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नेशनल दुनिया, 11 अक्टूबर 2012
पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने भले ही फिर से ऐसी किसी संस्था को शौचालयों का ठेका देने का मन बनाया हो, जिससे पहले एक बार इस काम को छीना जा चुका है, लेकिन राजधानी में शौचालयों की हकीकत आप जानते ही होंगे। जिनका वास्ता इनसे नहीं पड़ता, एक झलक देखिए इन रिपोर्ट में-
यात्रियों की सहुलियत के लिए बस अड्डे की बिल्डिंग को बेहतर तो बनाया जा रहा है, लेकिन नई बिल्डिंग में अभी तक एक भी टॉयलेट को खोला नहीं गया है। दूसरी तरफ एक नया टॉयलेट बनाया गया है, लेकिन वहां पर सफाई की अच्छी व्यवस्था नहीं है। नए बिल्डिंग के बराबर में अभी एक टॉयलेट चल रहा है। जिसकी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी प्राइवेट ठेकेदार के पास है। टॉयलेट के रखरखाव का जिम्मा जेजे प्रॉपर्टीज के पास है। टॉयलेट में मुत्रालय के उपयोग पर 5 रुपए व शौचालय के लिए दस रुपए वसुले जा रहे हैं। यदि कोई यात्री स्नान करना चाहता है तो उसके लिए 20 रुपए का शुल्क रखा गया है। वहां मौजूद लोगों से बात करने पर पता चला कि फिलहाल यह टॉयलेट प्राइवेट ठेकेदार के अंदर है। जैसे ही नए टॉयलेट शुरू होंगे। इसे तोड़ दिया जाएगा। बस अड्डे के दूसरी तरफ नया बना हुआ एक टॉयलेट यात्रियों के लिए निःशुल्क है लेकिन वहां पर सफाई की अच्छी व्यवस्था नहीं है। टॉयलेट को बने हुए कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन देखरेख के अभाव में वहां पर भी गंदगी का आलम है। दूसरी तरफ बस टर्मिनल की नई बिल्डिंग में बनाए गए नए टॉयलेट अभी यात्रियों के लिए खोले नहीं गए हैं। वहां बात करने पर पता चला कि इन टॉयलेट का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। यहां पर अभी निर्माण कार्य चल रहा है। काम खत्म होने के बाद टॉयलेट को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।
यात्रियों की सहुलियत के लिए बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी संगठनों को दी गई, लेकिन इनकी हालत इतनी बुरी है कि यात्री इनका उपयोग तो क्या इनके पास से भी गुजर नहीं सकते। निजामुद्दीन और सराय काले खां बस अड्डे पर बने शौचालय बदतर स्थिति में है। शौचालय के नाम पर यात्रियों से शुल्क तो वसूल जाता है लेकिन सुविधा नहीं दी जाती। सराय काले खां बस अड्डे पर शौचालय की खस्ता हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सारे यूरिनल टूटे हैं। निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर बने शौचालयों की तो हालत और भी बुरी है। स्टेशन पर बने शौचालयों में गुटखे के निशान, शराब की खाली बोतल और बीड़ी-सिगरेट पड़ी रहती है। जिस कारण यात्री इनके अंदर घुस भी नहीं पाते।
शौचालयों के अंदर फैली गंदगी से चारों तरफ भयंकर बदबू फैली रहती है। जिस कारण यात्रियों का वहां खड़े होकर ट्रेन का इंतजार करना भी मुश्किल हो जाता है। निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर देश के हर राज्य से रोजाना हजारों यात्री आवागमन करते हैं लेकिन शौचालयों के अंदर फैली गंदगी के कारण उन्हें परेशानी होती है। एक यात्री शराफत अली ने बताया कि स्टेशन के अंदर बने शौचालयों के अंदर फैली गंदगी के कारण इनका इस्तेमाल करने में परेशानी होती है। उनका कहना है कि महिलाओं को तो और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक अन्य यात्री ब्रिजेश का कहना था कि सरकार हर साल रेलवे के रखरखाव पर हजारों रुपए खर्च करती है लेकिन उसके बावजूद शौचालयों की हालत इतनी बदतर है।
दिल्ली सरकार के रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही के कारण सुलभ से काम वापस ले लिया है। सुलभ शौचालयों में साफ-सफाई के अभाव में स्वयं भाजपा के कद्दावर नेता सुलभ को ब्लैक लिस्टेड कर चुके हैं। बावजूद इसके पूर्वी दिल्ली नगर निगम अपने सभी शौचालयों को सुलभ के हवाले करने की योजना पर विचार कर रहा है। दिल्ली के लगभग सभी रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों से सुलभ शौचालयों का बोरिया बिस्तरा सिमट चुका है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम है कि अपने यहां के स्कूलों तक के शौचालयों को सुलभ के हवाले करने की योजना पर विचार कर रहा है। सुलभ इंटरनेशनल को शौचालय देने की योजना से भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी का महौल है। कई नेताओं ने दबी जुबां में इसे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेशों की अवहेलना बताया है। पार्टी नेताओं ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्टैडिंग कमेटी के अध्यक्ष महक सिंह पर आरोप लगाते हुए बताया कि महक सिंह पार्टी नेतृत्व के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं।
सुलभ शौचालयों में लोगों से बेतुके रेट वसूले जाते हैं। शौचालयों में लोगों से पेशाब करने के लिए पांच से दस रुपए तक वसूले जा रहे हैं। नियमानुसार शौचालयों में केवल शौच करने व नहाने के लिए पैसे लिए जा सकते हैं। आनंद विहार बस अड्डे में बने शौचालयों में भी जनता से बेतुके पैसे वसूले जा रहे हैं। शास्त्री पार्क में बने सुलभ शौचालयों की स्थिति और भी खराब है। यहां बने शौचालय सालों से बंद पड़े हैं। शौचालयों के पास से गुजरने वाले लोगों को भयंकर बदबू का सामना करना पड़ता है। यहां इकट्ठा गंदगी से लोगों को कई प्रकार की बीमारियां होने का डर सताए रहता है।
रेलवे ने नई दिल्ली स्टेशन पर सुलभ इंटरनेशनल को दिया था टॉयलेट का टेंडर। लेकिन, सुलभ ने सिर्फ नाम का ही डीलक्स कॉम्पलेक्स बना दिया और सुविधा के नाम पर यात्रियों को गंदगी का तोहफा दिया है। रेलवे टॉयलेट कॉम्पलेक्स बनाने के लिए कांट्रैक्ट दिए हुए हैं। जिसमें दिल्ली डिवीजन के नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन, सराय रोहिल्ला और आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर टॉयलेट बनाए गए हैं। जिसके लिए रेलवे ने विभिन्न कंपनियों से टॉयलेट बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया के तहत जगह दी थी। जिसमें सुलभ इंटरनेशनल के साथ ही अन्य निजी कंपनियों ने भी आवेदन किए थे। सुलभ इंटरनेशनल को अजमेरी गेट की ओर कॉम्पलेक्स बनाने के लिए जगह दी गई थी। रेलवे ने जगह तो डीलक्स कॉम्पलेक्स बनाने के लिए दिया था। लेकिन, सुलभ इंटरनेशनल ने गंदगी का ढेर लगा दिया। पार्किंग के पास बने इस डीलक्स कॉम्पलेक्स में डीलक्स की तरह कुछ भी नहीं है। बल्कि इसके बजाए यहां सब उलट सिर्फ गंदगी ही गंदगी है। एक कोने में बने इस टॉयलेट में सिर्फ नशेबाज और पार्सल के मजदूर ही जाते हैं।
टॉयलेट के पास से गुजरने पर ही दुर्गंध इतनी जोर की उठती है कि लोग यहां से निकलना ही मुनासिब समझते हैं। रात होते ही टायलेट के आसपास के खाली इलाके में जुआड़ियों और शराबियों का राज चलता है। यहां से गुजरने वाले राकेश ने बताया कि पेशाब करने के लिए कॉम्पलेक्स पर गए तो गंदगी और बदबू के कारण खड़ा होना भी दूभर हो गया। पार्सल मजदूर सुरेश ने बताया कि मजबूरी में सुलभ में जाना होता है। उन्होंने बताया कि आसपास टॉयलेट न होने की वजह से यहां पर ही जाना पड़ता है। रेल प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली डिवीजन में टेंडर प्रक्रिया पर टॉयलेट बनाने को दिए हैं। जिसमें से इक्का-दुक्का ही टॉयलेट सुलभ ने बनाए हैं। खराब रख-रखाव के चलते संस्था को अजमेरी गेट की ओर एक टॉयलेट दिया गया है। बाकी अन्य स्टेशनों पर इनको तरजीह नहीं दी गई। बल्कि दूसरी कंपनी को कॉम्पलेक्स बनाने का टेंडर दिया गया है।
टॉयलेट की हालत खस्ता, नए पड़े हैं बंद
यात्रियों की सहुलियत के लिए बस अड्डे की बिल्डिंग को बेहतर तो बनाया जा रहा है, लेकिन नई बिल्डिंग में अभी तक एक भी टॉयलेट को खोला नहीं गया है। दूसरी तरफ एक नया टॉयलेट बनाया गया है, लेकिन वहां पर सफाई की अच्छी व्यवस्था नहीं है। नए बिल्डिंग के बराबर में अभी एक टॉयलेट चल रहा है। जिसकी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी प्राइवेट ठेकेदार के पास है। टॉयलेट के रखरखाव का जिम्मा जेजे प्रॉपर्टीज के पास है। टॉयलेट में मुत्रालय के उपयोग पर 5 रुपए व शौचालय के लिए दस रुपए वसुले जा रहे हैं। यदि कोई यात्री स्नान करना चाहता है तो उसके लिए 20 रुपए का शुल्क रखा गया है। वहां मौजूद लोगों से बात करने पर पता चला कि फिलहाल यह टॉयलेट प्राइवेट ठेकेदार के अंदर है। जैसे ही नए टॉयलेट शुरू होंगे। इसे तोड़ दिया जाएगा। बस अड्डे के दूसरी तरफ नया बना हुआ एक टॉयलेट यात्रियों के लिए निःशुल्क है लेकिन वहां पर सफाई की अच्छी व्यवस्था नहीं है। टॉयलेट को बने हुए कुछ ही दिन हुए हैं, लेकिन देखरेख के अभाव में वहां पर भी गंदगी का आलम है। दूसरी तरफ बस टर्मिनल की नई बिल्डिंग में बनाए गए नए टॉयलेट अभी यात्रियों के लिए खोले नहीं गए हैं। वहां बात करने पर पता चला कि इन टॉयलेट का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। यहां पर अभी निर्माण कार्य चल रहा है। काम खत्म होने के बाद टॉयलेट को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।
शौचालय के पास फटकना भी मुश्किल
यात्रियों की सहुलियत के लिए बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी संगठनों को दी गई, लेकिन इनकी हालत इतनी बुरी है कि यात्री इनका उपयोग तो क्या इनके पास से भी गुजर नहीं सकते। निजामुद्दीन और सराय काले खां बस अड्डे पर बने शौचालय बदतर स्थिति में है। शौचालय के नाम पर यात्रियों से शुल्क तो वसूल जाता है लेकिन सुविधा नहीं दी जाती। सराय काले खां बस अड्डे पर शौचालय की खस्ता हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सारे यूरिनल टूटे हैं। निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर बने शौचालयों की तो हालत और भी बुरी है। स्टेशन पर बने शौचालयों में गुटखे के निशान, शराब की खाली बोतल और बीड़ी-सिगरेट पड़ी रहती है। जिस कारण यात्री इनके अंदर घुस भी नहीं पाते।
शौचालयों के अंदर फैली गंदगी से चारों तरफ भयंकर बदबू फैली रहती है। जिस कारण यात्रियों का वहां खड़े होकर ट्रेन का इंतजार करना भी मुश्किल हो जाता है। निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर देश के हर राज्य से रोजाना हजारों यात्री आवागमन करते हैं लेकिन शौचालयों के अंदर फैली गंदगी के कारण उन्हें परेशानी होती है। एक यात्री शराफत अली ने बताया कि स्टेशन के अंदर बने शौचालयों के अंदर फैली गंदगी के कारण इनका इस्तेमाल करने में परेशानी होती है। उनका कहना है कि महिलाओं को तो और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक अन्य यात्री ब्रिजेश का कहना था कि सरकार हर साल रेलवे के रखरखाव पर हजारों रुपए खर्च करती है लेकिन उसके बावजूद शौचालयों की हालत इतनी बदतर है।
जिम्मेदारी की तैयारी पर नाराजगी भारी
दिल्ली सरकार के रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही के कारण सुलभ से काम वापस ले लिया है। सुलभ शौचालयों में साफ-सफाई के अभाव में स्वयं भाजपा के कद्दावर नेता सुलभ को ब्लैक लिस्टेड कर चुके हैं। बावजूद इसके पूर्वी दिल्ली नगर निगम अपने सभी शौचालयों को सुलभ के हवाले करने की योजना पर विचार कर रहा है। दिल्ली के लगभग सभी रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों से सुलभ शौचालयों का बोरिया बिस्तरा सिमट चुका है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम है कि अपने यहां के स्कूलों तक के शौचालयों को सुलभ के हवाले करने की योजना पर विचार कर रहा है। सुलभ इंटरनेशनल को शौचालय देने की योजना से भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी का महौल है। कई नेताओं ने दबी जुबां में इसे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेशों की अवहेलना बताया है। पार्टी नेताओं ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्टैडिंग कमेटी के अध्यक्ष महक सिंह पर आरोप लगाते हुए बताया कि महक सिंह पार्टी नेतृत्व के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं।
सुलभ शौचालयों में लोगों से बेतुके रेट वसूले जाते हैं। शौचालयों में लोगों से पेशाब करने के लिए पांच से दस रुपए तक वसूले जा रहे हैं। नियमानुसार शौचालयों में केवल शौच करने व नहाने के लिए पैसे लिए जा सकते हैं। आनंद विहार बस अड्डे में बने शौचालयों में भी जनता से बेतुके पैसे वसूले जा रहे हैं। शास्त्री पार्क में बने सुलभ शौचालयों की स्थिति और भी खराब है। यहां बने शौचालय सालों से बंद पड़े हैं। शौचालयों के पास से गुजरने वाले लोगों को भयंकर बदबू का सामना करना पड़ता है। यहां इकट्ठा गंदगी से लोगों को कई प्रकार की बीमारियां होने का डर सताए रहता है।
सुलभ डीलक्स में फैली है चारों तरफ गंदगी
रेलवे ने नई दिल्ली स्टेशन पर सुलभ इंटरनेशनल को दिया था टॉयलेट का टेंडर। लेकिन, सुलभ ने सिर्फ नाम का ही डीलक्स कॉम्पलेक्स बना दिया और सुविधा के नाम पर यात्रियों को गंदगी का तोहफा दिया है। रेलवे टॉयलेट कॉम्पलेक्स बनाने के लिए कांट्रैक्ट दिए हुए हैं। जिसमें दिल्ली डिवीजन के नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन, सराय रोहिल्ला और आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर टॉयलेट बनाए गए हैं। जिसके लिए रेलवे ने विभिन्न कंपनियों से टॉयलेट बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया के तहत जगह दी थी। जिसमें सुलभ इंटरनेशनल के साथ ही अन्य निजी कंपनियों ने भी आवेदन किए थे। सुलभ इंटरनेशनल को अजमेरी गेट की ओर कॉम्पलेक्स बनाने के लिए जगह दी गई थी। रेलवे ने जगह तो डीलक्स कॉम्पलेक्स बनाने के लिए दिया था। लेकिन, सुलभ इंटरनेशनल ने गंदगी का ढेर लगा दिया। पार्किंग के पास बने इस डीलक्स कॉम्पलेक्स में डीलक्स की तरह कुछ भी नहीं है। बल्कि इसके बजाए यहां सब उलट सिर्फ गंदगी ही गंदगी है। एक कोने में बने इस टॉयलेट में सिर्फ नशेबाज और पार्सल के मजदूर ही जाते हैं।
टॉयलेट के पास से गुजरने पर ही दुर्गंध इतनी जोर की उठती है कि लोग यहां से निकलना ही मुनासिब समझते हैं। रात होते ही टायलेट के आसपास के खाली इलाके में जुआड़ियों और शराबियों का राज चलता है। यहां से गुजरने वाले राकेश ने बताया कि पेशाब करने के लिए कॉम्पलेक्स पर गए तो गंदगी और बदबू के कारण खड़ा होना भी दूभर हो गया। पार्सल मजदूर सुरेश ने बताया कि मजबूरी में सुलभ में जाना होता है। उन्होंने बताया कि आसपास टॉयलेट न होने की वजह से यहां पर ही जाना पड़ता है। रेल प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली डिवीजन में टेंडर प्रक्रिया पर टॉयलेट बनाने को दिए हैं। जिसमें से इक्का-दुक्का ही टॉयलेट सुलभ ने बनाए हैं। खराब रख-रखाव के चलते संस्था को अजमेरी गेट की ओर एक टॉयलेट दिया गया है। बाकी अन्य स्टेशनों पर इनको तरजीह नहीं दी गई। बल्कि दूसरी कंपनी को कॉम्पलेक्स बनाने का टेंडर दिया गया है।