समस्या जल नहीं, जल विभाग है

Submitted by Shivendra on Sat, 01/15/2022 - 17:41
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चरखा फीचर

फोटो - India Water Portal flicker

कहा जाता है कि जल ही जीवन है. आखिर जल जीवन हो भी क्यों न. कपड़े धोने से लेकर खाना बनाने तक और नहाने से लेकर अपनी प्यास बुझाने तक हमें पानी की आवश्यकता पड़ती है, यानि पानी के बिना ज़िन्दगी जीना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. इंसान से लेकर सभी जीव जंतु और पेड़ पौधे तक पानी बिना अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह हैं. इसीलिए प्रकृति ने भी इसकी महत्ता को समझते हुए धरती पर भूमि से अधिक जल का भंडार दिया है. धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर में भी प्राकृतिक जल स्रोत के माध्यम से पानी की कोई कमी नहीं है. जम्मू के सीमावर्ती जिला पुंछ से केवल पांच किमी दूर मंगनार गांव में भी कुदरत की ओर से पानी की कोई समस्या नहीं थी. लेकिन अब पानी यही समस्या लोगों की परेशानियों का कारण बनता जा रहा है. यह समस्या प्रकृति की ओर नहीं बल्कि लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने वाले जल विभाग की ओर से हो रही है।

 

वहां कुदरत की ओर से तो पानी पर कोई पाबंदी नहीं है. पानी का जो मुख्य स्त्रोत है, वहां पानी की रत्ती भर भी कमी देखने को नहीं मिलती. क्योंकि गांव में पानी के मुख्य तीन स्रोत हैं, जिसमें दो स्त्रोत तो कुदरती हैं। परन्तु एक लिफ्ट स्कीम का है. वहां से पूरे मंगनार में सप्लाई होती थी. परन्तु अब पानी की सप्लाई केवल मोहल्ला कलाई, टेम्पल मोहल्ला, लोपारा और बगलाया के कुछ घरों में ही होती है. लिफ्ट स्कीम लगने से पहले मंगनार गांव में पानी की कमी बिलकुल भी नहीं होती थी. भला जहां तीन तीन स्रोत हों और छोटा सा गांव हो, वहा कमी आयेगी भी कैसे? पानी के इन तीन स्रोतों को गांव के अलग अलग हिस्सों में बांटा गया. जिसके बाद कुछ हिस्सों को छोड़कर सभी जगह पानी की समस्या शुरू हो गई. वास्तव में आज भी गांव में कमी पानी की नहीं है. कमी है तो जल शक्ति विभाग की. जिसके कारण पानी के लिए लोगो को समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं।

 

इस संबंध में टेम्पल मोहल्ला निवासी हरीश वर्मा का कहना है कि यहां पर पिछले 2 सालों से वर्क सुपरवाइजर को नहीं देखा गया है. जब लोगों को बहुत अधिक पानी की समस्या होने लगी तो उन्होंने विभाग के अधिकारी से मुलाकात की. उसके बाद वर्क सुपरवाइजर तीन चार बार आए, परंतु समस्या का कोई स्थाई हल नहीं निकल सका. उन्होंने कहा कि इस समस्या की मुख्यतः दो वजह है, पहली वजह है पाइप टूटी होने के कारण जगह-जगह से पानी का लीक होना, जिसकी वजह से लोगों को पानी आगे नहीं पहुंच पाता है. दूसरी बात कुछ लोगों पर यह आरोप है कि वह पीने के इस पानी का उपयोग अपने खेत को सींचने में करते हैं. जिसकी वजह से आगे के लोगों को पानी नहीं मिल पाता है. हालांकि इस आरोप में कोई सच्चाई नहीं है क्योंकि गांव में जो व्यक्ति सब्जी की खेती करते हैं उन्हें सरकार के द्वारा छोटे-छोटे तालाबों की व्यवस्था उपलब्ध करवाई गई है। इसके अतिरिक्त वह सिंचाई के लिए बारिश के पानी का भी इस्तेमाल करते हैं. हरीश ने कहा कि जिन लोगों पर यह आरोप लगाया जा रहा है, वह स्वयं पानी की समस्या से जूझ रहे हैं तो भला ऐसे में वह इसका उपयोग सिंचाई में कैसे कर सकते हैं? वह लोग खुद पीने का पानी एक किमी दूरी से लाते हैं।

 

गांव में पानी की समस्या का सबसे नकारात्मक प्रभाव महिलाओं और किशोरियों पर पड़ा है. इससे जहां महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है वहीं किशोरियों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. किशोरियों को अपनी पढ़ाई छोड़कर पानी के लिए दूर दूर जाना पड़ रहा है. लड़कियां सर पर पानी ढ़ोकर ला रही हैं. दूर दराज के लोग घोड़ों के द्वारा पानी अपने घर पहुंचा रहे हैं और कुछ लोग ऑटो में भर कर पीने के पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. जब यहां के लोग जल विभाग के जेईई से मिले और बात की तब वह स्वयं गांव में पहुंचे और सारी स्थिति को देखा फिर उन्होंने जो लाइनमैन काम नहीं कर रहा था उसकी जगह पर दूसरा लाइनमैन भेजा, हालांकि वह जल विभाग में स्थाई कर्मचारी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उसने लोगों तक पानी पहुंचाने की पूरी कोशिश की, जिसका स्थानीय निवासियों को काफी लाभ भी हुआ।

 

हरीश कुमार ने मांग किया कि सबसे पहले पानी की सभी पाइपलाइन को अभी रिपेयर की जाए और विभाग द्वारा पानी की सप्लाई तथा बिल देने में पारदर्शिता अपनाई जाए क्योंकि विभाग के सुपरवाइजर कुछ लोगों को बिना कोई बिल काटे हुए पानी का कनेक्शन दे रहे हैं, परंतु जो लोग ईमानदारी से बिल अदा कर रहे हैं उनके घर तक नाममात्र का कनेक्शन पहुंचाया गया है. जिसकी गहराई से जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि आखिर बिना बिल अदा किये मेन पाइप से लोगों को कनेक्शन कैसे मिल जाता है? जबकि हमारे जैसे कई लोग हैं जो समय पर बिल अदा करते हैं, इसके बावजूद भी हमें उचित कनेक्शन क्यों नहीं मिलता है? उन्होंने कहा कि पानी की कमी का सामना पूरा मोहल्ला कर रहा है. जिस जगह थोड़ा भी पानी आता है तो लोग अपनी दैनिक दिनचर्या की पूर्ति के लिए उस जगह पानी भरने के लिए टूट पड़ते हैं, ऐसे में सबसे अधिक महिलाओं को समस्या का सामना करना पड़ता है. मात्र कुछ घंटे की धीमी सप्लाई में सभी की पूर्ति नहीं हो पाती है. जिससे लड़ाई झगड़े की नौबत आ जाती है. अक्सर ऐसे समय में नलों पर दबंग परिवारों का कब्ज़ा रहता है, जिससे कई लोग पानी भरने से वंचित रह जाते हैं।

 

वहीं वार्ड न. 3 मोहल्ला लोपारा के रहने वाले अशोक कुमार के अनुसार इस समस्या को लेकर क्षेत्र के लोग पंच परमजीत सिंह और सरपंच सुखदेव राज के साथ मिलकर जल शक्ति विभाग के उच्च अधिकारी से मिलकर समस्या के समाधान की गुहार लगा चुके हैं. हमने उच्च अधिकारियों को इस बात से अवगत कराया कि 2 साल से हमने वर्क सुपरवाइजर को कभी भी अपने गांव में आते नहीं देखा. उच्च अधिकारी द्वारा एक्शन लेते हुए सुपरवाइजर को कड़े निर्देश दिए गए और उनसे जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालने का निर्देश दिया गया है. अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए क्षेत्र में नया लाइनमैन भी भेजा है. पीने के पानी की बढ़ती समस्या पर अपनी बात रखते हुए वार्ड नंबर 1 की स्थानीय निवासी बुज़ुर्ग मूर्ति देवी ने बताया कि पानी की तंगी के चलते हमारा दिन रात एक है. पहले तो 15 दिन एक बूंद भी पानी नहीं आया. परंतु एक-दो दिन से जो थोड़ा-थोड़ा पानी आ रहा है वह पानी नहीं लड़ाई झगड़े का गढ़ बन चुका है. Covid-19 के इस महामारी में जब एक जगह भीड़ इकठ्ठी नहीं होनी चाहिए, ऐसे में यहां सभी नियमों की धज्जियां उड़ जाती हैं. दरअसल पानी इतने कम समय के लिए आता है कि लोग सारे नियमों को तोड़ कर पानी भरने के लिए टूट पड़ते है।

 

उन्होंने बताया कि मेरे घुटनों में बहुत तेज दर्द होता है, इसके बावजूद लाइनमैन नहीं होने के कारण एक किलोमीटर पीछे जाकर पहाड़ी पर मुझे मेन लाइन से पानी की वॉल्व खोलनी पड़ती है और जब मैं घर पहुंचती हूं तो दूसरे लोग अपने घरों का पानी खोल कर भरते रहते हैं. उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग के अधिकारियों द्वारा गंभीरता से ध्यान नहीं देने की वजह से क्षेत्र में पानी की समस्या लड़ाई का गढ़ बन चुका है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हमें अपने जानवरों के लिए पानी दूर से लाना पड़ता है. दिन भर पानी लाने की वजह से अन्य ज़रूरी काम रह जाते हैं. ऐसे में विभाग का कर्तव्य है कि वह नियमित रूप से यहां लाइनमैन की देखरेख में पानी की सप्लाई को सुचारू रूप से करवाए ताकि सभी को समान रूप से पीने का पानी उपलब्ध हो सके.

 

बहरहाल इन समस्याओं का समाधान तभी संभव होगा ज़ब कोई लाइनमैन अपनी ड्यूटी अच्छे से निभा सकेगा. साथ ही जलशक्ति विभाग को भी अपनी ज़िम्मेदारियों को समझना होगा और लोगों की समस्याओं पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी. वास्तव में इस क्षेत्र में समस्या जल की नहीं बल्कि जल विभाग की लापरवाही की है. उस समस्या के अनदेखी की है. अब देखने वाली बात यह है कि जल विभाग ने जो इन लोगों को आश्वासन  दिया है, उस पर वह कितना खरा उतरता है या एक बार फिर से उनकी उम्मीदों पर पर पानी फिरता है।