सूर्य धब्बा, सूर्य कलंक
सूर्य-पृष्ठ का वह धब्बा जो कभी-कभी इतना बड़ा होता है कि मेघ की पतली परत अथवा गहरे रंगीन कांच से ही स्पष्ट दिखाई पड़ता है। यह विश्वास किया जाता है कि सूर्य के पर्यावरण में ही विद्यमान भ्रमिल गैस-राशि से ही इसकी उत्पत्ति होती है। यह भी विचार किया जाता है कि पृथ्वी पर चुम्बकीय विक्षोभ, सूर्य के धब्बों की संख्या पर निर्भर रहते हैं। इस विक्षोभ के बढ़ने पर अरोरा दिखाई पड़ते हैं तथा चुम्बकीय तूफान अधिक उठते हैं।