5 जनवरी 2013, महोबा। उत्तरप्रदेश के महोबा जिले में बरबई गांव के किसान शिवराज सिंह ने वर्षा की बूंदों को समेटने का जतन अपना तालाब बनाकर पूरा किया। इससे उनके सदियों से सूखे खेतों को जरूरत का पानी मिला ही, साथ ही मिला निराश परिवार को फायदे की खेती का नजरिया।
किसान शिवराज सिंह व उसके छोटे भाई और मां के हिस्से में कुल 14 एकड़ जमीन में 10-15 वर्षो से इतनी भी फसल नहीं मिलती थी कि वह ठीक तरह से अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर पाते। दो-तीन कुन्तल प्रति एकड़ की पैदावार अमूमन मिल पाती जिससे लागत निकाल पाना भी मुश्किल होता। कम बारिश के सालों में इधर के कई वर्षो तक बीज भी वापस नहीं हुआ। यही वजह थी कि पिछले साल 2012 में अपनी 14 एकड़ जमीन को एक वर्ष के लिए महज 42000 रू. में ठेके पर उठाकर मिली रकम से परचून की दुकान खोल परिवार की परिवरिश का प्रयास किया पर साल पूरा होने के पहले ही दुकान की मूल पूंजी भी उदर-पोषण में चुक गयी। अब कोई दूसरा सहारा न देख मां के हिस्से की डेढ़ एकड़ जमीन का सौदा कर अप्रैल 2013 में 3 लाख 15 हजार में बेचकर बहन के विवाह से निपटने का मन बनाया।
महोबा जिले में सिंचाई जल संकट के टिकाऊ समाधान पर आधारित-पानी पुनरुत्थान की साझी पहल अपना तालाब अभियान की बैठक के दौरान शिवराज सिंह ने शादी को रोककर अपना तालाब बनाने का संकल्प लेकर जून 2013 में ‘एक लाख तिरासी हजार रुपये’ की लागत से पौन एकड़ जल भराव का साढ़े तीन मीटर गहरा तालाब बना डाला।
किसान शिवराज सिंह के मानस में अपनी खेती संवारने के नए-नए तौर-तरीकों, जरूरत के बीजों, खेत तक पानी पहुंचाने की सस्ती तरकीबों के विचारों का अंकुरण तालाब में आने वाली बूंदों के साथ-साथ होने लगा। अपने परिवार के साथ वर्षा के दिनों में भी तालाब के भीटों पर सुबह से शाम तक बने रहने की आदत सी डाल ली, तभी तो तालाब में पानी की मात्रा का अंदाजा लगाकर कम पानी वाले बीजों का चयन कर बोवाई की और इसके साथ खेत तक पानी ले जाने की लागत को कम करने के लिये अपने ट्रैक्टर में पम्प लगाकर महज साढ़े तीन लीटर प्रति एकड़ डीजल में सिंचाई कर ली। शिवराज सिंह पूरे भरोसे से कहते हैं कि ‘आने वाली फसल में दैवी आपदा की छाया नहीं पड़ी तो तालाब निर्माण की लागत फ़ायदे की उपज से निकल आएगी, जो जीवन की पहली ऐसी फसल होगी। इस फ़ायदे की फसल से मैं अपनी बहन और बेटी के हाँथ पीले कर परिवार को खुशहाल कर सकूँगा।‘
शिवराज सिंह का भाई संकटों के दौर में गाँव से पलायन कर गया था। अब लौट आया है। पानी के साथ भाई भी लौटा।इस साल शिवराजसिंह अपने तालाब की लम्बाई-चौड़ाई और गहराई बढ़ाने का मन भी बना चुके हैं, जिससे अपनी चौदह एकड़ खेती को तीन पानी देने के काबिल हो सकें।
संपर्क –
शिवराज सिंह, ग्राम – बरबइ, विकासखंड – कबरई, महोबा, उत्तरप्रदेश
फोन - 08400436748
बहन की शादी को बेची जमीन
किसान शिवराज सिंह व उसके छोटे भाई और मां के हिस्से में कुल 14 एकड़ जमीन में 10-15 वर्षो से इतनी भी फसल नहीं मिलती थी कि वह ठीक तरह से अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर पाते। दो-तीन कुन्तल प्रति एकड़ की पैदावार अमूमन मिल पाती जिससे लागत निकाल पाना भी मुश्किल होता। कम बारिश के सालों में इधर के कई वर्षो तक बीज भी वापस नहीं हुआ। यही वजह थी कि पिछले साल 2012 में अपनी 14 एकड़ जमीन को एक वर्ष के लिए महज 42000 रू. में ठेके पर उठाकर मिली रकम से परचून की दुकान खोल परिवार की परिवरिश का प्रयास किया पर साल पूरा होने के पहले ही दुकान की मूल पूंजी भी उदर-पोषण में चुक गयी। अब कोई दूसरा सहारा न देख मां के हिस्से की डेढ़ एकड़ जमीन का सौदा कर अप्रैल 2013 में 3 लाख 15 हजार में बेचकर बहन के विवाह से निपटने का मन बनाया।
बहन की शादी को रोक, बना डाला अपना तालाब
महोबा जिले में सिंचाई जल संकट के टिकाऊ समाधान पर आधारित-पानी पुनरुत्थान की साझी पहल अपना तालाब अभियान की बैठक के दौरान शिवराज सिंह ने शादी को रोककर अपना तालाब बनाने का संकल्प लेकर जून 2013 में ‘एक लाख तिरासी हजार रुपये’ की लागत से पौन एकड़ जल भराव का साढ़े तीन मीटर गहरा तालाब बना डाला।
तालाब के पानी से गढ़ती कहानी
किसान शिवराज सिंह के मानस में अपनी खेती संवारने के नए-नए तौर-तरीकों, जरूरत के बीजों, खेत तक पानी पहुंचाने की सस्ती तरकीबों के विचारों का अंकुरण तालाब में आने वाली बूंदों के साथ-साथ होने लगा। अपने परिवार के साथ वर्षा के दिनों में भी तालाब के भीटों पर सुबह से शाम तक बने रहने की आदत सी डाल ली, तभी तो तालाब में पानी की मात्रा का अंदाजा लगाकर कम पानी वाले बीजों का चयन कर बोवाई की और इसके साथ खेत तक पानी ले जाने की लागत को कम करने के लिये अपने ट्रैक्टर में पम्प लगाकर महज साढ़े तीन लीटर प्रति एकड़ डीजल में सिंचाई कर ली। शिवराज सिंह पूरे भरोसे से कहते हैं कि ‘आने वाली फसल में दैवी आपदा की छाया नहीं पड़ी तो तालाब निर्माण की लागत फ़ायदे की उपज से निकल आएगी, जो जीवन की पहली ऐसी फसल होगी। इस फ़ायदे की फसल से मैं अपनी बहन और बेटी के हाँथ पीले कर परिवार को खुशहाल कर सकूँगा।‘
शिवराज सिंह का भाई संकटों के दौर में गाँव से पलायन कर गया था। अब लौट आया है। पानी के साथ भाई भी लौटा।इस साल शिवराजसिंह अपने तालाब की लम्बाई-चौड़ाई और गहराई बढ़ाने का मन भी बना चुके हैं, जिससे अपनी चौदह एकड़ खेती को तीन पानी देने के काबिल हो सकें।
संपर्क –
शिवराज सिंह, ग्राम – बरबइ, विकासखंड – कबरई, महोबा, उत्तरप्रदेश
फोन - 08400436748