वार्ड सदस्य ला सकते हैं ग्राम स्वराज

Submitted by Hindi on Mon, 06/03/2013 - 14:00
Source
पंचायतनामा डॉट कॉम
सूचना देने के लिए सूचना पट्ट, अखबार, माइकिंग, टीवी, न्यूज चैनल, इंटरनेट, हैंड बिल, होर्डिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। कार्यालय का सूचना पट्ट के अलावा पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा अन्य सरकारी भवनों की दीवार का भी इस्तेमाल हो सकता है। अगर कार्यालय या संगठन कोई पुस्तिका छापता है, तो पहली कोशिश यही होगी कि जनता को वह मुफ्त में मिले।बापू ने जिस लोकतंत्र और रामराज का सपना देखा था, उसे सो अर्थ में आप वार्ड सदस्य पूरा कर सकते हैं, क्योंकि जनतांत्रिक ढांचे की बुनियाद आप हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक कि ज्यादातर वार्ड सदस्य अपने अधिकार के बारे में नहीं जानते। दूसरा कि अधिकारी उन्हें सही-सही जानकारी नहीं देते। अब अगर आपको जानकारी ही नहीं होगी, तो आप जनता की अपेक्षाओं के लिए आवाज कैसे उठा सकेंगे? आपको जनता ने अपना नेता चुना। आप जानकारी के अभाव में उनका नेतृत्व कर सकेंगे? आपने देखा होगा कि जो विधायक या सांसद सिस्टम, नियम, कानून, प्रक्रिया, योजना, कार्यक्रम, उनकी ताजा स्थिति आदि के बारे में ज्यादा जानकारी रखते हैं, वही संसद या विधानमंडल में ज्यादा आवाज उठाते हैं। सरकार पर दबाव बनाते हैं। अफसर उनसे खौफ खाते हैं। जनता उन्हें ज्यादा तरजीह देती है। मीडिया में वही ज्यादा छाये रहते हैं। उनकी पहचान भी ज्यादा है। आप क्या करेंगे? जनता के ताने सुनते रहेंगे या अधिकारियों और मुखिया के हाथों उपयोग होते रहेंगे? आप कहां से और कैसे जानकारी हासिल करेंगे? जी, इसके लिए आसान और कारगर रास्ता है। आप सूचनाधिकार का इस्तेमाल करें। उनके जरिये जानकारी जुटायें और गड़बड़ियों को पकड़े। आप जनता की सशक्त आवाज बन सकते हैं।

जानकारी को कराएं सार्वजनिक


आप जानते हैं कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 ने सरकार और उसके सभी कार्यालयों, विभागों, संगठनों और एजेंसियों को इस बात के लिए बाध्य किया है कि उन्हें अपने क्रियाकलापों, नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं इत्यादि सभी मामलों में जनता को हर तरह की जानकारी देनी है और इस जानकारी के लिए जनता को सूचनाधिकार का इस्तेमाल करने की कम-से-कम जरूरत पड़े, यह भी सुनिश्चिित करना है। अगर नहीं जानते हैं, तो आपको हम बताते हैं और अगर आप जानते हैं, तो सोचिए, क्या आपने कभी इसे लेकर गंभीरता दिखायी? अगर नहीं तो आज से इस पर पहल करें। अपने प्रखंड, अंचल, बाल विकास परियोजना एवं पंचायती राज पदाधिकारी, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण सहित सभी विभागों और कार्यालयों को उन 17 बिंदुओं पर सूचना नियमित रूप से सार्वजनिक करने तथा समय-समय पर उस सूचना को अद्यतन करने के लिए मजबूर करें, जिन्हें सार्वजनिक करना उनकी कानूनन बाध्यता है।

क्या है कानून और इसकी खासियत


सूचना का अधिकारी अधिनियम, 2005 की धारा-4 (ख) ने सभी लोक प्राधिकारी को 17 बिंदुओं की जानकारी स्वत: यानी खुद ही जनता की जानकारी के लिए जारी करने और उसे समय-समय पर अपडेट करने का निर्देश दिया है। इसके लिए 12 अक्तूबर 2005 तक का समय दिया गया था। यानी उस तिथि तक प्रत्येक सरकारी कार्यालय, संस्थान, एजेंसी आदि को अपनी गतिविधियों, कार्य प्रणाली, कार्यक्रम, प्रक्रिया आदि की इतनी जानकारी खुद से इंटरनेट, सूचना पट्ट, पुस्तिका, निर्देशिका आदि के रूप में जारी करनी थी कि उन विषयों में से कोई भी जानकारी प्राप्त करने लिए जनता को सूचना का अधिनियम, 2005 का उपयोग करने की जरूरत ही नहीं पड़े।

आप जानते होंगे कि स्वीडन दुनिया का पहला देश है, जिसने 1776 में अपनी जनता को सूचना का अधिकार दिया। वहां के शासनतंत्र में इतनी पारदर्शिता आ गयी है कि इस अधिकार का इस्तेमाल आमतौर पर लोगों को बेहद कम (न्यूनतम) करना पड़ता है। हमारे यहां यह स्थिति अभी नहीं बनी है। आप वार्ड सदस्य हैं। आप एक संवैधानिक पद पर हैं। आप सशक्त पहल कर सकते हैं।

और भी है प्रावधान


इतना ही नहीं। यह अधिनियम यह भी निर्देश देता है कि अगर किसी महत्वपूर्ण नीति पर विचार किया जाता है या निर्णय लिया जाता है और उससे आम जनता किसी भी रूप में प्रभावित होती है, तो उसकी घोषणा करते समय जनता को उसके सभी तथ्यों और कारण की जानकारी सार्वजनिक रूप से देनी है। जैसे मान लीजिए कि पेट्रोल या डीजल को दी जा रही सब्सिडी सरकार घटा रही है। इससे इनकी कीमतें बढ़ती हैं। ऐसे मामले में सरकार को यह बताना है कि सब्सिडी घटाने का निर्णय किन परिस्थितियों में लिया गया। ऐसा निर्णय लेना क्यों जरूरी हुआ।

जनता तक सूचना पहुंचना पहली शर्त


अब आप कहेंगे कि दफ्तर की संचिकाओं में यह सब होता है, लेकिन जनता तक सूचना नहीं पहुंचती। जी नहीं। यह अधिनियम बार-बार यह कहता है कि इन 17 बिंदुओं और इनके अलावा भी जो जरूरी सूचनाएं हैं, उन्हें इस प्रकार देना है कि जनता को सहजता से वह मिल सके। सहजता से आशय यह भी है कि सूचना की भाषा ऐसी हो कि आम जनता को उसे समझने में कठिनाई नहीं हो। यानी स्थानीय और सरल भाषा में सूचना दी जानी है।

किस-किस रूप में दी जानी है सूचना


सूचना देने के लिए सूचना पट्ट, अखबार, माइकिंग, टीवी, न्यूज चैनल, इंटरनेट, हैंड बिल, होर्डिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। कार्यालय का सूचना पट्ट के अलावा पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा अन्य सरकारी भवनों की दीवार का भी इस्तेमाल हो सकता है। अगर कार्यालय या संगठन कोई पुस्तिका छापता है, तो पहली कोशिश यही होगी कि जनता को वह मुफ्त में मिले। अगर ऐसा करना संभव नहीं हुआ, तो उसकी छपाई में जो कम-से-कम खर्च आता है, उसे शुल्क मान कर जनता को वह पुस्तिका उपलब्ध करानी है।

इन सूचना का होना है स्वत: प्रकटन


1. कार्यालय और संगठन की विशिष्टियां, कृत्य और कर्तव्य।
2. कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियां और कर्तव्य।
3. कोई निर्णय लेने की प्रक्रिया, पर्यवेक्षण और जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी।
4. वह मापदंड, जो कार्यालय के दायित्व को पूरा करने के लिए तय है।
5. उन नियमों, विनियमों, अनुदेशों, निर्देशिकाओं और अभिलेखों की जानकारी, जो उस कार्यालय के कर्मचारी एवं अधिकारी के काम करने के लिए तय है।
6. किस कर्मचारी या अधिकारी के पास किस तरह के काम और किन मामलों की संचिकाएं हैं।
7. कार्यालय में जनता से जुड़ी शिकायतों और सुझावों के निष्पादन के लिए की गयी व्यवस्था की जानकारी।
8. अगर कोई बोर्ड, परिषद, समिति या अन्य निकाय, जिसमें कम-से-कम दो सदस्य हों, कार्यालय के कामकाज के लिए गठित है, तो उसके बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक की जानी है। यह भी बताना है कि उनकी बैठकें आम जनता के लिए खुली रहेंगी या नहीं तथा बैठक की गतिविधि व कार्रवाई की जानकारी जनता को मिलेगी या नहीं।
9. कार्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए जारी की गयी निर्देशिका।
10. कार्यालय के प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी को मिलने वाले मासिक पारिश्रमिक तथा भत्ते की पूरी जानकारी।
11. सभी योजनाओं, प्रस्तावित व्यय और प्रत्येक अभिकरण (एजेंसी) के बीच कितनी-कितनी राशि बांटी गयी है और उन्हें किस-किस मद में किस रूप में खर्च करना है।12. कार्यालय या विभाग द्वारा संचालित सभी कार्यक्रमों के निष्पादन का तरीका भी जनता की जानकारी के लिए सार्वजनिक करना है और उसमें यह भी बताना है कि कार्यक्रम के किस मद की आवंटित राशि खर्च की जानी है और उसका फायदा किन-किन लोगों को मिलना है। कार्यक्रम पूरा होने पर खर्च का पूरा ब्योरा और लाभुकों की सूची जारी करनी है।
13. किसी लोक पदाधिकारी द्वारा किसी को रियायत, अनुज्ञापत्र या प्राधिकार दिये गये हैं, तो उसका भी विवरण जारी करना है।
14. कार्यालय में जो भी सूचना इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध हैं, उनका भी ब्योरा सार्वजनिक करना है।
15. सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं की विशिष्टियां, जैसे पुस्तकालय या वाचनालय, उनके उपयोग की शर्तें या नियम, उनके खुलने का समय आदि की जानकारी।
16. लोक सूचना अधिकारियों के नाम, पदनाम और अन्य विशिष्टियां।
17. ऐसी अन्य सूचनाएं, जो जनहित में जरूरी हो।