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नेशनल दुनिया, 21 अक्टूबर 2012
राजस्थान में जहां पारंपरिक जलस्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ है वहीं, वृहद, मध्यम एवं लघु पेयजल परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से लोगों को पेयजल उपलब्ध हुआ है। सरकार ने 23 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की घोषणा की है।
प्रदेश में जहां पारंपरिक जलस्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ है। वहीं वृहद, मध्यम एवं लघु पेयजल परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से लोगों को पेयजल उपलब्ध हुआ है। पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थल की गोद में बसे बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में पेयजल परियोजनाओं ने इस क्षेत्र की प्यास बुझाने के साथ ही यहां विकास के नए द्वार खोले हैं। राजस्थान जैसे वृहद राज्य में कठिन भौगोलिक परिस्थितियां और पानी की कमी के बावजूद यहां के जनजीवन में कभी भी मायूसी का माहौल नहीं रहा। यहां कि महिलाएं सिर पर मटकी रखे मीलों चलकर पानी लाती रही हैं। पानी के लिए यहां के लोग सदैव ही इंद्रदेव की मेहरबानी के लिए दुआएं करते रहे हैं। इतने बड़े राज्य में देश में उपलब्ध पानी का मात्र एक प्रतिशत हिस्सा ही मौजूद है। ऐसे में पानी के महत्व को मरुधरा के लोगों से बेहतर कौन जान सकता है लेकिन समय बदलने के साथ ही पेयजल का परिदृश्य भी बदलने लगा है। यहां के शासन की दूरदृष्टि एवं श्रमजीवी लोगों की बदौलत दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित ‘इंदिरा गांधी नहर’ परियोजना का सपना साकार हुआ है। अब हिमालय का पानी मरुधरा में खेतों को सरसब्ज कर रहा है, वहीं लोगों को पीने का पानी भी मुहैया हुआ है। मरुस्थल की भाग्य रेखा इस नहर ने रेगिस्तान को नखलिस्तान बनाने की मुहिम आगे बढ़ाई है।
समय के साथ पूरे प्रदेश में पेयजल परियोजनाएं बनती रही हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पानी के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने की मंशा से लोगों को सदैव पानी बचाने के लिए प्रेरित किया है। प्रदेश में जहां पारंपरिक जलस्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ है। वहीं वृहद, मध्यम एवं लघु पेयजल परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से लोगों को पेयजल उपलब्ध हुआ है। गहलोत ने 2012-13 के अपने बजट भाषण में 3260 करोड़ रुपए लागत की 23 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की घोषणा की है। इन परियोजनाओं से बाड़मेर, चुरू, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली, नागौर से लेकर भरतपुर, कोटा, झालावाड़ तक पेयजल की प्रचुर उपलब्धि सुनिश्चित होगी। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा बजट घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने का कार्य द्रुतगति से शुरू करवा दिया गया है।
पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थल की गोद में बसे बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में पेयजल परियोजनाओं ने इस क्षेत्र की प्यास बुझाने के साथ ही यहां विकास के नए द्वार खोले हैं। वर्ष 2012-13 के बजट में बाड़मेर, जैसलमेर जिले के पोखरण, सिवाना एवं बालोतरा कस्बे तथा 171 गांवों को लाभांवित करने के लिए पोखरण-फलसूंड परियोजना के द्वितीय चरण का कार्य सितंबर,2012 से प्रारंभ हो चुका है। इस महत्ती परियोजना पर 590 करोड़ रुपए का कार्य, समयबद्ध योजना के अनुसार आगामी 3 वर्षों में पूरे कर लिए जाएंगे। इसके लिए क्रमशः 111.95, 230.98 एवं 187.01 करोड़ रुपए के कार्यादेश दिए जा चुके हैं। बाड़मेर जिले के समदड़ी कस्बे और 180 गांवों को लाभांवित करने के उद्देश्य से 218 करोड़ रुपए की लागत से उम्मेद सागर धवा-समदड़ी परियोजना द्वितीय भाग का कार्य भी सितंबर में ही शुरू करवाया जा चुका है। इसके लिए 177.35 करोड़ रुपए का कार्यादेश जारी कर दिया गया है। जिले के अन्य 172 गंवों को लाभांवित करने के लिए बाड़मेर लिफ्ट परियोजना के प्रथम क्लस्टर का कार्य भी मौके पर शुरू करवाया जा चुका है जिसके लिए 167.99 करोड़ का कार्यादेश जारी किया गया है। परियोजना के तहत 260 करोड़ रुपए के कार्य प्रथम क्लस्टर के तहत करवाए जाएंगे। सभी कार्य आगामी तीन वर्षों में पूरे कर लिए जाएंगे।
मारवाड़ क्षेत्र में पाली जिले के तखतगढ़ कस्बे और क्षेत्र के 111 गांवों को लाभान्वित करने के लिए जवाई पाली परियोजना (प्रथम क्लस्टर कार्य) के लिए 88 करोड़ के कार्य करवाए जाने की बजट में घोषणा की गई थी। इसके तहत 142 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी किए गए हैं। सितंबर माह में यह कार्य भी प्रारंभ हो चुका है। सूर्य नगरी जोधपुर शहर की परियोजना का विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण के लिए 500 करोड़ रुपए की कार्य योजना के तहत 131.97 करोड़ रुपए का कार्यादेश जुलाई, 12 में जारी कर कार्य आरंभ करवा दिया गया। इसी प्रकार भरतपुर जिले के 97 गांवों के लिए भरतपुर-डीग-नगर-कांमा (रूपवास) जल वितरण प्रणाली के लिए 162 करोड़ रुपए के कार्य परियोजना के द्वितीय भाग के तहत 202.79 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर सितंबर माह में कार्य आरंभ कर दिए गए। इसी प्रकार नागौर जिले के मूंडवा, कुचेरा एवं मेड़ता कस्बों तथा 327 गांव के लिए नागौर लिफ्ट परियोजना फेज-प्रथम (तृतीय एवं चतुर्थ क्लस्टर के कार्य) आगामी तीन वर्षों में पूरे किए जाएंगे।
इन कार्यों के लिए क्रमशः 324.91 तथा 189.48 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर जुलाई माह में इनके कार्य आरंभ कर दिए गए हैं। अजमेर जिले के 113 गांवों को लाभांवित करने के लिए अजमेर-पीसांगन परियोजना (52 करोड़ रुपए) के तहत गत जुलाई, 2012 में 59.47 करोड़ के कार्य शुरू करवाए गए हैं। शहरी जलापूर्ति परियोजना मकराना, नागौर के शेष कार्य के लिए क्रमशः 11.85 व 12.45 करोड़ रुपए के कार्य जुलाई माह में आरंभ हो चुके हैं। बारां जिले के अंता कस्बे और 42 गांवों के लिए नागदा, अंता, बलदेवपुरा परियोजना के तहत 57.10 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर सितंबर माह में इसका कार्य आरंभ कर दिया गया। हाड़ौती क्षेत्र में पेयजल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोटा जिले के 60 गांवों के लिए बोरावास मंडाणा परियोजना के तहत 90.47 करोड़ रुपए का कार्यादेश जारी किया गया है। इसके तहत 99 करोड़ रुपए के कार्य करवाए जाएंगे। झालावाड़ जिले के 30 गांवों हेतु भीमनी वाटर सप्लाई परियोजना के तहत 26 करोड़ रुपए के कार्यों को मूर्तरूप दिया जाएगा। विभागीय स्तर पर इसके लिए 24.47 करोड़ रुपए का कार्यादेश जुलाई माह में जारी कर कार्य आरंभ कर दिया गया था। इसी प्रकार झालावाड़ के डग कस्बे एवं 32 गांवों के लिए माधवी वाटर सप्लाई परियोजना के लिए भी 23.87 करोड़ रुपए का कार्यादेश जारी कर काम मौके पर शुरू करवा दिया गया है। परियोजना की लागत 28 करोड़ रुपए है।
पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर जिले के 107 गांव हेतु कोलायत-गजनेर जलापूर्ति योजना के द्वितीय भाग के कार्य पर 65 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। इस योजना के तहत अगस्त माह में 20.97 करोड़ के कार्यादेश जारी कर सितंबर, 12 माह में कार्य शुरू करवा दिए गए हैं। इसी प्रकार चुरू जिले के रतनगढ़, राजलदेसर, सुजानगढ़, छापर, बीदासर कस्बे तथा 444 गांवों को लाभांवित करने के लिए रतनगढ़-राजगढ़ आपणी ढाणी योजना के लिए जुलाई माह में 249.75 करोड़ के कार्यादेश जारी कर मौके पर काम शुरू करवाए गए हैं। इस महती परियोजना के तहत तीन वर्ष में कुल 325 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। टोंक, उनियारा एवं टोंक जिले के 436 गांवों को पेयजल से लाभांवित करने के लिए 320 करोड़ रुपए की लागत से बीसलपुर-टोंक-उनियारा परियोजना का कार्य हाथ में लिया गया है। इसके तहत 198.41 करोड़ रुपए के कार्यादेश अगस्त में जारी कर कार्य शुरू करवा दिए गए हैं।
भीलवाड़ा जिले को चंबल का पानी उपलब्ध करवाने के लिए 728 करोड़ रुपए की संशोधित परियोजना का नाबार्ड एवं राज्य आयोजना से वित्त पोषण करवाने का निर्णय लिया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत 473 करोड़ रुपए की लागत से आगामी तीन वर्षों में मेन ट्रांसमीशन लाइन का कार्य जून-जूलाई, 2012 में आरंभ हो चुका है। फिलहाल इसके लिए क्रमशः 289.90 व 287.25 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर दिए गए हैं।
पेयजल परियोजना के तहत इंदिरा गांधी नहर से माणकलाव-दांतीवाड़ा परियोजना के तृतीय भाग के अंतर्गत 74 करोड़ रुपए की लागत से पीपाड़ शहर एवं 32 गांवों को पेयजल उपलब्ध करवाने का कार्य हाथ में लिया गया है। इसके तहत 68.35 करोड़ रुपए के कार्य हाथ में लिए गए हैं। इस प्रकार प्रदेश में आगामी तीन वर्षों में 23 पेयजल परियोजना पर कुल 3260.74 करोड़ रुपए व्यय होंगे।
प्रदेश में जहां पारंपरिक जलस्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ है। वहीं वृहद, मध्यम एवं लघु पेयजल परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से लोगों को पेयजल उपलब्ध हुआ है। पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थल की गोद में बसे बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में पेयजल परियोजनाओं ने इस क्षेत्र की प्यास बुझाने के साथ ही यहां विकास के नए द्वार खोले हैं। राजस्थान जैसे वृहद राज्य में कठिन भौगोलिक परिस्थितियां और पानी की कमी के बावजूद यहां के जनजीवन में कभी भी मायूसी का माहौल नहीं रहा। यहां कि महिलाएं सिर पर मटकी रखे मीलों चलकर पानी लाती रही हैं। पानी के लिए यहां के लोग सदैव ही इंद्रदेव की मेहरबानी के लिए दुआएं करते रहे हैं। इतने बड़े राज्य में देश में उपलब्ध पानी का मात्र एक प्रतिशत हिस्सा ही मौजूद है। ऐसे में पानी के महत्व को मरुधरा के लोगों से बेहतर कौन जान सकता है लेकिन समय बदलने के साथ ही पेयजल का परिदृश्य भी बदलने लगा है। यहां के शासन की दूरदृष्टि एवं श्रमजीवी लोगों की बदौलत दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित ‘इंदिरा गांधी नहर’ परियोजना का सपना साकार हुआ है। अब हिमालय का पानी मरुधरा में खेतों को सरसब्ज कर रहा है, वहीं लोगों को पीने का पानी भी मुहैया हुआ है। मरुस्थल की भाग्य रेखा इस नहर ने रेगिस्तान को नखलिस्तान बनाने की मुहिम आगे बढ़ाई है।
समय के साथ पूरे प्रदेश में पेयजल परियोजनाएं बनती रही हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पानी के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने की मंशा से लोगों को सदैव पानी बचाने के लिए प्रेरित किया है। प्रदेश में जहां पारंपरिक जलस्रोतों का जीर्णोद्धार हुआ है। वहीं वृहद, मध्यम एवं लघु पेयजल परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से लोगों को पेयजल उपलब्ध हुआ है। गहलोत ने 2012-13 के अपने बजट भाषण में 3260 करोड़ रुपए लागत की 23 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की घोषणा की है। इन परियोजनाओं से बाड़मेर, चुरू, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली, नागौर से लेकर भरतपुर, कोटा, झालावाड़ तक पेयजल की प्रचुर उपलब्धि सुनिश्चित होगी। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा बजट घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने का कार्य द्रुतगति से शुरू करवा दिया गया है।
पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थल की गोद में बसे बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में पेयजल परियोजनाओं ने इस क्षेत्र की प्यास बुझाने के साथ ही यहां विकास के नए द्वार खोले हैं। वर्ष 2012-13 के बजट में बाड़मेर, जैसलमेर जिले के पोखरण, सिवाना एवं बालोतरा कस्बे तथा 171 गांवों को लाभांवित करने के लिए पोखरण-फलसूंड परियोजना के द्वितीय चरण का कार्य सितंबर,2012 से प्रारंभ हो चुका है। इस महत्ती परियोजना पर 590 करोड़ रुपए का कार्य, समयबद्ध योजना के अनुसार आगामी 3 वर्षों में पूरे कर लिए जाएंगे। इसके लिए क्रमशः 111.95, 230.98 एवं 187.01 करोड़ रुपए के कार्यादेश दिए जा चुके हैं। बाड़मेर जिले के समदड़ी कस्बे और 180 गांवों को लाभांवित करने के उद्देश्य से 218 करोड़ रुपए की लागत से उम्मेद सागर धवा-समदड़ी परियोजना द्वितीय भाग का कार्य भी सितंबर में ही शुरू करवाया जा चुका है। इसके लिए 177.35 करोड़ रुपए का कार्यादेश जारी कर दिया गया है। जिले के अन्य 172 गंवों को लाभांवित करने के लिए बाड़मेर लिफ्ट परियोजना के प्रथम क्लस्टर का कार्य भी मौके पर शुरू करवाया जा चुका है जिसके लिए 167.99 करोड़ का कार्यादेश जारी किया गया है। परियोजना के तहत 260 करोड़ रुपए के कार्य प्रथम क्लस्टर के तहत करवाए जाएंगे। सभी कार्य आगामी तीन वर्षों में पूरे कर लिए जाएंगे।
मारवाड़ क्षेत्र में पाली जिले के तखतगढ़ कस्बे और क्षेत्र के 111 गांवों को लाभान्वित करने के लिए जवाई पाली परियोजना (प्रथम क्लस्टर कार्य) के लिए 88 करोड़ के कार्य करवाए जाने की बजट में घोषणा की गई थी। इसके तहत 142 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी किए गए हैं। सितंबर माह में यह कार्य भी प्रारंभ हो चुका है। सूर्य नगरी जोधपुर शहर की परियोजना का विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण के लिए 500 करोड़ रुपए की कार्य योजना के तहत 131.97 करोड़ रुपए का कार्यादेश जुलाई, 12 में जारी कर कार्य आरंभ करवा दिया गया। इसी प्रकार भरतपुर जिले के 97 गांवों के लिए भरतपुर-डीग-नगर-कांमा (रूपवास) जल वितरण प्रणाली के लिए 162 करोड़ रुपए के कार्य परियोजना के द्वितीय भाग के तहत 202.79 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर सितंबर माह में कार्य आरंभ कर दिए गए। इसी प्रकार नागौर जिले के मूंडवा, कुचेरा एवं मेड़ता कस्बों तथा 327 गांव के लिए नागौर लिफ्ट परियोजना फेज-प्रथम (तृतीय एवं चतुर्थ क्लस्टर के कार्य) आगामी तीन वर्षों में पूरे किए जाएंगे।
इन कार्यों के लिए क्रमशः 324.91 तथा 189.48 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर जुलाई माह में इनके कार्य आरंभ कर दिए गए हैं। अजमेर जिले के 113 गांवों को लाभांवित करने के लिए अजमेर-पीसांगन परियोजना (52 करोड़ रुपए) के तहत गत जुलाई, 2012 में 59.47 करोड़ के कार्य शुरू करवाए गए हैं। शहरी जलापूर्ति परियोजना मकराना, नागौर के शेष कार्य के लिए क्रमशः 11.85 व 12.45 करोड़ रुपए के कार्य जुलाई माह में आरंभ हो चुके हैं। बारां जिले के अंता कस्बे और 42 गांवों के लिए नागदा, अंता, बलदेवपुरा परियोजना के तहत 57.10 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर सितंबर माह में इसका कार्य आरंभ कर दिया गया। हाड़ौती क्षेत्र में पेयजल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोटा जिले के 60 गांवों के लिए बोरावास मंडाणा परियोजना के तहत 90.47 करोड़ रुपए का कार्यादेश जारी किया गया है। इसके तहत 99 करोड़ रुपए के कार्य करवाए जाएंगे। झालावाड़ जिले के 30 गांवों हेतु भीमनी वाटर सप्लाई परियोजना के तहत 26 करोड़ रुपए के कार्यों को मूर्तरूप दिया जाएगा। विभागीय स्तर पर इसके लिए 24.47 करोड़ रुपए का कार्यादेश जुलाई माह में जारी कर कार्य आरंभ कर दिया गया था। इसी प्रकार झालावाड़ के डग कस्बे एवं 32 गांवों के लिए माधवी वाटर सप्लाई परियोजना के लिए भी 23.87 करोड़ रुपए का कार्यादेश जारी कर काम मौके पर शुरू करवा दिया गया है। परियोजना की लागत 28 करोड़ रुपए है।
पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर जिले के 107 गांव हेतु कोलायत-गजनेर जलापूर्ति योजना के द्वितीय भाग के कार्य पर 65 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। इस योजना के तहत अगस्त माह में 20.97 करोड़ के कार्यादेश जारी कर सितंबर, 12 माह में कार्य शुरू करवा दिए गए हैं। इसी प्रकार चुरू जिले के रतनगढ़, राजलदेसर, सुजानगढ़, छापर, बीदासर कस्बे तथा 444 गांवों को लाभांवित करने के लिए रतनगढ़-राजगढ़ आपणी ढाणी योजना के लिए जुलाई माह में 249.75 करोड़ के कार्यादेश जारी कर मौके पर काम शुरू करवाए गए हैं। इस महती परियोजना के तहत तीन वर्ष में कुल 325 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। टोंक, उनियारा एवं टोंक जिले के 436 गांवों को पेयजल से लाभांवित करने के लिए 320 करोड़ रुपए की लागत से बीसलपुर-टोंक-उनियारा परियोजना का कार्य हाथ में लिया गया है। इसके तहत 198.41 करोड़ रुपए के कार्यादेश अगस्त में जारी कर कार्य शुरू करवा दिए गए हैं।
भीलवाड़ा जिले को चंबल का पानी उपलब्ध करवाने के लिए 728 करोड़ रुपए की संशोधित परियोजना का नाबार्ड एवं राज्य आयोजना से वित्त पोषण करवाने का निर्णय लिया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत 473 करोड़ रुपए की लागत से आगामी तीन वर्षों में मेन ट्रांसमीशन लाइन का कार्य जून-जूलाई, 2012 में आरंभ हो चुका है। फिलहाल इसके लिए क्रमशः 289.90 व 287.25 करोड़ रुपए के कार्यादेश जारी कर दिए गए हैं।
पेयजल परियोजना के तहत इंदिरा गांधी नहर से माणकलाव-दांतीवाड़ा परियोजना के तृतीय भाग के अंतर्गत 74 करोड़ रुपए की लागत से पीपाड़ शहर एवं 32 गांवों को पेयजल उपलब्ध करवाने का कार्य हाथ में लिया गया है। इसके तहत 68.35 करोड़ रुपए के कार्य हाथ में लिए गए हैं। इस प्रकार प्रदेश में आगामी तीन वर्षों में 23 पेयजल परियोजना पर कुल 3260.74 करोड़ रुपए व्यय होंगे।