उष्णकटिबंधीय चक्रवात
सापेक्षतः छोटा परंतु तीव्र तूफानी दशाओं वाला वायुमंडलीय निम्नदाब जो खासतौर पर उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में महासागरों के पश्चिमी भाग में उत्पन्न होता है। इसके केंद्र में एक ‘प्रशांत (clam) क्षेत्र पाया जाता है, जिसे तूफान-नेत्र’ (eye of the storm) का नाम दिया गया है। इसके मद्य में बहुत ही अल्प दाब होता है और केंद्र के चारों ओर हवाओं का एक प्रबल चक्रवाती परिसंचलन पाया जाता है। हवाओं की गति (112-128) किलोमीटर (70-80 मील) प्रति घंटा रहती है किंतु यह गति कभी-कभी 160 किलोमीटर (100 मील) प्रति घंटा भी पाई जाती है। जो क्षेत्र इस तूफान के मार्ग में आते हैं, उनमें 24 घंटों में 5 इंच तक वर्षा हो जाती है।
ये तूफान आर्थिक जीवन को भयंकर क्षति पहुँचाते हैं। इसके भिन्न-भिन्न देशों में अलग-अलग नाम हैं, जैसे अटलांटिक महासागर में ‘हरिकेन’, पश्चिमी प्रशांत महासागर में ‘टाइफून’ दक्षिणी प्रशांत महासागर में ‘हरिकेन’ तथा ऑस्ट्रेलिया के उत्तर तथा पश्चिम में ‘विलीविली’ और भारतीय महासागर तथा बंगाल की खाड़ी में ‘साइक्लोन’ इस प्रकार के तूफानों का उष्ण कटिबंधीय परिभ्रामी तूफान की भी संज्ञा दी जाती है।