250 वायरस प्रजातियां ही करती हैं इंसान पर हमला

Submitted by Shivendra on Sat, 04/04/2020 - 09:50
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न्यूयाॅर्क टाइम्स, न्यूयाॅर्क सर्विस

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पिछले दो दशकों में सार्स, मर्स, इबोला, निपाह के बाद अब कोरोनावायरस ने दुनिया को हिला कर रख दिया है। एक के बाद एक सामने आ रहे खतरनाक वायरस को लेकर वैज्ञानिकों के हाथ भी बंधे दिखते हैं। दरअसल धरती पर करीब 10 खरब ऐसे वायरस हैं, जिनके नाम तक हमें मालूम नहीं। यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल इस विविध विषाणु मंडल के करीब 7000 प्रजातियों के नमूने जुटाए जा सकें हैं। दुनिया के सबसे खतरनाक वायरसों में शुमार इबोला और कोविड-19 पर शोधरत प्रसिद्ध वैज्ञानिक शार्ट डाएट्रिक का कहना है कि अभी वायरसों के बारे में बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है।

100 साल पहले भी मास्क और सामाजिक दूरी

1918 में स्पेन से फैले फ्लू के दौरान भी हालात अभी ऐसे ही थे। लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य किया गया था और सामाजिक दूरी का पालन किया जा रहा था। दुनिया भर में करीब 5 करोड़ लोगों की जान गई थी। 15 महीने के दौरान अकेले भारत में 1 करोड़ 80 लाख लोग मारे गए थे। कोरोना वायरस के कहर बीच 100 साल पुरानी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है।

6828 को जातियों का ही नामकरण

17 वी सदी के अंत में वायरसों की खोज के बाद यह पता चला कि रेबीज और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के कारण यह विषाणु ही हैं। दशकों की मेहनत के बाद भी 6828 प्रजातियों का नामकरण हो सका है। हालांकि इसके मुकाबले कीटविज्ञानशास्त्रियों ने कीटों की 3 लाख 80 हजार प्रजातियों का नामकरण करने में सफलता हासिल की है।

शुरुआत.... समुद्र में 15 हजार वायरस

हाल के वर्षों में वैज्ञानिक वायरस के सैंपल में जेनेटिक पदार्थ और उन्नत कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए जीन का पता लगाते हैं। अमेरिका की ओहिया स्टेट यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ मैथ्यू सुलिवैन और उनके साथियों ने 2016 में समुद्र के अंदर 15 हजार से ज्यादा वायरसों की पहचान की। उन्होंने 2 लाख नए वायरस ढूंढे।

कोरोना की है 39 प्रजातियां

कोरोना वायरस की 39 प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन की खोज के बाद मौजूदा महामारी को कोरोनावायरस डिजीज 2019 या कोविड-19 नाम दिया। इस वायरस में और सार्स में अनुवांशिक समानताएं हैं। मार्च में इंटरनेशनल कमिटी ऑन टेक्सोनॉमी ऑफ वायरसेज ने कहा कि ये दोनों वायरस एक ही प्रजाति से है। सार्स फैलाने वाले वायरस को सार्स कोव के रूप में जाना जाता है। इसलिए ‘कोविड-19’ को ‘सार्स कोव 2’ कहते हैं।


 

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