स्कूलों में होंगे हाईटेक टॉयलेट

Submitted by Hindi on Sat, 10/06/2012 - 16:03
Source
नेशनल दुनिया, 06 अक्टूबर 2012

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम स्कूलों के लिए ‘फाइव स्टार टॉयलेट’ की तैयारी


दक्षिणी दिल्ली के स्कूलों में ई-टॉयलेटदक्षिणी दिल्ली के स्कूलों में ई-टॉयलेटकेरल में खासा सफल रहा है ई-टॉयलेट बनाने का प्रयोग
• कम से कम पानी की जरूरत होगी टॉयलेट साफ करने में


दक्षिणी दिल्ली नगर निगम अपने स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए ई-टॉयलेट का कॉन्सेप्ट लाने की तैयारी में है। केरल में ई-टॉयलेट बनाने का प्रयोग काफी सफल रहा है। केरल की तर्ज पर दक्षिणी नगर निगम इस तरह के टॉयलेट अपने यहां के स्कूलों में बनवाने की सोच रहा है। अधिकारियों का दावा है कि ई-टॉयलेट पूरी तरह हाईटेक होंगे। इनमें सफाई के लिए काफी कम पानी की आवश्यकता होगी। साथ ही कोई सफाई कर्मचारी रखने की आवश्यकता भी नहीं होगी।

दरअसल ई-टॉयलेट का कॉन्सेप्ट केरल से लिया गया है। केरल पहला ऐसा राज्य है जहां सबसे पहले ई-टॉयलेट बनवाए गए हैं। वहां पर इनका प्रयोग काफी सफल रहा है। ई-टॉयलेट पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से लैस होता है। इसमें ऑटोमैटिक दरवाजे, पॉवर फ्लैशिंग की सुविधा होती है। इसके अलावा टॉयलेट का प्लेटफॉर्म भी इसमें स्वचलित तरीके से खुद ही साफ हो जाता है। किसी भी स्थिति में टॉयलेट का सिस्टम फेल ना हो इसके लिए सभी टॉयलेट एक कंट्रोल रूम से जुड़े रहते हैं। जहां पर टॉयलेट के पानी के टैंक की स्थिति व किसी भी सिस्टम के खराब होने के बारे में तत्काल जानकारी मिल जाती है।

एक टॉयलेट को बनाने में करीब 3 लाख 50 हजार रुपए की लागत आती है। ई-टॉयलेट का एरिया करीब 45 स्कवायर फीट होता है। इसे सीधे सीवर से अटैच कर दिया जाता है। इनमें सौर पैनल भी लगाया जाता है। जिससे टॉयलेट के सिस्टम को चलाने के लिए बिजली की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की शिक्षा समिति के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने बताया कि ई-टॉयलेट की सुविधा सबसे पहले केरल में शुरू की गई है। वह इस प्रस्ताव को स्टैंडिंग कमेटी में रखेंगे। यदि सहमति बनती है तो केरल जाकर वहां ई-टॉयलेट की स्थिति देखने के बाद उन्हें नगर निगम के स्कूलों में लगाया जाएगा।