अभिलाषा

Submitted by Hindi on Fri, 10/10/2014 - 12:59
Source
साक्ष्य मैग्जीन 2002
मैं नहीं चाहती बनना
नदी का एक द्वीप
या रेत का टीला
नदी से कटा हुआ

मैं चाहती हूं नदी में डूबना
और उतराना
गहराई में जाना
छूना तल को
अंगुलियों से
महसूसना
हर अनगढ़ पत्थर को
हरी-हरी काई पर
फिसलना चाहती हूं

मैं लहरों की धड़कन बनना चाहती हूं
मैं चाहती हूं सांझ के संगीत को गुनगुनाना
गुनगुनी भोर को अपनी चेतना की नदी में डुबाना
काव्य के स्फुरण में भीगकर मैं
झरना बन जाचा चाहती हूं

मैं जीवन को छूना चाहती हूं
मैं जीवन बन जाना चाहती हूं