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जनसत्ता, 30 जून 2014
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों में छात्राओं को स्वच्छ शौचालय की सुविधा सुलभ करवाने के लिए एक अभियान शुरू किया है, जिससे उन्हें उपयोग के लिए बेहतर शौचालय उपलब्ध हो सकें। वर्तमान में राजधानी के 1007 सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं के उपयोग के लिए 24,548 शौचालय सीटें हैं।
आज के समय में असली चुनौती शौचालयों की संख्या न होकर उनका उचित रखरखाव न होना है। शौचालयों में जल और मल की उचित निकासी व्यवस्था न होने से छात्राओं के लिए उनका कोई उपयोग नहीं रह जाता है, वहीं शौचालयों में सफाई में कमी के कारण शिक्षा का प्रसार भी प्रभावित होता है।
निदेशालय ने स्कूलों में शौचालयों की खराब हालत को दूर करने और उनमें जल और मल की उचित निकासी व्यवस्था सहित सभी आवश्यक मरम्मत कार्य करके शौचालयों को पूरी तरह उपयोग योग्य बनाने के लिए तीन कार्य दिवसों की समय सीमा निर्धारित की है।
इस कार्य के लिए शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूल प्रमुखों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के जारी होने के साथ ही स्कूल प्रमुखों ने शौचालयों के रखरखाव की समस्या को दूर करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
यह बात इस तथ्य से साबित हुई कि स्वच्छ शौचालय संबंधित आदेश जारी होने के बाद से ही शिक्षा निदेशालय को बड़ी संख्या में स्कूलों में नए शौचालयों के निर्माण और पुराने शौचालयों की मरम्मत की स्वीकृति के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। स्कूलों में शौचालयों के अपर्याप्त रखरखाव और जल और मल की उचित निकासी व्यवस्था न होने से छात्राओं को गंभीर समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। उन्हें विवशतावश शौचालय के लिए अस्वास्थ्यकर और असुरक्षित स्थानों का उपयोग करना पड़ता है।
ऐसे में, अधिकतर छात्राएं स्कूल की गंदे और अवरुद्ध शौचालयों का उपयोग करने की बजाय मूत्राशय में ही पेशाब को रोक कर रखती है। इस कारण से छात्राओं को न केवल शारीरिक समस्या से जूझना पड़ता है बल्कि कक्षा में भी पढ़ाई में उनकी एकाग्रता प्रभावित होती है।
आज के समय में असली चुनौती शौचालयों की संख्या न होकर उनका उचित रखरखाव न होना है। शौचालयों में जल और मल की उचित निकासी व्यवस्था न होने से छात्राओं के लिए उनका कोई उपयोग नहीं रह जाता है, वहीं शौचालयों में सफाई में कमी के कारण शिक्षा का प्रसार भी प्रभावित होता है।
निदेशालय ने स्कूलों में शौचालयों की खराब हालत को दूर करने और उनमें जल और मल की उचित निकासी व्यवस्था सहित सभी आवश्यक मरम्मत कार्य करके शौचालयों को पूरी तरह उपयोग योग्य बनाने के लिए तीन कार्य दिवसों की समय सीमा निर्धारित की है।
इस कार्य के लिए शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूल प्रमुखों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के जारी होने के साथ ही स्कूल प्रमुखों ने शौचालयों के रखरखाव की समस्या को दूर करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
यह बात इस तथ्य से साबित हुई कि स्वच्छ शौचालय संबंधित आदेश जारी होने के बाद से ही शिक्षा निदेशालय को बड़ी संख्या में स्कूलों में नए शौचालयों के निर्माण और पुराने शौचालयों की मरम्मत की स्वीकृति के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। स्कूलों में शौचालयों के अपर्याप्त रखरखाव और जल और मल की उचित निकासी व्यवस्था न होने से छात्राओं को गंभीर समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। उन्हें विवशतावश शौचालय के लिए अस्वास्थ्यकर और असुरक्षित स्थानों का उपयोग करना पड़ता है।
ऐसे में, अधिकतर छात्राएं स्कूल की गंदे और अवरुद्ध शौचालयों का उपयोग करने की बजाय मूत्राशय में ही पेशाब को रोक कर रखती है। इस कारण से छात्राओं को न केवल शारीरिक समस्या से जूझना पड़ता है बल्कि कक्षा में भी पढ़ाई में उनकी एकाग्रता प्रभावित होती है।