एसटीपी की शोधन क्षमता रह गई आधी

Submitted by Hindi on Fri, 11/21/2014 - 09:49
Source
कल्पतरु समाचार सेवा, 21 नवंबर 2014
मथुरा, वृंदावन, आगरा और फिरोजाबाद समेत नौ जिलों में यमुना में बह रही गंदगी
.मथुरा। फिलहाल सरकार के पास यमुना शुद्धीकरण के लिए पर्याप्त संसाधनों का अभाव है। सहारनपुर से लेकर मथुरा-वृंदावन, आगरा और फीरोजाबाद समेत कुल नौ जिलों में जितना सीवेज उत्सर्जन है, शोधन क्षमता (सीवेज ट्रीटमेंट) उससे लगभग आधा ही है। फलत: यमुना में दूषित, गंदा पानी ही बह रहा है। शुद्धिकरण के नाम पर सरकारी प्रयासों की सार्थकता सिद्ध होती नहीं दिख रही। यह जानकारी विधानसभा में मथुरा के विधायक प्रदीप माथुर के सवाल के जवाब में नगर विकास मंत्री आजम खां ने दी। राज्य सरकार से विधायक ने पूछा था कि प्रदेश में यमुना के किनारे बसे बड़े शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे युक्त गंदे पानी को यमुना नदी में रोकने के क्या उपाय हैं? तो जवाब मिला कि बड़े शहरों के घरेलू गंदे पानी को यमुना नदी में गिरने से रोकने के लिए एसटीपी लगे थे। कुल 599.49 एमएलडी की सीवेज शोधन क्षमता विकसित की गई है।

वर्ष 2010 में बड़े शहरों में आंकलित सीवेज (सभी आंकड़े एमएलडी में) सहारनपुर में 77.0, शोधन क्षमता 38.0, मुजफ्फरनगर में 60.0, शोधन क्षमता 32.50, गाजियाबाद में 394.42, शोधन क्षमता 159.0 (निर्माणाधीन सीवेज शोधन 458.0), नोएडा में 150.0, शोधन क्षमता 168.0 (निर्माणाधीन सीवेज शोधन 50.0), वृंदावन में 06.0, शोधन क्षमता 4.50 (निर्माणाधीन सीवेज शोधन 8.0), मथुरा में 38.0, शोधन क्षमता 30.79 (निर्माणाधीन सीवेज शोधन 16.0), आगरा में 224.12, सीवेज क्षमता 152.25 (निर्माणाधीन सीवेज शोधन 60.0), फिरोजाबाद में 42.0, सीवेज क्षमता 0.0 (निर्माणाधीन सीवेज शोधन 70.08) और इटावा में 28.65, सीवेज क्षमता 10.45 (निर्माणाधीन सीवेज शोधन 13.50) है।

इस प्रकार कुल नौ जिलों में सीवेज उत्सर्जन 1020.19 और सीवेज शोधन क्षमता 599.49 है। विधान सभा के तृतीय सत्र 2014 में विधायक प्रदीप माथुर ने यमुना किनारे बसे बड़े शहरों की गंदी नालियों, सीवर के पानी और औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे युक्त गंदे पानी को साफ करने की दिशा में सरकारी प्रबंधों का प्रश्न उठाया, जिसके जवाब में यह तथ्य उजागर हुए। यह आंकड़े 2010 के आधार पर दिए गए थे। नगर विकास मंत्री आजम खां ने यह भी कहा कि यमुना और उसकी सहायक नदियों में सीवेज डालने वाले 174 उद्योगों को चिन्हित किया गया, जिनमें से 4 उद्योगों को मानकों के अनुरूप न पाए जाने पर कार्रवाई की गई है।