अगर बारिश में देर हुई

Submitted by Editorial Team on Fri, 05/17/2019 - 11:48
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अमर उजाला, 17 मई 2019

बारिश की देरी से किसान ही नहीं इस बार सरकार की भी मुश्किलें बढेंगी बारिश की देरी से किसान ही नहीं इस बार सरकार की भी मुश्किलें बढेंगी

निजी मौसम कंपनी स्काई मैट के बाद मौसम विभाग ने भी इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून के देर से पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया है, जिसके अनुसार यह छह जून को केरल के तट पर पहुंच सकता है। हालांकि मौसम विभाग का कहना है कि उसके अनुमान में चार दिन की कमी-वृद्धि हो सकती है। मौसम विभाग ने मानसून का दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) 96 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है, जिसे सामान्य के आसपास कहा जा सकता है, लेकिन स्काई मैट का अनुमान है कि एलपीए 93 प्रतिशत रह सकती है, जो कि सामान्य से कम है।

मौसम विभाग का दावा है कि पिछले 14 वर्षों में मानसून के आगमन को लेकर उसका अनुमान सिर्फ एक बार 2015 में ही गलत साबित हुआ था। दरअसल देश में होने वाली कुल 70 फीसदी वर्षा मानसून पर ही निर्भर है। और देश की 50 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या खेती पर निर्भर है, और हाल के कुछ वर्षों में कृषि क्षेत्र में जिस तरह से हताशा बढ़ी है, उसमे इन अनुमानों का महत्व सहज समझा जा सकता है। यह स्थिति इसलिए है, क्योंकि अब भी खेती का बड़ा हिस्सा वर्षा जल पर ही निर्भर है।

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में तो पहले ही सूखे के आसार नजर आ रहे हैं, जहां हाल के वर्षों में भीषण जल संकट देखा गया है। इसके अलावा उत्तरी कर्नाटक और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों को लेकर व्यक्त किए गए अनुमान से वहाँ भी औसत से कम वर्षा हो सकती है, जिसका असर कृषि उत्पादन पर पड़ सकता है।

“मानसून में दो-चार दिन की देरी से खरीफ की बुआई पर भले ही बहुत बात न हो, लेकिन अगर इस साल मानसून कमजोर हुआ तो 23 मई के बाद नई दिल्ली में बनने वाली सरकार को आना ही एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।”

यों तो मौसम विभाग ने अल नीनो के असर के बारे में कोई ठोस अनुमान व्यक्त नहीं किया है, लेकिन कई विशेषज्ञ मानसून की देरी के लिए इसे भी एक कारण बता रहे हैं। यदि अल नीनो का प्रभाव और घनीभूत हुआ, तो निश्चित रूप से यह कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी खबर नहीं होगी।

पिछले साल मौसम विभाग के अनुमान के विपरीत वर्षा सामान्य के विपरीत 91 प्रतिशत ही हुई थी, जिससे आधिकारिक तौर पर सरकार ने भी माना था कि खरीफ की बुआई 20 प्रतिशत हुई थी। मानसून में दो-चार दिन की देरी से खरीफ की बुआई पर भले ही बहुत बात न हो, लेकिन अगर इस साल मानसून कमजोर हुआ तो 23 मई के बाद नई दिल्ली में बनने वाली सरकार को आना ही एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।