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अमर उजाला कॉम्पैक्ट, 09 नवंबर 2010
प्रकृति की खूबसूरती और शालीनता को बिगाड़ने में इंसानी लालच आज भी सुरसा की भांति बढ़ रही है। हालिया सर्वे के मुताबिक दुनियाभर में हर पांचवें पौधे पर विलुप्त होने का खतरा है। पर, अब समुद्री जीवों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। नेशनल ओशीएनिक एंड एटमस्फेरिक एडमिनेस्ट्रेशन ने चेतावनी दी है कि समुद्र में सील मछलियों की संख्या निरंतर कम हो रही है। पर्यावरणविदों को डर है कि यदि इसे तत्काल नहीं रोका गया तो समुद्री जीवों में असंतुलन पैदा हो जाएगा।
एनओएए ने दक्षिण अमेरिकी डिस्टिंक्ट पोपुलेशन सेगमेंट (डीपीएस) में सील मछलियों को लुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में रखा है। डीपीएस में 3300 सील मछलियां पाई जाती है। डीपीएस में लियोडॉन्ग खाड़ी, चीन, पीटर द ग्रेट खाड़ी और रूस के समुद्री इलाके शामिल हैं। इंडेजर्ड स्पीशीज एक्ट (इएसए) के तहत नोओएए अमेरिका के अलावा बाहरी देशों के बाहर सील प्रजातियों की गणना करता है।
इन इलाकों में मछुआरों द्वारा मछली के शिकार पर प्रतिबंध है। हालांकि, जीव विज्ञानियों ने जलवायु परिवर्तन और समुद्री बर्फ से सील मछलियों की आबादी पर नकारात्मक असर से साफ इनकार किया है। सील मछलियों के प्रजनन में समुद्री बर्फ की अहम भूमिका है। गर्मियों में ये मछलियां समुद्री किनारे पर आ जाती है।