15वें वित्त आयोग ने 5 वर्षों 2021-22 से 2025-26 तक के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों(RLB)/ पंचायती राज संस्थाओं को जल और स्वच्छता के लिए सशर्त अनुदान के रूप में ₹1,42,084 करोड़ की राशि की अनुशंसा की है। इस सशर्त अनुदान का गांव में जलापूर्ति एवं स्वच्छता सेवाएं सुनिश्चित करने पर भी प्रभाव पड़ेगा। और इस प्रकार इसका ग्रामीण क्षेत्र में जन स्वास्थ्य और जीवन स्तर पर भी प्रभाव पड़ेगा। 15वें वित्त आयोग का सशर्त अनुदान ग्राम पंचायतों को अपनी जल-आपूर्ति तथा स्वच्छता से संबंधित योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए और अधिक निधियां सुनिश्चित करेगा। तथा ग्राम पंचायतें सेवा सुपुर्दगी पर ध्यान केंद्रित करने के साथ स्थानीय लोकोपयोगिताओं के रूप में कार्य कर सकती हैं। यह संविधान के 73वें संशोधन के अनुरूप स्थानीय स्वशासन के सुदृढ़ीकरण के दिशा में एक बड़ा कदम है।
व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने 2021-22 से 2025-26 के अवधि के दौरान ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदानों को जारी करने और उनके उपयोग संबंधी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। ‘पेयजल एवं स्वच्छता' विभाग (डीडीडब्ल्यूएस), जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार 'जल एवं स्वच्छता' के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा सशर्त अनुदान हेतु ग्रामीण स्थानीय निकायों की पात्रता निर्धारित करने के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा और व्यय विभाग वित्त मंत्रालय को सभी राज्यों के लिए 'जल एवं स्वच्छता' हेतु सशर्त अनुदान जारी करने की अनुशंसा करेगा।
पेयजल स्वच्छता विभाग ने 'जल एवं स्वच्छता' संबंधी कार्यकलापों हेतु 25 राज्यों के लिए सशर्त अनुदानों की पहली किस्त जारी करने तथा ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं को आगे अंतरित करने की अनुशंसा कर दी है। भारत सरकार द्वारा ₹50,000 करोड़ की बजटीय सहायता ‘जल जीवन मिशन’ के लिए ₹30,000 करोड़ के राज्य में हिस्से और 15वें वित्त आयोग द्वारा 'जल एवं स्वच्छता' के लिए सशर्त अनुदान के तहत ₹28,000 करोड़ के इस साल के आवंटन के साथ गांव में पाइप से पानी की आपूर्ति के प्रावधान के लिए एक लाख करोड़ से ज्यादा की निधि उपलब्ध है। इसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायतों को 15वें वित्त आयोग द्वारा यथा्नुशंसित अपने कार्यों को करने में सहायता प्रदान करने और समर्थ बनाने के लिए राज्य के 'जल एवं स्वच्छता'/ ग्रामीण जलापूर्ति/ जनस्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग, इन पंचायतों/ ग्रामीण स्थानीय निकायों को तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे। और ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायतों के कार्यों को सरल बनाने तथा उनकी मदद करने के लिए ‘पेयजल एवं स्वच्छता' विभाग, जल शक्ति मंत्रालय ने निधियों के उपयोग के लिए एक मैनुअल तैयार किया है। और उसे सभी राज्य सरकारों को उपलब्ध करा दिया गया है। राज्य उस मैनुअल को अपनी-अपनी भाषा में अनुवाद कराएं। तथा प्रत्येक ग्राम पंचायत को उसे उपलब्ध कराएं। पंचायत कार्यकर्ताओं को इस निधि का उपयोग करने के लिए संवेदनशील बनाने, प्रशिक्षित करने और क्षमता-निर्माण करने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाना है। ताकि गांव में नल-जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके और स्वच्छता में सुधार लाया जा सके।
कुल मिलाकर 15वें वित्त आयोग ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं के लिए 2,36,805 करोड़ रुपए की अनुशंसा की है। आयोग ने ‘जलापूर्ति एवं स्वच्छता’ की राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में पहचान की है। जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर का निर्धारण करता है। इसने यह अनुशंसा की है कि ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायतों को सशर्त अनुदान के रूप में आवंटित 60 फीसद राशि अर्थात ₹1,42,084 करोड़ का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जाए।
क - पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन, तथा वर्षा जल का पुनर्चक्रण
ख - स्वच्छता तथा खुले में शौच मुक्त (ODF) की स्थिति की देखरेख
जलापूर्ति एवं स्वच्छता सेवाओं के लिए बंधित अनुदान का वर्षवार आवंटन निम्नानुसार है: (राशि करोड़ रुपये में)
वर्ष |
बंधित अनुदान |
2021-22 |
26,940 |
2022-23 |
27,908 |
2023-24 |
28,212 |
2024-25 |
29,880 |
2025-26 |
29,144 |
|
1,42,084 |
प्रत्येक परिवार को सुनिश्चित स्वच्छ नल-जल आपूर्ति तथा बेहतर स्वच्छता प्रदान करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर कार्य कर रही है। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में ये दो बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित की जा सकें। परिवार के स्तर पर नियमित और दीर्घकालिक आधार पर स्वच्छ पेयजल की पर्याप्त मात्रा में सुनिश्चित स्वच्छता और सफाई का आर्थिक प्रभाव पड़ता है। जलापूर्ति और स्वच्छता सुनाएं सुनिश्चित करने के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा बुनियादी 'जल एवं स्वच्छता' सेवाओं के लिए पर्याप्त राशि निर्धारित किया जाना एक प्रगतिशील कदम है।
अगस्त 2019 से प्रत्येक ग्रामीण को नल-जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए 3,60 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ ‘जल जीवन मिशन’ (जेजेएम) को राज्यों के साथ मिलकर कार्यान्वित किया जा रहा है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति छूट न जाए। यह कायाकल्प मिशन प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सस्ते सेवा सुपुर्दगी प्रभारों पर नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पेयजल आपूर्ति करने में समर्थ बनाएगा। जिससे गांव में लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा और आसान जीवन में वृद्धि होगी।
विगत 7 वर्षों के दौरान हमारे गांव को खुले में शौच मुक्त (ODF) होने में समर्थ बनाने के लिए, वृहद प्रयास और निवेश किए गए हैं। तथा इन प्रयासों को जारी रखने के लिए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ (एसबीएम) चरण-2 को देश में गांव की ओडीएफ-प्लस स्थिति प्रदान प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्यान्वित किया जा रहा है। मुख्य ध्यान ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त गांव और गांव की ओडीएफ की स्थिति सुनिश्चित करने पर है।
विगत 20 माह में कोविड-19 महामारी के दौरान जन स्वास्थ्य के महत्व को व्यापक तौर पर मान्यता प्रदान की गई है। इस प्रकार हमारे गांव में स्वच्छ पेयजल तथा बेहतर स्वच्छता प्रदान किया जाना, अत्यंत महत्वपूर्ण है। 15वें वित्त आयोग का सशर्त अनुदान इन सेवाओं को प्रावधान करके तथा जल-जनित बीमारियों को नियंत्रित करके, तथा ग्रे-वाटर प्रबंधन करके जो जन स्वास्थ्य के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक वरदान सिद्ध होगा।
जल और स्वच्छता के लिए सशर्त अनुदान के प्रभावी उपयोग हेतु राज्यों को नोडल विभागों की पहचान करने और इस प्रणाली को 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान दिशा-निर्देशों के अनुसार लागू करने की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त ग्रामीण निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं के लोगों के लिए सशर्त अनुदान, इसे जारी करने और उपयोग, आयोजना तथा निष्पादन कार्य, लेखा परीक्षा और लेखांकन आदि जैसे विभिन्न तत्वों के संबंध में व्यापक प्रशिक्षण, अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं। इस परियोजनार्थ राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, पेयजल स्वच्छता विभाग ने देश में आश्वासित जलापूर्ति, बेहतर स्वच्छता और सफाई सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्थानीय निकायों/ ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षण प्रदान करने और उसकी क्षमता निर्माण हेतु 84 प्रमुख संस्थाओं का महत्वपूर्ण संसाधन केंद्रों (KRC) के रूप में चयन किया है।
गांव में दीर्घकाल तक ग्रामीण जलापूर्ति और स्वच्छता सेवाओं तथा सुनिश्चित सेवा सुपुर्दगी से संबंधित आवर्ती व्यय पूरा करने के लिए उत्तरोत्तर वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप सेवा प्रभागों की भरपाई के लिए राज्यों में ठोस प्रचालन और अनुरक्षण नीति लागू करने पर जोर दिया जा रहा है।
बॉटम-अप अवधारणा का अनुसरण करते हुए आशा है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत/ और या इसकी उप समिति अर्थात ‘ग्राम जल एवं स्वच्छता' समिति (वीडब्ल्यूएससी) / पानी समिति स्थानीय जन उपयोगिताओं के रूप में कार्य करती है। जो केवल अवसंरचना सृजन की अपेक्षा सेवा सुपुर्दगी पर ध्यान केंद्रित करने के साथ नियमित और दीर्घकालिक आधार पर ग्राम जल आपूर्ति तथा स्वच्छता सेवाओं की योजना बना सकती है, उन्हें मंजूरी दे सकती है, कार्यान्वित कर सकती है, उनका प्रबंधन कर सकती है, संचालित कर सकती है और उसकी देखरेख कर सकती है। जलापूर्ति स्कीमों को सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायतें अथवा उनकी उप समितियां उचित रूप से संचालित तथा अनुरक्षित की जाती हैं। और उनकी पिछली डिजाइन अवधि अर्थात अगले 30 वर्ष तक वह कार्य कर सकती हैं। और गांव में ओडीएफ के स्थायित्व को बनाए रखने के लिए तथा ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के लिए स्वच्छता पर किए गए निवेश को सुनिश्चित करने के लिए उनका दीर्घकालिक आधार पर उपयोग किया जाता है।
इसलिए प्रत्येक गांव को पेयजल स्रोतों के सुदृढ़ीकरण, जलापूर्ति, ग्रे-वाटर उपचार और इसके पुनर्उपयोग प्रचालन एवं अनुरक्षण ठोस तथा तरल कचरा प्रबंधन आदि के महत्वपूर्ण घटकों को शामिल करके 15वें वित्त आयोग की अवधि के समतुल्य एक पंचवर्षीय ग्राम कार्य-आयोजना तैयार करने की आवश्यकता है। यह कार्य-आयोजनाएं ग्राम पंचायत विकास आयोजनाओं का भाग होंगी।
यह महत्वपूर्ण है कि गांव में सृजित जलापूर्ति स्कीमें और स्वच्छता सुविधाएं दीर्घकालिक आधार पर संचालित होती रहें और ग्राम पंचायत अथवा इसकी उपसमिति उनका प्रबंधन करें। संविधान में 73वें संशोधन के अनुसार ग्राम पंचायतों को गांव में इन दो बुनियादी सेवाओं का प्रबंधन करने की शक्ति प्रदान की गई है। जिन्हें पंचायतों के महत्वपूर्ण कार्यों के रूप में माना जाता है। इस सशर्त अनुदान ने ग्राम पंचायतों को स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने के लिए एक स्वर्णिम अवसर प्रदान किया है। यह जमीनी स्तर पर उत्तरदायित्व और अनुक्रियाशील नेतृत्व विकसित करने में सहायक होगा। सशक्तिकरण की यह प्रक्रिया सरकार के इस सिद्धांत अर्थात सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के अनुरूप है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री जी द्वारा पिछले स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम उनके संबोधन में की गई थी।
जल और स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग के सशर्त अनुदानों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण स्थानीय निकायों/ ग्राम पंचायतों को प्रत्येक परिवार, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्र, आश्रम शालाओं, पीएचसी, सीएचसी, सामुदायिक केंद्रों, बाजार स्थलों, खेल के मैदानों आदि पर दीर्घकालिक और नियमित आधार पर स्वच्छ जल आपूर्ति, ग्रे-वाटर प्रबंधन, ठोस कचरा प्रबंधन, खुले में शौच मुक्त की स्थिति का अनुरक्षण तथा गांव में बेहतर स्वच्छता के लिए जिम्मेदारी वहन करने के लिए समर्थ बनाना है। 15वें वित्त आयोग का सशर्त अनुदान आशयित निष्कर्षों अर्थात जल-जनित बीमारियों में कमी तथा बेहतर स्वास्थ्य, स्कूलों को छोड़ने में कमी, कठोर परिश्रम में कमी आदि के साथ वास्तविक आउटपुट प्राप्त करने में सहायक होगा।
जल और स्वच्छता के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं को सशर्त अनुदान का राज्यवार आबंटन (2021-22 से 2025-26 तक)