सरिता पदानुक्रम (Stream order)

Submitted by Hindi on Mon, 05/16/2011 - 11:23
किसी अपवाह तंत्र में सरिताओं का श्रेणीकरण जिसमें प्रत्येक सरिता को उसकी स्थिति के अनुसार पद या श्रेणी (order) प्रदान किया जाता है। यद्यपि सरिता पदानुक्रम के विचार को मूलतः हार्टन (R.E. Horton) ने प्रस्तावित किया था किंतु सर्वाधिक सामान्य प्रयोग स्ट्राहलर (A.N. Strahler) द्वारा प्रतिपादित पद्धति से किया जाता है। स्ट्राहलर के अनुसार, सरिता जाल के उद्गम पर स्थित प्रथम एवं लघु सरिताओं को प्रथम पदानुक्रम की सरिताएं माना जाता है। प्रथम पदानुक्रम की दो सरिताओं के मिलने पर उसके आगे सरिता का द्वितीय पदानुक्रम होगा। इसी प्रकार द्वितीय पदानुक्रम की दो सरिताओं के मिलने पर आगे की सरिता तृतीय श्रेणी में रखी जाती है। इस प्रकार नदी का पदानुक्रम मुहाने की ओर बढ़ता जाता है।

ज्ञातव्य है कि सरिता का पदानुक्रम दो समान पदानुक्रम की सरिताओं के मिलने के पश्चात् ही बदलता है अन्यथा नहीं। किसी अपवाह क्षेत्र में प्रत्येक पदानुक्रम की सरिताओं की संख्या में विपरीत संबंध पाया जाता है। उदाहरणार्थ, प्रथम पदानुक्रम की सरिताओं की संख्या सर्वाधिक तथा अन्तिम (सर्वोच्च) पदानुक्रम की सरिताओं की संख्या न्यूनतम (साधारणतः एक) होती है।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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