रावी नदी / परूषनी

रावी नदी के जल का सिचाई के लिए उपयोग सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र में किया जाता है। भारतीय पंजाब के उत्तरी छोर पर माधोपुर में प्रारम्भिक बिंदु वाली ऊपरी बारी (बा ब्यास, री-रावी) दोआब नहर 1878-1879 में बनकर तैयार हुई थी। यह रावी के पूर्व के बड़े हिस्से को सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है, जिसकी सहायक नहरें पाकिस्तान तक विस्तारित है।
पौराणिक आधार
पौराणिक आधार पर निम्न बातें हैं:-
• रावी का पौराणिक तथा वैदिक नाम परूषनी या इरावती भी है।
• 'रावी' इरावती का ही अपभ्रंश है। इसका वैदिक नाम परूष्णी था। 'इरा' का अर्थ मदिरा या स्वादिष्ट पेय है।
• महाभारत में इसकी वितस्ता और अन्य नदियों के साथ परिगणित किया गया है-
'इरावती' वितस्ता च पयोष्णीं देविकामपि'।
• महाभारत में भी इसी प्रकार उल्लेख है-
'इरावती वितस्ता च सिंधुर्देवनदी तथा।'
• ग्रीक लेखकों ने इरावती को 'हियारावटीज' लिखा है।
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