हरी सब्जियां स्वास्थ्यवर्धक होती हैं लेकिन बाजार में मिल रही सब्जियों में कीटनाशक पाया गया है लेकिन कहा जाए कि बाजार में मिलने वाली हरी-भरी सब्जियां ही प्रदूषित हैं और इन्हें खानेवाला व्यक्ति बीमार हो सकता है तो आप क्या कहेंगे। कुछ ऐसी ही खबरें मिल रही हैं कि मंडी में मिलने वाली सब्जियों में चूहे मारने वाली दवा मिली है। जब जांच की गई तो इस बात की पुष्टि भी हो गई कि इन सब्जियों में चूहा मारने वाली दवा का अंश है। अब तो दिल्ली हाई कोर्ट भी इस बात का पता करने में लगा है। दरअसल खेत में इन सब्जियों को चूहों से बचाने के लिए दवाई का छिड़काव किया जाता है। इस दवा से चूहे तो मर जाते हैं लेकिन तैयार हो जाने के बाद ये सब्जियां मंडी में बिकने के लिए आ जाती हैं। मंडी में बिक रही इन सब्जियों में उस चूहा- मार दवा का प्रभाव भरपूर रहता है। आप और हम इन्हीं सब्जियों को खरीद कर अपने घरों में लाते हैं और ताजा और स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद मानकर उनका सेवन करते हैं।
दिल्ली की एनजीओ ने पिछले वर्ष कुछ टेस्ट किए जिनसे इस बात की पुष्टि हुई कि बाजार में बिक रही सब्जियां पौष्टिक नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। एनजीओ की रिपोर्ट मानें तो जिन सब्जियों की जांच की गई उनमें कम से कम प्रतिबंधित कीटनाशक मिले। इनमें सबसे खतरनाक है क्लोरोडेन। इस दवा का इस्तेमाल चूहा मारने के लिए भी किया जाता है। जानकारों का कहना है कि इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद क्लोरोडेन नर्वस सिस्टम को खराब कर देता है। क्लोरोडेन के अलावा सब्जियों में एन्ड्रिन और हेप्टाक्लोर जैसे खतरनाक केमिकल्स भी मिले। दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट कहते हैं कि इनके इस्तेमाल से सिर दर्द, उल्टी, चक्कर आना जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इतना ही नहीं इनसे किडनी और लीवर की बीमारी होने का भी खतरा रहता है। जानकार तो यहां तक कहते हैं कि इनके लगातार इस्तेमाल से इंसान नपुंसक तक हो सकता है।
सब्जियां हर आदमी खाता है और उनमें अगर इस तरह के खतरनाक और हानिकारक कीटनाशक मौजूद तो बात गंभीर हो जाती है। जब इस मामले पर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ए के वालिया से पूछा गया तो उन्होंने साफ कह दिया कि उनके पास ऐसे उपकरण नहीं हैं जिनसे सब्जियों में ऑक्टोसिन और कैल्शियम की जांच की जा सके। स्वास्थ्य मंत्री भले ही आम आदमी के स्वास्थ्य के प्रति चिंता नहीं जता रहे हों, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जरूर इसकी रोकथाम की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दे रही हैं।
सरकार को नहीं मिले कीटनाशक
कीटनाशक मामले में दिल्ली सरकार ने अदालत में एक हलफनामा भी दाखिल किया जिसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के फूड एण्ड अडल्टरेशन विभाग ने फरवरी महीने में अलग- अलग मंडियों से सब्जियों के सैंपल की जाच करवाई। लेकिन इस जांच में विभाग को कोई भी कीटनाशक नहीं मिले।
हाई कोर्ट करवा रहा हैं जांच
आम आदमी की सुरक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की होती है और जब सरकार ही इस जिम्मेदारी को निभाने में असफल दिख रही तो कचहरी को दखल देना ही पड़ता है। यही कारण है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने एक विशेष समिति का गठन किया है जो खुद बाजारों में जाकर सैंपल जमा करेगी और उनकी जांच करवाएगी। तीन वकीलों और कुछ एनजीओ की इस समिति को 11 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। अब देखना रोचक होगा कि दिल्ली हाई कोर्ट की समिति किस नतीजे पर पहुंचती है और उसे भी सब्जियों में कीटनाशक मिलते हैं या नहीं।