जल संरक्षण विशेषज्ञ राजेन्द्र सिंह और दो अन्य लोगों ने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) से शनिवार को इस्तीफा दे दिया। तीनों लोगों ने गंगा नदी के प्रति सरकार की अनदेखी के विरोधस्वरूप प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले एनजीआरबीए से इस्तीफा दे दिया। मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह के साथ गंगा प्राधिकरण के दो अन्य सदस्यों रवि चोपड़ा और आर एच सिद्दिकी ने भी गंगा नदी की सफाई पर जोर देने के लिए पर्यावरणविद जी डी अग्रवाल के आमरण अनशन के समर्थन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा भेज दिया।
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल के साथ हुई बैठक के बाद इस्तीफा भेजा गया। इसमें अग्रवाल के विरोध के विषय में उन्हें आवगत कराया गया। अग्रवाल ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि गंगा का स्वच्छ एवं निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए जोर देने के वास्ते वह अपने आमरण अनशन के अंतिम दौर में जल ग्रहण नहीं करेंगे। चोपड़ा देहरादून स्थित पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट में निदेशक है, वहीं सिद्दिकी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।
राजेन्द्र ने कहा, ‘‘स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की गंगा नदी को स्वच्छ बनाने और सतत प्रवाह सुनिश्चित करने की मांग है। वह पिछले 47 वर्षों से वाराणसी के तट पर अनशन कर रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार उनकी मांग को नज़रअंदाज कर रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह अपने आंदोलन के दूसरे दौर में प्रवेश कर गए हैं और शुक्रवार को उन्होंने घोषणा है कि वह कल से जल ग्रहण नहीं करेंगे। उनका जीवन खतरे में है।’’
सिंह ने आरोप लगाया कि एनजीआबीए का गठन साढ़े तीन वर्ष पहले किया गया और अभी तक प्राधिकरण की केवल दो बैठक ही हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण की अखिरी बैठक डेढ़ वर्ष पहले हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘प्राधिकरण से इस्तीफा देने के मेरे निर्णय की सूचना पिछले वर्ष नवंबर में प्रधानमंत्री को दे दी गई थी।’’ सिंह ने कहा कि निर्वाध प्रवाह के स्थान पर गंगा समाप्त हो रही है और सरकर बांध बनाने को मंजूरी दे रही है।
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल के साथ हुई बैठक के बाद इस्तीफा भेजा गया। इसमें अग्रवाल के विरोध के विषय में उन्हें आवगत कराया गया। अग्रवाल ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि गंगा का स्वच्छ एवं निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए जोर देने के वास्ते वह अपने आमरण अनशन के अंतिम दौर में जल ग्रहण नहीं करेंगे। चोपड़ा देहरादून स्थित पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट में निदेशक है, वहीं सिद्दिकी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।
राजेन्द्र ने कहा, ‘‘स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की गंगा नदी को स्वच्छ बनाने और सतत प्रवाह सुनिश्चित करने की मांग है। वह पिछले 47 वर्षों से वाराणसी के तट पर अनशन कर रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार उनकी मांग को नज़रअंदाज कर रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह अपने आंदोलन के दूसरे दौर में प्रवेश कर गए हैं और शुक्रवार को उन्होंने घोषणा है कि वह कल से जल ग्रहण नहीं करेंगे। उनका जीवन खतरे में है।’’
सिंह ने आरोप लगाया कि एनजीआबीए का गठन साढ़े तीन वर्ष पहले किया गया और अभी तक प्राधिकरण की केवल दो बैठक ही हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण की अखिरी बैठक डेढ़ वर्ष पहले हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘प्राधिकरण से इस्तीफा देने के मेरे निर्णय की सूचना पिछले वर्ष नवंबर में प्रधानमंत्री को दे दी गई थी।’’ सिंह ने कहा कि निर्वाध प्रवाह के स्थान पर गंगा समाप्त हो रही है और सरकर बांध बनाने को मंजूरी दे रही है।