सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत

Submitted by Shivendra on Tue, 12/31/2019 - 16:57
Source
विज्ञान प्रगति, दिसंबर 2019

फोटो - The Live Nagpur

जलवायु परिवर्तन के कारण बिगड़ता पर्यावरण विश्व के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना एक बहुत बड़ी समस्या बनकर उभरी है। प्रत्येक वर्ष कई लाख टन प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है, जो कि मिट्टी में घुलती मिलती नहीं है। इसलिए विश्व भर के देश सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को समाप्त करने हेतु कठोर रणनीति बना रहे हैं। 7.5 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक की ही रीसाइक्लिंग हो पाती है, बाकी प्लास्टिक मिट्टी में मिल जाती है, जो पानी की सहायता से समुद्र में पहुंचती है और वहां के जीवो को काफी नुकसान पहुंचाती है। रोजमर्रा की जिंदगी में तमाम ऐसे प्लास्टिक के प्रोडक्ट हैं, जिसे हम एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते हैं। इसी तरह के प्लास्टिक को ‘‘सिंगल यूज प्लास्टिक’’ कहा जाता है। इसे डिस्पोजेबल प्लास्टिक के नाम से भी जाना जाता है। प्लास्टिक प्रोडक्ट की बात करें तो इसमें प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्राॅ, कप, प्लेट, फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और काॅफी के डिस्पोजेबल कप्स आदि शामिल हैं।

बेहद कम खर्चे पर बनने वाले यह प्लास्टिक उत्पाद बहुत ज्यादा खतरनाक रसायन लिए होते हैं, जिनका इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यही नहीं इस सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे की सफाई पर होने वाला खर्च भी बहुत आता है। वह इसलिए कि आप जिस पन्नी में सब्जी खरीद कर लाते हैं, वे आसानी से फट तो जाती है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होती। जब सिंगल यूज प्लास्टिक को जमीन के अंदर दबाकर नष्ट करने की कोशिश की जाती है, तो यह नष्ट होने की बजाय छोटे छोटे टुकड़ों में बट जाती है और विषैला रसायन पैदा कर भूमि की उर्वरक क्षमता को नुकसान पहुंचाती है। मिट्टी में घुल मिल चुका यह विषैला रसायन जैसे ही खाद्य पदार्थों और पानी में पहुंचता, तो उससे मानव के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता। 

आपने कई जगह पढ़ा होगा, देखा-सुना होगा कि कैंसर जैसी बीमारी फैलती जा रही है। आपको आश्चर्य तब होता होगा जब आप देखते होंगे की बहुत सफाई से रहने वाले और कई गलत आदत में न पड़ने वाले व्यक्ति कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। मन में सवाल आता होगा कि वह तंबाकू गुटखा तो खाता नहीं था फिर ऐसा क्यों हो गया ? इसका जवाब प्लास्टिक रूपी विष है जो विभिन्न माध्यमों द्वारा हमारे खाद्य उत्पादों में आता है। तत्पश्चात हमें विभिन्न प्रकार के रोगों की चपेट में ला देता है। इस जहर को खत्म करना है तो सिंगल यूज प्लास्टिक के विरोध में उठ खड़ा होना होगा। पानी की बोतलों की जगह पर कॉपर, शीशा या धातु की बोतलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस्तेमाल करना जरूरी नहीं है, लेकिन फिर भी अगर आपको जरूरत है तो आप पेपर्स के बने स्ट्राॅ का प्रयोग कर सकते हैं। प्लास्टिक के कप की जगह पेपर से बने कब का इस्तेमाल कर सकते हैं। सामान खरीदने के लिए घर से थैला लेकर जाएं। ध्यान रहे कि जूट या कागज की बनी थैली इस्तेमाल करें। प्लास्टिक की जगह आप स्टील और लकड़ी के चम्मच इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सही है कि शुरू में हमें दिक्कत होगी, लेकिन अपनी और आने वाली पीढ़ियों, जानवरों और प्रकृति से जुड़ी हर चीज की कुशलता के लिए जरूरी है कि सिंगल यूज प्लास्टिक को जड़ से खत्म किया जाए।

 

TAGS

plastic free india, ban single use plastic, single use plastic free india, plastic pollution, plastic pollution india.