पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरा विश्व चिन्ता में है। भारत की तरफ दुनियाभर की उम्मीद भरी नजर है। प्रगति और विकास के साथ पर्यावरण से सामंजस्य को भारत ने इस प्रयोग को शताब्दियों तक व्यवहार में उतारा है। आज कई किस्म का कूड़ा-कचरा पर्यावरण के समक्ष एक नई चुनौती बनकर खड़ा है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के जाने-माने चेहरे दीपक चैरसिया ने 2018 में कूड़ा धन किताब लिखी थी जो काफी चर्चित रही। इसमें वेस्ट टू वेल्थ यानी कूड़े से धन अर्जित करने के व्यावहारिक तरीके बताए गए हैं। कूड़े के अर्थशास्त्र से जीवन को कैसे समृद्ध और पर्यावरण को जीवनदायी बनाया जा सकता है, इस पर अजय विद्युत ने दीपक चौरसिया से बातचीत की।
- पर्यावरण के लिए कूड़ा या अपशिष्ट कितना बड़ा खतरा है?
हमें चीजों को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। हम किसी को पानी न दे पाएँ, सड़क न दे पाएँ, बिजली न दे पाएँ तो चल जाता है, लेकिन अगर हम किसी को सांस लेना भी मुहैया नहीं करा पाएँगे तो यह बहुत दिक्कत वाली बात है। हमें यह देखना पड़ेगा कि हम आने वाली पीढ़ी को क्या देकर जा रहे हैं। अगर उनके पास ऐसी हवा भी न हो जिसमें वे सांस ले पाएँ। मैंने कूड़ाधन शीर्षक से पुस्तक लिखी है जिसमें बताया है कि मुझमें कब यह विचार आया कि हमें कूड़े-कचरे के ऐसे निस्तारण पर व्यावहारिक रूप से काम करना चाहिए जिससे पर्यावरण की भी रक्षा हो और व्यक्ति कुछ धन भी अर्जित कर सके। दिल्ली का ही सन्दर्भ लें, तो पिछले तीन-चार साल से हमने देखा है कि आस-पास कैसा खतरा पैदा हो जाता है, जब कोहरा होता है और उसके साथ धुंआ (स्मॉग) आ जाता है। जब पराली जलने लगती है तो दिल्ली की हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इतनी प्रदूषित है हमारी हवा। मुझे लगता है कि इन तमाम चीजों के बारे में हमें समग्रता से सोचना पड़ेगा।
- समग्रता से सोचने का क्या अर्थ है?
जैसे हम घर के अन्दर कचरे का न उत्पाद करें। घर का कचरा जैसे घर का बचा-खुचा खाना, घर से निकलने वाले कूड़े-करकट का घर के अन्दर ही निस्तारण कर दें। इसकी कई विधियाँ मौजूद हैं। हमें यहाँ से शुरुआत करनी चाहिए। फिर हमको आना चाहिए अपने मोहल्ला स्तर पर। अगर रेजिडेंशियल वेल्फेयर एसोसिएशन इस काम में जुड़कर काफी काम कर सकती हैं। उसके बाद हमें उस क्षेत्र पर आना चाहिए जिसमें हम रह रहे हैं, क्योंकि हमने देखा है कि यह समस्या शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बराबर है। तो हमें न केवल घर के कचरे की चिन्ता करनी है बल्कि उद्योगों के कचरे का भी प्रबंध करना है। इस कचरे का निस्तारण इस तरह से होना चाहिए जिससे पर्यावरण का भी संरक्षण हो और उसे धन समृद्धि (चाहे वह पैसे के रूप में हो या अन्य उपयोगी उत्पाद के रूप में) रूपान्तरित किया जा सके।
- यह कितना प्रभावशाली होगा ?
मेरे विचार में अगर हम इस तरह से काम करेंगे तो इसके काफी सकारात्मक परिणाम निकलेंगे, क्योंकि अगर सबको इस बात का पता लग गया कि कूड़े-कचरे में भी पैसा है तो कोई भी कूड़े को फेंकना नहीं चाहेगा और वे कूड़ा इकट्ठा कर धन कमाना चाहेंगे। एक छोटे से बच्चे ने मुझे बहुत अच्छा सुझाव दिया था। उसने कहा कि जब हम कूड़ेदान में कूड़ा डालने जाते हैं कि कूड़े को रीसाइकिल कर कुछ तो निकल आता है। उसने कहा कि कूड़ेदान में कूड़ा डालते वक्त इस तरह का प्रावधान हो कि अगर मैंने इतना कूड़ा डाला है तो (जैसे हम रद्दी बेचते हैं उसी तरह) कूड़ेदान से हमें यह पता चल जाए कि कूड़े के बदले हमें इस राशि के प्वाइंट मिल गए हैं। अगर कोई नगर निगम, नगरपालिका या बड़ी कंपनी इस तरह का प्रयास करती है तो यह बहुत अच्छा प्रयास हो सकता है और हम कूड़े के अर्थशास्त्र को अपनी जेब से जोड़ सकेंगे। निश्चित रूप से इसके बहुत अच्छे परिणाम आएँगे।
- कूड़ा तो पर्यावरण के लिए समस्या है ही, लेकिन उसका निस्तारण कई बार ऐसे तरीकों से करते हैं जो पर्यावरण को और प्रदूषित करता है।
हाँ, यह भी पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या है। नोएडा में एक बड़ा जन अभियान चल रहा है कि हमारे सेक्टर में कूड़ाघर न बने। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हमें निकासी के समय ही कूड़े को अलग-अलग कर यह तय कर लेना चाहिए कि किस कूड़े का क्या उपयोग हो सकता है। नई दिल्ली महानगरपालिका ने इस मामले में कुछ अच्छी पहल की है। चूंकि मैं दक्षिणी दिल्ली में रहता हूँ इसलिए मुझे उसका पता है। वे गाड़ी लेकर आते हैं और सूखा कूड़ा व गीला कूड़ा अलग-अलग कूड़ेदानों में लेकर जाते हैं। इंदौर को देश का सबसे साफ शहर माना जाता है। वहाँ भी इसी प्रकार की पहल की गई है। कूड़े निस्तारण स्रोत या निकासी के साथ ही हो जाना चाहिए। दूसरा काम है उसमें तमाम चीजों को अलग करना। जैसे प्लास्टिक की बोतल अलग कर लीं। उनसे हम पेट्रोल बना सकते हैं। फिर प्लास्टिक का पुनः इस्तेमाल हो सकता है। इस तरह जो कूड़ा हम फेंक रहे हैं, उसमें देख लें कि पहले गीला कूड़ा, सूखा कूड़ा, फिर प्लास्टिक कूड़ा, बचा-खुचा खाना, जूट और इस तरह उसे अलग कर लें, तो जहाँ-जहाँ उसका इस्तेमाल होता है वह हम कर सकते हैं। इससे हम पैसा भी कमा सकते हैं। हम अपने घर में अखबार की रद्दी क्यों इकट्ठी करते हैं, उसे रोज फेंक क्यों नहीं देते। क्योंकि हमें पता है कि रद्दीवाला आएगा, रद्दी ले जाएगा और उसके कुछ पैसे देकर जाएगा।
- क्या इस तरह की व्यवस्था करना आसान है ?
लोगों ने इस तरह के प्रयोग किए हैं। एक हेयर कटिंग सैलून में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक प्रयोग किया था जिसे अब कई लोग कर रहे हैं। मनुष्य के बालों से अमीनो एसिड बनता है और अमीनो एसिड धरती की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है। बागवानी, हार्टीकल्चर जैसे कई कामों में और कहीं-कहीं उद्योगों में भी अमीनो एसिड का इस्तेमाल होता है। हम बालों की सहायता से अमीनो एसिड बना सकते हैं। इसे लेकर गडकरी जी ने प्रयोग किया। वे हेयर कटिंग सैलूनों में जाने लगे और जब काफी मात्रा में बाल मिले और अमीनो एसिड का धंधा चल निकला तो उन्होंने नागपुर के आस-पास जितने भी हेयर कटिंग सैलून थे, उनसे कहा कि आप कटे हुए बालों को इकट्ठा करें और उन्हें एक पैकेट में रखे। फिर एक आदमी पैकेट ले जाता था और उनको बाल की कीमत के हिसाब से पैसे देता था।
तिरुपति बालाजी देवस्थानम् में लोग अपने बालों का दान कर ईश्वर को तर्पण करते हैं और पूजा विधि सम्पन्न करते हैं। वहाँ बालों का सबसे बड़ा कारोबार है। वे उन बालों को दुनियाभर में बेचते हैं जिससे करोड़ों की कमाई होती है। मैं केवल अमीनो एसिड की बात नहीं कर रहा हूँ। इन बालों का इस्तेमाल कई कामों में होता है। सबसे पहला इस्तेमाल होता है विग बनाने में। दूसरा, पूरी दुनिया में बालों पर इस्तेमाल किए जाने वाले सौन्दर्य उत्पादों की प्रयोगशाला जांच (लैब टेस्टिंग) के लिए कम्पनियों को समय≤ पर और बड़ी मात्रा में मनुष्य के बालों की जरूरत होती है। क्योंकि उन पर परीक्षण के उपरांत ही वे अपना उत्पाद बाजार में उतारती हैं। तो ऐसी कई जगहें हैं जहाँ मनुष्य के बालों की जरूरत होती है। तो इस प्रकार हम अगर ऐसे कूड़े को रोजगार उन्मुख बनाएँगे और देखेंगे कि इस कूड़े से भी हमें धन मिल सकता है तो अभी जो ज्यादातर लोग हेयर कटिंग सैलून आदि में बाल फेंक देते हैं, वह नहीं करेंगे। बिहार में गया में श्राद्ध पक्ष में हजारों लोग अपने पितरों का तर्पण करने आते हैं और मुंडन कराते हैं। अगर तिरुपति जैसी व्यवस्था गया में भी हो जाए तो यह अच्छी बात होगी। तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट दान में मिले बालों की नीलामी कर हर साल 200 करोड़ रुपए से अधिक कमाता है और यह आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। बालों की लम्बाई के आधार पर कीमत तय होती है।
- कुछ और लोग या संस्थाएँ भी इस काम में संलग्न हैं?
हाँ, एक अन्य केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस दिशा में काफी काम किया है। वे अपने घर पर भी बालों से अमीनो एसिड बनाते हैं और खादी ग्रामोद्योग से जुड़ी कई संस्थाएँ भी बालों से अमीनो एसिड बनाकर बेचती हैं। वर्धा की एक संस्था भी इस काम को आगे बढ़ा रही है और साथ ही लोगों को जागरूक कर रही है।
- सुनने में तो अच्छा लगता है कि कूड़े को पैसा कमाने का जरिया बनाया जा सकता है। क्या इसे आम आदमी की व्यावहारिक जिंदगी में उतारना सम्भव है ?
बिल्कुल है। हमें कूड़े को अर्थशास्त्र के साथ जोड़ना होगा और जिस दिन हमने यह कर लिया, उसके अत्यन्त उत्साहजनक परिणाम सामने आएँगे। यह पर्यावरण की रक्षा में एक बड़ा योगदान होगा।
TAGS |
what is hair, 1kg hair price in india, hair structure in hindi, hair boy, hair style in hindi, hair c, hair structurehair business in india, hair business in africa, hair business ideas, hair business in nigeria, hair business name generator, hair business websites, hair business in tirupati, hair business in india, hair business in chennai, hair business cards, hair business in india, human hair business in india, waste hair business in india, hair oil companies in india, use of waste hair, use of waste hairs, uses of waste hair, use of waste human hair, uses of waste human hair, best use of waste hair pins, how to use waste hair, money from garbage, make money from garbage, ways to make money from garbage, how to earn money from garbage, making money from garbage, get money from garbage, money garbage image, money garbage bags, how to make money from garbage in india, types of waste management, waste management project, waste management in india, waste management pdf, importance of waste management, waste management in english, waste management model, solid waste management, waste management in india, waste management project, waste management in dehradun, waste management introduction, waste management pdf, waste management ppt, waste management wikipedia, waste management in hospital, waste management essay, types of solid waste management, solid waste management definition, solid waste management pdf, solid waste management ppt, solid waste management wikipedia, solid waste management rules 2016, solid waste management techniques, solid waste management in hindi, solid waste in india statistics, solid waste in india, solid waste management in india, solid waste management in india, options and opportunities, solid waste management in india pdf, solid waste generation in india, solid waste management in india ppt, municipal solid waste in india, solid waste management in india research papers, solid waste management companies in india, garbage collection in php, garbage collection in c# garbage collection and compaction in data structure, garbage collection in data structure, garbage collection in java, garbage collection in java in hindi garbage collection is.net, garbage collection optimization in c#, garbage collection in c# in hindi, garbage collection in data structure in hindi waste management, deepak chaurasia, interview of deepak chaurasis, life of deepak chaurasia, types of waste management, waste management project, waste management in english, how to reuse garbage disposal, how to reuse garbage how to reuse garbage at home, how to reuse trash, how to reuse household garbage, how to reduce reuse and recycle garbage, how to reuse trash can, how to reuse plastic garbage, how to reuse old garbage, how to stop reuse garbage./span> |