबंधक के लिए जिम्मेदार होता है। स्टोर प्रबंधक स्टोर के कर्मचारियों का प्रभारी होता है और जिला या क्षेत्रीय प्रबंधक या कंपनी के स्वामी को रिपोर्ट करता हैं ।
• रिटेल कार्य प्रबंधक: रिटेल प्रबंधक का दायित्व किसी आउटलेट के कार्यों की योजना बनाना एवं समन्वय स्थापित करने का होता है। इसमें मर्चेंडाइज की रूपरेखा, रिटेल ऑर्डर तथा स्टॉक की निगरानी, सप्लाई का विश्लेषण आदि कार्य शामिल होते हैं। मास्टर डिग्री धारी व्यक्ति रिटेल प्रबंधक के रूप में अपना करियर प्रांरभ कर सकते हैं ।
• रिटेल क्रेता एवं मर्चेंडाइजर्स: ये वे व्यक्ति होते हैं जो रिटेल शॉप के लिए सामग्री चुनते और खरीदते हैं। उन्हें ग्राहकों की आवश्यकताओं की समझ होनी चाहिए। बाजार में रुख की जानकारी होनी चाहिए और उन्हें अत्यधिक उत्साही एवं ऊर्जाशील होना चाहिए।
• विजुअल मर्चेंडाइजर: ये व्यक्ति किसी ब्राण्ड को एक आकृति देते हैं, इसलिए वे किसी उद्योग में अत्यधिक महत्वपूर्ण पद धारित करते हैं। संकल्पना एवं डिजाइन का एक अंग होने के कारण कोई व्यक्ति तकनीकी डिजाइनर, उत्पाद विकासकर्ता तथा स्टोर नियोजक भी बन सकता है ।
• प्रबंधक-बैक-एंड ऑपरेशन
• लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउस प्रबंधक
• रिटेल कम्यूनिकेशन प्रबंधक
• मैनेजर प्राइवेट लेनलब्राण्ड्स
• रिटेल मार्केटिंग कार्यपालक: प्रशिक्षित एवं प्रतिभावान रिटेल प्रबंधन व्यवसायियों की न केवल भारत में बल्कि, विदेशों में भी हमेशा भारी मांग होती है। बडे ब्राण्डों ने शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रिटेल चेन खोली हैं। जो रोजगार के अवसर देती है। अच्छा संचार कौशल तथा व्यक्तियों को विश्वास में लेने की प्रवृत्ति रखने वाले व्यवसायी को किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में स्टोर मैनेजर, कस्टमर केयर कार्यपालक मर्चेंडाइज़ ऑफिसर, जनसम्पर्क कार्यपालक और अन्य पदों पर भर्ती किया जा सकता है ।
रिटेल प्रबंधन: पात्रता एवं पाठ्यक्रम क्षेत्र
रिटेल प्रबंधन को करियर के रूप में चुनने वालों के लिए इस क्षेत्र में डिग्री या डिप्लोमा करने के लिए कई विकल्प हैं। विभिन्न संस्थान रिटेल प्रबंधन में पाठ्यक्रम चलाते हैं, जैसे रिटेल प्रबंधन में एम.बी.ए., रिटेल प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा आदि। हाईस्कूल, स्नातक या समकक्ष, 10+2 या डिग्रीधारी उम्मीदवार रिटेल प्रबंधन में क्रमशः प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या स्नातक पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं। रिटेलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आर.ए.आई) भारत में रिटेलर्स का पहला स्वंतत्र निकाय है।
रिटेल प्रबंधन में कोई पाठ्यक्रम रिटेलिंग की संकल्पना सीखने में सहायता करता है, जो भावी कार्यों तथा व्यावहारिक अनुभव के लिए सहायक होगा। विपणन नीति, लेखाकरण, व्यवसाय गणित, एथिक्स तथा विधि, ग्राहक संबंध, विजुअल मर्चेंडाइजिंग, मर्चेंडाइजिंग रिटेल संचार, मॉल प्रबंधक और रिटेल क्रय एवं परिचालन आदि जैसे कुछ विषय रिटेल प्रबंधन पाठ्यक्रम से जुड़े हैं। ये पाठ्यक्रम मर्चेंडाइजिंग, वित्त प्रबंधन, इलेक्ट्रॉनिक रिटेल, सप्लाई चेन प्रबंधन आदि पर सूचना भी देंगे ।
रिटेल प्रबंधन में कार्यक्रम/पाठ्यक्रम चलाने वाले भारतीय संस्थान:
• फैशन मर्चेंडाइजिंग एवं रिटेल प्रबंधन में बी.एससी (बी.एससी.-एफ.एम.आर.एम.)
• फैशन मर्चेंडाइजिंग एवं रिटेल प्रबंधन में एम.एससी. (एम.एससी.-एफ.एम.आर.एम.)
• एम.बी.ए. रिटेल प्रबंधक
• फैशन रिटेल प्रबंधन स्नातक
• रिटेल प्रबंधन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (पी.जी.सी.आर.एम.)
• विपणन एवं रिटेल प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पी.जी.डी.एम.आर.एम.)
• रिटेल प्रबंधक में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पी.जी.डी.आर.एम.)
• फैशन रिटेल प्रबंधन में स्नातकोत्तर कार्यक्रम
व्यक्तिगत कौशल
प्रतिभावान कार्य-समर्पित व्यक्ति, जो विभिन्न प्रकार की कुशलता रखते हैं, रिटेल व्यवसाय प्रभावी रूप से चलाने के लिए इनकी आवश्यकता होती है। रिटेल व्यवसाय में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने की तुलना में व्यावसायिक कौशल प्राप्त करना अधिक महत्वपूर्ण है। विश्लेषिक मस्तिष्क तथा अच्छे नेतृत्व-गुण एवं सकारात्मक सोच अत्यधिक अनिवार्य क्षमता के लिए आवश्यक है। उन्हें अच्छा संचार तथा समस्या-समाधान कौशल, व्यक्तियों को बात मनवाने की दक्षता तथा विभिन्न स्तरों पर व्यक्तियों से जुड़ने की क्षमता वाला होना चाहिए। उनमें आत्म-विश्वास होना चाहिए और रिटेल बाजार में आए परिवर्तन से परिचित तथा विज्ञापन एवं मर्चेन्डाइजिंग तकनीकों का जानकार होना चाहिए। इस करियर में उत्साह तथा रचनात्मकता हमेशा महत्वपूर्ण रहेंगी। इन गुणों के अतिरिक्त, व्यक्ति को व्यवहार कुशल, धैर्यवान तथा विक्रय-कार्य में रुचि रखने वाला, साफ छवि तथा स्पष्ट अभिव्यक्ति कौशल धारी होना चाहिए ।
रिटेल प्रबंधन संस्थान
भारत तथा विदेशों में कई संस्थान कुछ ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाते हैं जो केवल रिटेल प्रबंधन के लिए बने हैं। आजकल अधिकांश व्यवसाय विद्यालय तथा राजकीय संस्थान रिटेल प्रबंधन को विशेषज्ञता के एक विषय के रूप में चला रहे हैं। इग्नू (आई.जी.एम.ओ.यू.) रिटेलस एसोसिएशन आॅफ इंडिया (आर.ए.आई.) के सहयोग में रिटेलिंग में प्रमाणपत्र/ डिप्लोमा कार्यक्रम चलाता है। अनेक संस्थान पाठ्यक्रम के समय वृत्तिकाग्राही औद्योगिक प्रशिक्षण चलाते हैं ।
इनमें शामिल हैं
• सेंटर फॉर रिटेल, फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफ.डी.डी.आई.), भारत सरकार
वेतन
रिटेल उद्योग में वेतन कंपनी, कार्य-प्रकृति तथा उस क्षेत्र पर निर्भर करता है जहां आप कार्य करते हैं। रिटेल उद्योग में किसी विक्रय कर्मचारी का औसत प्रारंभिक वेतन रु.5500 प्रतिमाह होता है। विभिन्न पदों के आधार पर वेतन रु. 6000/- से रु. 22000/- प्रतिमाह होता है। इस करियर में विशेष पैकेज, बोनस प्रोत्साहन राशि आदि भी दी जाती है।
भारत से बाहर भी वेतन दूकानों, उत्पादों एवं स्थानों आदि जैसे तथ्यों के आधार पर भिन्न-भिन्न होता है।
लेखक सेंटर फॉर रिटेल, फुटवियर डिज़ाइन एवं डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रलय, भारत सरकार, फुरसतगंज, सी.एस.एम. नगर (पूर्व रायबरेली) में अध्यक्ष है। ई.मेल: satya@fddiindia.com