लेखक
चंबल घाटी से जुड़े इटावा में बीहड़ के भ्रमण के दौरान करीब 20 से अधिक प्रजाति की अनगिनत तितलियां नजर आई हैं। इससे पहले इतनी ज्यादा संख्या में हाल के दिनों में कभी भी तितलियों को कहीं पर भी देखा नहीं गया है। इन रंगबिरंगी तितलियों को देख कर एक बात कही जा सकती है कि भले ही शहरी इलाकों को विकास पक्षियों के साथ कीट पंतगों को प्रभावित करे लेकिन बीहड़ इनका सबसे खास आशियाना है।जब हम छोटे थे तब रंग बिरंगी तितलियों को पकड़ने की जिद अपने मम्मी पापा से करते थे क्योंकि तितलियां हमको नजर आती थीं हमारी जिद को पूरा करने के लिए घर वाले कभी-कभी पकड़ कर देते भी इस बात को आज हमारे बड़े होने पर घर वाले अमूमन याद दिलाया करते हैं लेकिन आज हमारे बच्चे तितली को दिखाने की बात कहते हैं तो हमारे पास सिवाय इसके कोई जबाब नहीं होता है अब नहीं दिखतीं तितलियां।
कभी रंग बिरंगी तितलियों को देखकर मन इनको पकड़ने के लिए लालायित हुआ करता था ऐसे में अगर कोई कहे कि हम दिखाएंगे सैकड़ों तितलियां। तो इस पर यकीन करना थोड़ा सा मुश्किल होगा लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बीहड़ों में अनगिनत तादाद में नजर आ रही कई प्रजाति की तितलियों ने लोगों के मन में एक खास किस्म का कौतूहल पैदा कर दिया।
चंबल और उसके आसपास के इलाके में पर्यावरणीय दिशा में काम कर रही पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के महासचिव डॉ.राजीव चौहान का कहना है कि चंबल घाटी में इस समय काफी संख्या में तितलियां नजर आ रही हैं। इन तितलियों को देख कर लोग खुश हो रहे हैं क्योंकि शहरी इलाकों से करीब-करीब पूरी तरह से तितलियां गायब हो चुकी हैं।
वन विभाग के वन रेंज अफसर वी.के.सिंह का कहना है कि शहरीकरण ने आम इंसान को भले ही लाभ दिया हो लेकिन तितली जैसे जीव का खासा नुकसान हो रहा है और लगातार एक के बाद एक गायब होती चली जा रही हैं। मवेशियों को चराने वाले कहते हैं कि हम लोग करीब 7 या 8 घंटे बीहड़ में रहते हैं इस दौरान हवा में तैरती हुई सैकड़ों की तादाद में नजर आने वाली तितलियां खासा मन बहलाती रहती हैं। कभी-कभी तिललियां भैंस या बकरी के ऊपर बैठ जाती है तितलियों के झुंड के झुंड बीहड़ के वातावरण को खुश मिज़ाज करता रहता है।
कभी शहरी इलाकों में बड़ी तादाद में तितलियां नजर आया करती थीं और किसी बात पर रुठे हुए मासूम बच्चों को बहलाने का काम उनके मां बाप इन्हीं तितलियों के जरिए किया करते थे लेकिन अब यह तितलियां ही देखने को नहीं मिलतीं। शहरी इलाकों में हुए व्यापक विकास ने तितलियों पर संकट खड़ा कर दिया है। इटावा में तितलियां बड़ी संख्या में देखे जाने पर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है जहां पर्यावरणविद खुश हैं वहीं दूसरी ओर आम आदमी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा है। कभी इस तरह की उम्मीद की जा रही थी कि तितली भी विलुप्तता की कगार पर है लेकिन इटावा में देखी गई तितलियों ने इस शंका को दूर कर दिया है कि तितलियां भी विलुप्त हो रही हैं ऐसा माना जा रहा है कि सिर्फ अत्यधिक विकास ने तितलियों को भटका दिया है।
चंबल घाटी से जुड़े इटावा में बीहड़ के भ्रमण के दौरान करीब 20 से अधिक प्रजाति की अनगिनत तितलियां नजर आई हैं। इससे पहले इतनी ज्यादा संख्या में हाल के दिनों में कभी भी तितलियों को कहीं पर भी देखा नहीं गया है। इन रंगबिरंगी तितलियों को देख कर एक बात कही जा सकती है कि भले ही शहरी इलाकों को विकास पक्षियों के साथ कीट पंतगों को प्रभावित करे लेकिन बीहड़ इनका सबसे खास आशियाना है। बड़ी संख्या में तितलियों के एक ही जगह आना किसी भी आश्चर्य से कम नहीं माना जा रहा है। इटावा में करीब 22 से अधिक प्रजाति की तितलियां देखी जा रही हैं जिनमें प्लेन टाइगर, स्ट्रिट टाइगर, ब्लू टाइगर, कामन क्रो, पेपीलियो और बुसेफुटेड नाम की तितलियां हैं।
तितली कीट वर्ग का सामान्य रूप से हर जगह पाया जाने वाला प्राणी है। यह बहुत सुन्दर तथा आकर्षक होती है। तितली एकलिंगी प्राणी है अर्थात नर व मादा अलग-अलग होते हैं। तितली का जीवनकाल बहुत छोटा होता है। ये ठोस भोजन नहीं खातीं, हालांकि कुछ तितलियां फूलों का रस पीती हैं। दुनिया की सबसे तेज उड़ने वाली तितली मोनार्च है। यह एक घंटे में 17 मील की दूरी तय कर लेती है।
प्रकृति के विचार के लिए अपार सुंदरता, कोमलता, कल्याण, प्रेरणा का अक्षय स्रोत व्यक्त कवियों, लेखकों, संगीतकारों, कलाकारों एक तितली पंख भगवान की महिमा का सबूत है। तितलियों बीटल कीड़े की दूसरी सबसे अनेक क्रम हैं। इनके बारे में 140.000 प्रकार शामिल हैं। वे विभिन्न आकार, रंग, जीवन, और प्रकृति में घटना महत्व के स्थान हैं।
तितलियों की आँखें होती हैं इसलिए वो देख तो सकती हैं लेकिन उनकी यह क्षमता सीमित होती है। आपने गौर किया होगा कि इनकी आंखे बड़ी और गोलाकार होती हैं। इनमें हजारों सेंसर होते हैं जो अलग- अलग कोण में लगे रहते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि तितलियां ऊपर, नीचे, आगे, पीछे, दाएँ, बाएँ सभी दिशाओं में एक साथ देख सकती हैं। लेकिन इसका यह नुकसान भी होता है कि वे किसी चीज पर अपनी दृष्टि एकाग्र नहीं कर पातीं और उन्हे धुंधला सा दिखाई देता है। तितलियों की दृष्टि बड़ी सीमित होती है और वे केवल रोशनी, रंग और गति देख पाती हैं। इसका मतलब ये हुआ कि वे रात और दिन में अंतर कर पाती हैं, कुछ रंग पहचान पाती हैं और किसी भी प्रकार की गति को भांप जाती हैं। इसीलिए जब कोई उन्हें पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाता है तो उन्हें फौरन पता चल जाता है और वे उड़ जाती हैं। कुछ तितलियां अपने जीवन काल में सिर्फ एक बार ही प्रजनन की प्रकिया से गुजरती हैं।
कभी रंग बिरंगी तितलियों को देखकर मन इनको पकड़ने के लिए लालायित हुआ करता था ऐसे में अगर कोई कहे कि हम दिखाएंगे सैकड़ों तितलियां। तो इस पर यकीन करना थोड़ा सा मुश्किल होगा लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बीहड़ों में अनगिनत तादाद में नजर आ रही कई प्रजाति की तितलियों ने लोगों के मन में एक खास किस्म का कौतूहल पैदा कर दिया।
चंबल और उसके आसपास के इलाके में पर्यावरणीय दिशा में काम कर रही पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के महासचिव डॉ.राजीव चौहान का कहना है कि चंबल घाटी में इस समय काफी संख्या में तितलियां नजर आ रही हैं। इन तितलियों को देख कर लोग खुश हो रहे हैं क्योंकि शहरी इलाकों से करीब-करीब पूरी तरह से तितलियां गायब हो चुकी हैं।
वन विभाग के वन रेंज अफसर वी.के.सिंह का कहना है कि शहरीकरण ने आम इंसान को भले ही लाभ दिया हो लेकिन तितली जैसे जीव का खासा नुकसान हो रहा है और लगातार एक के बाद एक गायब होती चली जा रही हैं। मवेशियों को चराने वाले कहते हैं कि हम लोग करीब 7 या 8 घंटे बीहड़ में रहते हैं इस दौरान हवा में तैरती हुई सैकड़ों की तादाद में नजर आने वाली तितलियां खासा मन बहलाती रहती हैं। कभी-कभी तिललियां भैंस या बकरी के ऊपर बैठ जाती है तितलियों के झुंड के झुंड बीहड़ के वातावरण को खुश मिज़ाज करता रहता है।
कभी शहरी इलाकों में बड़ी तादाद में तितलियां नजर आया करती थीं और किसी बात पर रुठे हुए मासूम बच्चों को बहलाने का काम उनके मां बाप इन्हीं तितलियों के जरिए किया करते थे लेकिन अब यह तितलियां ही देखने को नहीं मिलतीं। शहरी इलाकों में हुए व्यापक विकास ने तितलियों पर संकट खड़ा कर दिया है। इटावा में तितलियां बड़ी संख्या में देखे जाने पर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है जहां पर्यावरणविद खुश हैं वहीं दूसरी ओर आम आदमी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा है। कभी इस तरह की उम्मीद की जा रही थी कि तितली भी विलुप्तता की कगार पर है लेकिन इटावा में देखी गई तितलियों ने इस शंका को दूर कर दिया है कि तितलियां भी विलुप्त हो रही हैं ऐसा माना जा रहा है कि सिर्फ अत्यधिक विकास ने तितलियों को भटका दिया है।
चंबल घाटी से जुड़े इटावा में बीहड़ के भ्रमण के दौरान करीब 20 से अधिक प्रजाति की अनगिनत तितलियां नजर आई हैं। इससे पहले इतनी ज्यादा संख्या में हाल के दिनों में कभी भी तितलियों को कहीं पर भी देखा नहीं गया है। इन रंगबिरंगी तितलियों को देख कर एक बात कही जा सकती है कि भले ही शहरी इलाकों को विकास पक्षियों के साथ कीट पंतगों को प्रभावित करे लेकिन बीहड़ इनका सबसे खास आशियाना है। बड़ी संख्या में तितलियों के एक ही जगह आना किसी भी आश्चर्य से कम नहीं माना जा रहा है। इटावा में करीब 22 से अधिक प्रजाति की तितलियां देखी जा रही हैं जिनमें प्लेन टाइगर, स्ट्रिट टाइगर, ब्लू टाइगर, कामन क्रो, पेपीलियो और बुसेफुटेड नाम की तितलियां हैं।
तितली कीट वर्ग का सामान्य रूप से हर जगह पाया जाने वाला प्राणी है। यह बहुत सुन्दर तथा आकर्षक होती है। तितली एकलिंगी प्राणी है अर्थात नर व मादा अलग-अलग होते हैं। तितली का जीवनकाल बहुत छोटा होता है। ये ठोस भोजन नहीं खातीं, हालांकि कुछ तितलियां फूलों का रस पीती हैं। दुनिया की सबसे तेज उड़ने वाली तितली मोनार्च है। यह एक घंटे में 17 मील की दूरी तय कर लेती है।
प्रकृति के विचार के लिए अपार सुंदरता, कोमलता, कल्याण, प्रेरणा का अक्षय स्रोत व्यक्त कवियों, लेखकों, संगीतकारों, कलाकारों एक तितली पंख भगवान की महिमा का सबूत है। तितलियों बीटल कीड़े की दूसरी सबसे अनेक क्रम हैं। इनके बारे में 140.000 प्रकार शामिल हैं। वे विभिन्न आकार, रंग, जीवन, और प्रकृति में घटना महत्व के स्थान हैं।
तितलियों की आँखें होती हैं इसलिए वो देख तो सकती हैं लेकिन उनकी यह क्षमता सीमित होती है। आपने गौर किया होगा कि इनकी आंखे बड़ी और गोलाकार होती हैं। इनमें हजारों सेंसर होते हैं जो अलग- अलग कोण में लगे रहते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि तितलियां ऊपर, नीचे, आगे, पीछे, दाएँ, बाएँ सभी दिशाओं में एक साथ देख सकती हैं। लेकिन इसका यह नुकसान भी होता है कि वे किसी चीज पर अपनी दृष्टि एकाग्र नहीं कर पातीं और उन्हे धुंधला सा दिखाई देता है। तितलियों की दृष्टि बड़ी सीमित होती है और वे केवल रोशनी, रंग और गति देख पाती हैं। इसका मतलब ये हुआ कि वे रात और दिन में अंतर कर पाती हैं, कुछ रंग पहचान पाती हैं और किसी भी प्रकार की गति को भांप जाती हैं। इसीलिए जब कोई उन्हें पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाता है तो उन्हें फौरन पता चल जाता है और वे उड़ जाती हैं। कुछ तितलियां अपने जीवन काल में सिर्फ एक बार ही प्रजनन की प्रकिया से गुजरती हैं।