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ग्राहक साथी, अक्टूबर-नवम्बर 2015
आॅर्गेनिक (जैविक) खाद्य पदार्थ उनके प्रचारित स्वास्थ्य लाभ की वजह से देश में तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं। क्या वे सुरक्षित हैं? उनके स्वास्थ्य के दावे कितने सच हैं? भारत में आॅर्गेनिक खाद्य पदार्थों के लिये कोई गुणवत्ता मानक नहीं है। उपभोक्ता को कैसे यकीन हो कि वह जो उत्पाद खरीद रहे हैं वे सही मायने में आॅर्गेनिक हैं।
इनमें से कुछ सवालों के जवाब पाने के लिये, हमने कीटनाशकों के अवशेष (पेस्टिसाइड रेसिड्यू) और भारी धातुओं की उपस्थिति के लिये आॅर्गेनिक हल्दी पाउडर के छह राष्ट्रीय ब्राँड का परीक्षण किया। हमने तुलना के लिये दो नॉन-ऑर्गेनिक ब्रांड का भी परीक्षण किया। निष्कर्ष काफी चौंकाने वाले थे। नॉन-आॅर्गेनिक ब्रांड ने परीक्षण में बेहतर प्रदर्शन किया।
परीक्षण के चौंकाने वाले निष्कर्ष
तीन आॅर्गेनिक ब्रांड में ताँबा अनुमत स्तर से अधिक था। फैबइंडिया में 5.0mg/kg की सीमा के सामने यह 7.20mg/kg के उच्चतम स्तर पर था। आर्सेनिक भी चार ब्रांड में सुरक्षित सीमा से अधिक पाया गया। जबकि मानक सीमा 0.1mg/kg (अधिकतम) है, असल में 0.52mg/kg का उच्चमत स्तर था।
संक्षेप में
1. आॅर्गेनिक हल्दी ब्रांड में भारी धातु पायी गई।
2. नॉन-आॅर्गेनिक ब्रांड ने परीक्षण में बेहतर किया।
3. आॅर्गेनिक ब्रांड 262% तक महँगा।
दो नॉन-आॅर्गेनिक ब्रांड न केवल कीटनाशकों से मुक्त थीं बल्कि भारी धातुएँ सीमा के भीतर थी।
आॅर्गेनिक खाद्य पदार्थ क्या हैं?
प्रक्रिया मानकों को प्रमाणित करने वाले राष्ट्रीय आॅर्गेनिक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के अनुसार, “आॅर्गेनिक उत्पादों को पर्यावरण और सामाजिक रूप से जिम्मेदार दृष्टिकोंण के साथ रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग के बिना कृषि प्रणाली से उगाया जाता है।”
आठ ब्रांड में से किसी में भी कीटनाशक अवशेष नहीं पाये गये। वे टिन से भी मुक्त थे। सभी ब्रांड में जिंक, पारा और कैडमियम सीमा के भीतर थे। एक नॉन-आॅर्गेनिक ब्रांड, एवरेस्ट में लेड था, लेकिन सीमा के भीतर था।
उच्च कीमत
हो सकता है कि आप आॅर्गेनिक हल्दी पाउडर के लिये 262% अधिक भुगतान करते हों।
आॅर्गेनिक हल्दी ब्रांड की कीमत 25 रुपए से 85 रुपए प्रति 100 ग्राम के बीच हो। दो नॉन-आॅर्गेनिक ब्रांड की कीमत 22 रुपए और 25 रुपए प्रति 100 ग्राम थी। इस तरह की आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु की कीमत में इतना अंतर क्यों है?
हल्दी क्यों?
हल्दी भारतीय पाक शैली में एक अनिवार्य और महत्त्वपूर्ण मसाला है और भोजन में स्वाद, रंग बढ़ाने का स्वास्थ्यप्रद तरीका है। हल्दी से मिलने वाले कार्क्युमिन में शक्तिशाली एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण हैं और यह जोड़ों के दर्द को भी कम करता है। यह छाती की जलन को दूर करने, दिल के दौरे और मधुमेह को रोकने, अल्जाइमर रोगियों में याद्दाश्त सुधारने और यहाँ तक कि कैंसर से लड़ने के लिये जाना जाता है।
स्वास्थ्य निहितार्थ
लंबी अवधि के लिये ताँबा की अत्यधिक मात्रा का सेवन पुरुष नपुंसकता, लीवर की क्षति, गुर्दे की तकलीफ़, कोमा और मौत का कारण बन सकता है। लंबी अवधि तक भोजन में उपस्थित आर्सेनिक के सेवन से कैंसर, त्वचा के घाव, विकासात्मक प्रभाव, हृदय रोग, न्यूरोटॉक्सिटी और मधुमेह हो सकता है।
अपर्याप्त लेबलिंग
उचित लेबलिंग से उपभोक्ता सूचित चयन कर सकते हैं। सभी ब्रांड ने खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के अनुसार अधूरी जानकारी दी थी। असल का प्रदर्शन सबसे खराब था और वह सभी मानदंडो का उल्लंघन करता था। असल उत्पाद प्लास्टिक पैकेट में पैक किया गया था और वजन जानकारी हाथ से लिखी थी। विकल्प में केवल वजन, मूल्य और निर्माता के पते का उल्लेख था।
ईकोमार्क
सभी ब्रांड के पैकेजिंग के लिये पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल किया। पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये निर्माताओं को ईकोमार्क मानदंडो का पालन करना चाहिए। छह ब्रांड में से किसी के पास भी ईकोमार्क प्रमाणीकरण नहीं था।
विभिन्न लोगो
कुछ आॅर्गेनिक ब्रांड पर कई प्रमाणीकरण लोगो थे, अक्सर विभिन्न देशों से। वास्तव में, सात्विक ब्रांड पर पाँच लोगो थे- दो भारतीय और अमेरिका, दक्षिण एशिया और नीदरलैंड का एक-एक। भारत के अलावा, मोरारका और 24 मंत्रा पर यूरोप, अमेरिका और जापान के प्रमाणीकरण थे। यह उपभोक्ताओं के लिये काफी भ्रामक है।
टिप्पणी
1. खाद्य सुरक्षा और मानक (संदूषक, विषाक्त और अवशिष्ट) विनियम, 2011 हल्दी पाउडर के लिये निर्धारित मानकों के अनुसार नमूनों का परीक्षण किया गया।
2. NMT = से अधिक नहीं
3. तालिका में दिखाये अनुसार भार देकर समग्र स्कोर की गणना की गई।
4. ताँबा और आर्सेनिक कम बेहतर हैं। हाइलाइट किए सैल सीमा से अधिक दर्शाते हैं।
5. लेबलिंग स्कोर पाँच कारकों- निर्माता या पैकर का नाम और पता लोट सं./कोड सं./बैच सं., निर्माण और पैकिंग की तारीख, तिथि से पहले उपयोग/तिथि से पहले सर्वोत्तम, और खाद्य मिश्रकों के संबंध में घोषणा को बराबर भार देकर लेबलिंग स्कोर की गणना की गई है।
6. % गणना के लिये औसत मूल्य रुपए 23.50/100g लिया गया है।
सर्वश्रेष्ठ खरीदी
आप केवल ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ लेने के ही इच्छुक हैं तो हम मोरारका की सलाह देते हैं क्योंकि इसमें कीटनाशक नहीं थे और भारी धातु सीमा के भीतर थी। हालाँकि, आप पैसे बर्बाद नहीं करना चाहते हैं तो गोल्डन हार्वेस्ट या एवरेस्ट ले सकते हैं। ये ब्रांड ऑर्गेनिक नहीं है, लेकिन इनमें सभी लाभ हैं।
निर्माताओं की प्रतिक्रिया 6
सीईआरसी ने आॅर्गेनिक ब्रांड के निर्माताओं को उनकी राय जानने के लिये लिखा: उन्होंने इस प्रकार जवाब दिए:
असलहमने एफएसएसएआई (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) प्रमाण पत्र प्राप्त किया है और लेबलिंग मानदंडो को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
विकल्प हम प्रमाणीकरण में विश्वास नहीं करते। हमारा व्यापार किसानों के साथ आपसी विश्वास पर काम करता है।
सात्विक किसान प्रमाणित हैं और हमें उन पर भरोसा है। हम उनके साथ भारी धातुओं की उपस्थिति के मुद्दे को उठायेंगे। हम उचित लेबलिंग की बात पर गौर करेंगे।
मोरारका ने कहा कि एफएसएसएआई को ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों के लिये मानकों को अधिसूचित करने के लिये आगे आना चाहिए।
फैबइंडिया ने विस्तृत जानकारी माँगी। हमने परीक्षण के निष्कर्षों और नमूनों की जानकारी प्रदान की। कंपनी ने प्रेस में जाने तक हमारे प्रश्नों का जवाब नहीं दिया। 24 मंत्रा ने भारी धातुओं की उपस्थिति पर हमारे प्रश्न का जवाब नहीं दिया।
दावे और तथ्य
ऑर्गेनिक ब्रांड अपने उत्पादों के बारे में कई दावे करती है, लेकिन हमारी जाँच रिपोर्ट इनके विपरीत है। उदाहरण के लिये सात्विक और 24 मंत्रा दोनों में आर्सेनिक और ताँबा सुरक्षित सीमा से अधिक था। फिर भी सात्विक ने ऑर्गेनिक और प्राकृतिक, हानिकारक रसायनों से मुक्त, जीवन की गुणवत्ता में सुधार होने का दावा किया था और 24 मंत्रा ने दावा किया था कि यह ऑर्गेनिक शुद्धता के साथ स्वास्थ्य के जोखिम को कम करता है। फिर फैबइंडिया ने ऑर्गेनिक होने का दावा किया, लेकिन इसमें आर्सेनिक और ताँबा सुरक्षित सीमा से अधिक था। विकल्प और असल ने ऑर्गेनिक होने का दावा किया, लेकिन साबित करने के लिये कोई लोगो या प्रमाणीकरण नहीं था।
नियामक अधिकारियों से अपील
1. ऑर्गेनिक उत्पाद की स्पष्ट और विस्तृत परिभाषा दें।
2. भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों के लिये विशिष्ट अनिवार्य मानकों की स्थापना करें। हमारी अपील के जवाब में, हमें एफएसएसएआई से एक पत्र मिला कि भारतीय मानक ब्यूरो ने ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों के लिये मानकों को तैयार करने के लिये एक समिति का गठन किया है। मानकों को अंतिम रूप देने के बाद एफएसएसएआई द्वारा खाद्य सुरक्षा और मानक (संदूषक, विषाक्त और अवशिष्ट) विनियम, 2011 के तहत उनको अपनाने के लिये आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
3. निर्माताओं से लेबलिंग नियमों का पालन करवाना चाहिए और ईकोमार्क प्रमाणीकरण अनिवार्य करना चाहिए।
4. ऑनलाइन बेचे जाने वाले सहित ऑर्गेनिक खाद्य गुणवत्ता की नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए।
5. अलग-अलग देशों की विभिन्न ऑर्गेनिक प्रमाणीकरण लेबल उपभोक्ताओं को भ्रमित करते हैं। एनपीओपी (राष्ट्रीय ऑर्गेनिक उत्पादन कार्यक्रम) प्रमाणन अनिवार्य बनाना चाहिए।
6. ऑर्गेनिक उत्पाद निर्माताओं द्वारा किये गए विज्ञापन दावों की निगरानी करनी चाहिए।
7. कुछ निर्माता प्रमाणीकरण नहीं लेना चाहते क्योंकि उन्हें इस प्रक्रिया में विश्वास नहीं है। सरकार को इस मुद्दे के समाधान के लिये तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
उपभोक्ता सर्वेक्षण
सीईआरसी ने एक सर्वेक्षण किया और पाया कि:
1. 99% उत्तरदाता ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ के बारे में जानते थे। जबकि ज्यादातर का मानना था कि वे प्राकृतिक थे। उनमें कीटनाशक नहीं थे, और पर्यावरण के लिये अच्छे थे। वहीं हर्बल पारंपरिक एंटीबायोटिक के बिना वाले भी ऑर्गेनिक होने के बारे में गलत धारणाएँ शामिल थीं।
2. केवल 10% नियमित रूप से या कभी-कभी ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ खरीदते थे। लोग ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ इसलिये नहीं खरीदते क्योंकि वे महँगे थे, आसानी से उपलब्ध नहीं थे और उन्हें उत्पाद को मूल/स्रोत के बारे में संदेह था।
3. ऑर्गेनिक सब्जियाँ, फल और उनके बाद पाउडर मसाले सबसे लोकप्रिय उत्पाद थे।
4. 82% उत्तरदाताओं के लिये ऑर्गेनिक प्रमाणीकरण महत्त्वपूर्ण था, लेकिन 65% ऑर्गेनिक मानकों और लेबल के बारे में अवगत नहीं थे।
5. 17% उत्तरदाताओं ने ऑनलाइन खरीदा।
ग्राहक साथी का निष्कर्ष
उपभोक्ताओं को लेबल के दावों और ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ से जुड़े स्वास्थ्य के महिमा-मंडल पर नहीं जाना चाहिए। हमारे परीक्षणों ने साबित किया कि हल्दी पाउडर के नॉन-ऑर्गेनिक ब्रांड सुरक्षित थे। वे काफी सस्ते भी थे। फिर ऑर्गेनिक ब्रांड क्यों खरीदना है?