आगरा में यमुना घाटों की सफाई

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सुबिजोय दत्ता

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यमुना नदी के प्रदूषण की तरफ विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का ध्यान केन्द्रित करने के लिए कई स्कूलों के सैकड़ों छात्रों ने वरिष्ठ नागरिकों के साथ रविवार सुबह पोइया घाट की सफाई की. उन्होंने इस दौरान वहां पङे पॉलिथीन बैग और कचरे हटाए.

यमुना फाउंडेशन और रिवर आफ द वर्ल्ड फाउंडेशन के कार्यक्रम संयोजक बृज खंडेलवाल ने बताया कि माई क्लीन आगरा पहल के छात्रों के अलावा एक बड़ी संख्या में अन्य स्वयंसेवी समूहों और संगठनों के कार्यकर्ता रविवार के इस कार्यक्रम में शामिल हुए. इस कार्यक्रम का लक्ष्य देश के राजनेता थे जो भारत की नदियों और शहरों को साफ रखने में विफल रहे. यमुना फाउंडेशन आफ ब्लू वाटर के सुभाष झा और हरिदत्त शर्मा ने कहा 'किसी भी राजनीतिक दल ने इस बारे में एक शब्द भी नहीं कहा कि एक मरती हुई नदी को किस तरह बचाया जाय या इसका पुराना स्वरूप कैसे वापस लाया जाय.'

संयोगवश इन्टरनेशनल इनिशियेटिव आफ द रिवर आफ वर्ल्ड फाउंडेशन के साथ भी इस कार्यक्रम का जुडाव हो गया. उक्त संस्था के एक स्वयंसेवक रोलर सिंह ने बताया कि वृंदावन, दिल्ली और अमेरिका में भी स्वयंसेवक इसी तरह नदी की सफाई के अभियान में जुटे हैं. यमुना और पोटोमेक दोनों ही नदियां अपने देशों की राजधानियों से होकर बहती हैं. ब्रज मंडल विरासत संरक्षण सोसायटी के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा ने बताया 'हमनें लंबे समय तक शहर के जीवन रेखा की उपेक्षा की है. हमारे नेताओं के पास प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोई योजना नहीं है. यह दुख और दुर्भाग्य की बात है कि हजार करोड़ रुपए खर्चे जाने के बाद भी यमुना नदी अब तक गंदी और प्रदूषित है.'

एक पर्यावरणविद् रवि सिंह का कहना था कि यमुना का पानी पूरी तरह से मानव उपभोग के अयोग्य हो गया है. 'यहाँ तक कि बदबू के कारण पशु भी इस पानी का उपयोग नहीं करते, ऐसा दिल्ली, हरियाणा और नोएडा के उद्योगों से बहने वाले कचडे के कारण हुआ है.' सेंट पीटर कॉलेज के ईको क्लब के प्रमुख डॉ. अजय बाबू ने कहा कि हम अपने लड़कों को इस समस्या के प्रति संवेदनशील करने और लोगों को अपने भूमिका और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए यहां लाए हैं. लोग जिस तरह नदी में घरेलु कचडा और पॉलिथीन बैग फेंकते हैं वह अपराध है. उन्हें इस क्षेत्र के करोड़ों लोगों के जीवन की रक्षा करने वाले एक समुदाय जल संसाधन की कोई चिंता नहीं है.

आगरा विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. रवि तनेजा ने कहा कि स्वैच्छिक समूहों और स्वयंसेवकों नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए बडा अभियान चलाना चाहिए.सामाजिक कार्यकर्ता और ब्रज क्रांति दल के अध्यक्ष, सुरेखा यादव ने कहा कि सरकारी एजेंसियां नदी के बेड से कोलेनाइजर और बिल्डरों के अतिक्रमण को रोकने में नाकाम रही है, बाढ़ के मैदान मानवीय अतिक्रमण के अधीन हैं और नदी के तट पर नित नए निर्माण हो रहे हैं. वरिष्ठ मीडियाकर्मी राजीव सक्सेना कहते हैं कि राजनीतिक दलों को अपने घोषणापत्रों में नदी सफाई कार्यक्रम को शामिल करना चाहिए.

मानवीय अतिक्रमण और प्रदूषण की वजह से भारत की सभी नदियों के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है. इस समस्या को अब स्थगित नहीं किया जा सकता है. अब कार्रवाई करने का समय आ गया है' सक्सेना ने कहा. सेंट पीटर कॉलेज