नई दिल्ली। मैली यमुना में छठ पर श्रद्धालु यमुना में डुबकी न लगाएं, क्योंकि नदी के जल में मौजूद प्रदूषक तत्व से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला बैराज तक कुल 22 किलोमीटर यमुना सर्वाधिक प्रदूषित है। इसके बीच बहती यमुना का जल स्नान योग्य नहीं है। नदी के जल में मौजूद कालीफार्म बैक्टीरिया मानव शरीर के लिए खतरनाक है। इसके प्रभाव से आंत्रशोथ, टाइफाइड, चर्म रोग व अन्य जलजनित रोग हो सकते हैं।
यमुना किनारे जितने छठ पूजा घाट बने हैं, वे वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच हैं, जबकि वजीराबाद बैराज की निचली धारा से ओखला बैराज तक यमुना का दिल्ली स्ट्रेच अत्यधिक प्रदूषित है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में यमुना का जल पीने तो दूर, स्नान योग्य भी नहीं है। लिहाजा श्रद्धालुओं को सलाह है कि वे यदि यमुना में ही स्नान करना चाहें तो उन्हें वजीराबाद पुल से पहले ही डुबकी लगानी चाहिए, अन्यथा वे घर से ही स्नान कर घाट पर पहुंचें। क्योंकि दिल्ली में वजीराबाद से ओखला बैराज तक यमुना के जल में कालीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी स्नान के दौरान लोगों को कई तरह की, मसलन-आंत्रशोथ, टाइफाइड, चर्म रोग व जलजनित बीमारियां दे सकती हैं। प्रदूषक तत्व बीओडी स्नान के दौरान मानव शरीर पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ता, लेकिन कालीफार्म बैक्टीरिया घातक है। इसलिए इस जल में स्नान नहीं करना चाहिए।
यमुना में कुल प्रदूषण भार का 79 फीसदी योगदान दिल्ली द्वारा किया जाता है। राजधानी में प्रवेश करते ही वजीराबाद के पास नजफगढ़ ड्रेन की गंदगी यमुना को प्रदूषित करती है। घरेलू व औद्योगिक स्रोतों से उपचारित, आंशिक उपचारित अथवा अनुपचारित अपशिष्ट जल वाले ऐसे कुल 22 नाले हैं जो सीधे यमुना में गिरते हैं और उसमें प्रदूषक तत्वों के जरिये गंदगी फैलाते हैं। चार अन्य नाले नहरों में गिरते हैं। इन नालों के जरिये 2933 मिलीयन लीटर प्रतिदिन अपशिष्ट जल यमुना में जाता है जिसमें से करीब पचास फीसदी केवल नजफगढ़ ड्रेन का योगदान है। इन नालों से अपशिष्ट जल का यमुना में प्रवाह 41.49 घनमीटर प्रति सेकेंड का है। यमुना के प्रदूषण में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग व कालीफार्म मुख्य प्रदूषक तत्व हैं जो दिल्ली में इस जल को न तो स्नान योग्य और न ही पीने योग्य रहने देते हैं। नालों के अपशिष्ट जल से यमुना में कुल जैव रासायनिक आक्सीजन मांग बीओडी भार प्रतिदिन 240.37 टन प्रतिदिन बढ़ जाता है। कालीफार्म में कुल कालीफार्म व फीकल कालीफार्म दो श्रेणी है। नालों से बहती गंदगी से काफी उच्च कार्बनिक प्रदूषण भार प्रवाहित होता है जो नदी जल में मिश्रित होने के बाद पहले से ही कम घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को और अधिक कम कर देता है जिसके परिणाम स्वरूप अकार्बनिक स्थिति उत्पन्न होती है और इसमें बैक्टीरिया पनपते हैं।
यमुना में अपशिष्ट जल का प्रवाह
2933 मिलियन लीटर प्रति दिन
41.49 घनमीटर प्रति सेकेंड
कुल कालीफार्म का स्तर
न्यूनतम 530000 प्रति 100 मिलीलीटर
अधिकतम 340000000 प्रति 100 मिलीलीटर
फिकल कालीफार्म का स्तर
न्यूनतम 160000 प्रति 100 मिलीलीटर
अधिकतम 46000000 प्रति 100 मिलीलीटर
साभार / स्त्रोत - www.pressnote.in