दिल्ली जल बोर्ड ने सिंचाई, बागवानी, बिजली संयंत्रों व निर्माण के काम में उपचारित पानी का उपयोग बढ़ा कर पीने के पानी की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने का फैसला किया है। इसके लिए छह मुख्य केंद्रों को उपचारित पानी मुहैया कराने की पहल की गई है।
जल बोर्ड इन केंद्रों पर पहले दिए जाने वाले पीने के पानी को बचा कर उसे पीने के लिए वितरित करेगा। बोर्ड ने कहा है कि इसके लिए उसने अपने प्रदूषित जल उपचार संयंत्रों पर पानी के भंडारण की जगह बनाई है। बोर्ड ने नई दिल्ली नगर पालिका परिषद, दिल्ली नगर निगम, लोकनिर्माण विभाग, नेशनल थर्मल पावर सहित तमाम सरकारी विभागों को उपचारित जल का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है।
जिन केंद्रों पर ये फिलिंग प्वाइंट बनाए गए हैं उनमें कोंडली संयंत्र, कोरोनेशन पिलर, कैशोपुर, महरौली, ओखला संयंत्र शामिल हैं। इन केंद्रों पर उपचारित पानी को भर कर उसे पीने के अलावा होने वाले कामों के लिए दिया जाएगा। बोर्ड ने बताया है कि इस उपचारित पानी की बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड अधिकतम 20 है। कुल एसएसटी 30 है। लिहाजा इसका उपयोग सिंचाई वगैरह के कामों में किया जा सकता है।
दिल्ली जल बोर्ड उपचारित करके इसका 40 फीसद उपयोग कर रहा है। बोर्ड रोजाना 142.4 ऐमजीडी उपचारित जल का उपयोग कर रहा है। जिन केंद्रों के लिए उपचारित करके पानी दिया जा रहा है कैशोपुर संयंत्र विभाग को ओखला से लोक कल्याण विभाग व इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च के लिए दिल्ली गेट संयंत्र से प्रगति पावर कार्पोरेशन को रिठाला संयंत्र से जापानी पार्क को वसंत विहार व महरौली संयंत्र से डीडीए को दिया जा रहा है। उपचारित पानी की मांग रोजाना 142 एमजीडी है। इस तरह से पेयजल की मांग और आपूर्ति को संतुलित करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि पीने के पानी की कमी अभी भी काफी अधिक है।
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जनसत्ता, 05 जुलाई 2014