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डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 26 अप्रैल 2015

दरअसल यह एक ऐसा विषय है जहाँ आप प्राकृतिक सम्पदाओं की सीमित उपलब्धता को मद्देनजर रखते हुए आम लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता पैदा कर सकते हैं। यह कार्य आप शासकीय या गैर-शासकीय संस्थाओं के साथ जुड़कर कर सकते हैं।
इसीलिए जहाँ शासकीय विभागों में पर्यावरण विशेषज्ञों की भर्ती संघ लोक सेवा, राज्य लोक सेवा या किसी अन्य माध्यम से की जाती है, तो वहीं गैर-शासकीय संस्थाओं में भी पर्यावरणविद् की माँग तेजी से बढ़ रही है। कह सकते हैं कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में नौकरी के अवसर बहुत ज्यादा होंगे। बशर्ते आप अपने कार्य में दक्ष हैं तो आप इस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह तेजी से शहरीकरण हो रहा है ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान पर्यावरण को हो रहा है। अगर इसी रफ्तार से इन बहुमूल्य संसाधनों का दोहन जारी रहा तो आने वाली पीढ़ियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण से जुड़े ऐसे विशेषज्ञों की नियुक्तियाँ बड़े स्तर पर होती हैं जो इन सम्पदाओं को संरक्षित रखने में सकारात्मक भूमिका निभा सकें।
योग्यता
इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए उपयुक्त शैक्षणिक योग्यता ‘नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट’ में मास्टर्स डिग्री होना जरूरी है। इस विषय को आप एमबीए या एमएससी स्तर की डिग्रियाँ के जरिए कर सकते हैं। इसके अलावा कई संस्थानों में नैचुरल रिसोर्स मैनेजमेण्ट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स भी उपलब्ध हैं। फॉरेस्ट्री की डिग्री भी इस क्षेत्र में कारगर कही जा सकती है। इस काम में अनोखापन होने के साथ सैलरी स्केल भी बेहतर होता है।
रोजगार के अवसर
पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय, जल संसाधन एवं कृषि विभागों और प्राकृतिक संसाधनों भूगर्भ सर्वेक्षण एजेसिंयों, भू-सुधार संस्थाओं आदि में रोजगार मिल सकते हैं। साथ ही चाय और फल बागान, रिफाइनरीज आदि से सम्बन्धित व्यावसायिक संगठनों में भी इनकी नियुक्तियाँ की जाती हैं। इसके अलावा कंसलटेंट्स और एक्सपर्ट्स के तौर पर भी इनकी सेवाएँ ली जाती हैं।
यहाँ करें पढ़ाई
1. बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, राँची (झारखण्ड)।
2. दून यूनिवर्सिटी, देहरादून (उत्तराखण्ड)।
3. इण्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेण्ट, देहरादून (उत्तराखण्ड)।
4. आई.पी. यूनिवर्सिटी, दिल्ली।
5. छत्तीसगढ़, यूनिवर्सिटी, छत्तीसगढ़।