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कल्पतरु समाचार, 11 फरवरी 2015
प्रदूषण के कारकों की रोकथाम के लिए नहीं उठाया कदम
फिरोजाबाद। अफसरों की उदासीनता के कारण शहर के नाले यमुना मैया की जान के दुश्मन बन गए हैं। क्योंकि अभी तक प्रदूषणों के कारकों की रोकथाम करने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई जा सकी है। इन नालों के माध्यम से दूषित पानी यमुना मैया को मैला करने में जुटा है। इस पर नगर विकास निदेशक ने नाराजगी व्यक्त करते हुए एक सप्ताह में कार्ययोजना तैयार कर उपलब्ध करने के निर्देश दिए हैं। अन्यथा कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। गौरतलब है कि नगर निगम बनने से पूर्व नगर पालिका प्रशासन ने वर्षों पहले लेबर कॉलोनी और मालवीय नगर में एक-एक नाले का निर्माण कराया था। इन्हीं दोनों नालों के माध्यम से शहर के छोटे-छोटे नाले और नालियों का दूषित पानी यमुना मैया में पहुँच रहा है।
इन नालों का पानी इतना दूषित है कि आस-पास के क्षेत्रों में हर समय दुर्गंध आती रहती है। यही नहीं बल्कि केमीकल और पीओपी से बनीं मूर्तियों का विसजर्न यमुना मैया के इस दर्द को और बढ़ाने का कार्य करता है। हालाँकि विगत दिनों उच्च न्यायालय ने सख्ती बरती तो मूर्ति विसर्जन तो बन्द कर दिया है, लेकिन नालों के माध्यम से पहुँच रहे दूषित पानी का अभी तक कोई इन्तजात नहीं किया है। इसको गम्भीरता से लेते हुए विगत माह निकाय निदेशक पीके सिंह द्वारा नगर निगम प्रशासन को पत्र भेजकर निर्देश दिए थे कि यमुना में प्रदूषणों के कारणों की रोकथाम के लिए ठोस कार्य योजना बनाई जाए।
लेकिन अफसरों ने इन निर्देशों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। इस संबंध में अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। इस पर निकाय निदेशक पीके सिंह ने नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने एक बार पुन: पत्र भेजकर कहा है कि प्रदूषणों के कारकों की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों की आख्या से एक सप्ताह में अवगत कराने की अपेक्षा की गई थी जो अभी तक अपेक्षित है। अत: आख्या अविलम्ब उपलब्ध कराई जाए ताकि शासन को तदनुसार अवगत कराया जा सके। इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पत्र मिलते ही निगम के अफ़सर और कर्मचारी योजना तैयार करने में जुट गए हैं।
कई बार मरी मछलियाँ
मछलियों के लिए पानी ही जीवन है। लेकिन यमुना मैया का दूषित पानी उन्हीं की जान का दुश्मन बन जाता है। अब तक कई बार दर्जनों की संख्या में मछलियाँ काल के गाल में समा चुकी हैं। इस दौरान अफ़सर सिर्फ मौका मुआयना करने की जहमत उठाते हैं।
पानी की नहीं कराते हैं जाँच
यमुना मैया में वर्षों से नालों के माध्यम से पानी जा रहा है। यह पानी कितना दूषित होगा, यह तो जाँच करने पर ही पता चल सकता है। लेकिन अफसरों द्वारा इस पानी की जाँच नहीं कराई जाती है। अफसरों की उदासीनता के कारण लोगों की श्रद्धा कम होती जा रही है।
नहाने से भी कतराते हैं लोग
लोग दशहरा, मकरसंक्रांति, मौनी अमावस्या, कार्तिक पूर्णिमा सहित अन्य पर्वों पर यमुना मैया में डुबकी लगाकर अपने आपको पवित्र करते हैं। लेकिन वर्तमान समय में नालों का पानी आने के कारण यमुना मैया का पानी दूषित हो चुका है। लोग अब पर्वों पर नहाने के बजाए हाथ-पैर धोकर ही काम चलाते हैं।
शवों का किया जाता है प्रवाह
केन्द्र सरकार भले ही यमुना और गंगा सहित अन्य नदियों में मूर्ति विसर्जन और शव प्रवाह करने पर पूर्ण पाबन्दी लगा दी हो, लेकिन जनपद के अफसर इसके प्रति गम्भीर नहीं हुए हैं। वर्तमान समय में जनपद सहित यमुना मैया से सटे आगरा के गाँवों के लोग आज भी यमुना मैया में शव प्रवाह करते हैं।
फिरोजाबाद। अफसरों की उदासीनता के कारण शहर के नाले यमुना मैया की जान के दुश्मन बन गए हैं। क्योंकि अभी तक प्रदूषणों के कारकों की रोकथाम करने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई जा सकी है। इन नालों के माध्यम से दूषित पानी यमुना मैया को मैला करने में जुटा है। इस पर नगर विकास निदेशक ने नाराजगी व्यक्त करते हुए एक सप्ताह में कार्ययोजना तैयार कर उपलब्ध करने के निर्देश दिए हैं। अन्यथा कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। गौरतलब है कि नगर निगम बनने से पूर्व नगर पालिका प्रशासन ने वर्षों पहले लेबर कॉलोनी और मालवीय नगर में एक-एक नाले का निर्माण कराया था। इन्हीं दोनों नालों के माध्यम से शहर के छोटे-छोटे नाले और नालियों का दूषित पानी यमुना मैया में पहुँच रहा है।
इन नालों का पानी इतना दूषित है कि आस-पास के क्षेत्रों में हर समय दुर्गंध आती रहती है। यही नहीं बल्कि केमीकल और पीओपी से बनीं मूर्तियों का विसजर्न यमुना मैया के इस दर्द को और बढ़ाने का कार्य करता है। हालाँकि विगत दिनों उच्च न्यायालय ने सख्ती बरती तो मूर्ति विसर्जन तो बन्द कर दिया है, लेकिन नालों के माध्यम से पहुँच रहे दूषित पानी का अभी तक कोई इन्तजात नहीं किया है। इसको गम्भीरता से लेते हुए विगत माह निकाय निदेशक पीके सिंह द्वारा नगर निगम प्रशासन को पत्र भेजकर निर्देश दिए थे कि यमुना में प्रदूषणों के कारणों की रोकथाम के लिए ठोस कार्य योजना बनाई जाए।
लेकिन अफसरों ने इन निर्देशों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। इस संबंध में अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। इस पर निकाय निदेशक पीके सिंह ने नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने एक बार पुन: पत्र भेजकर कहा है कि प्रदूषणों के कारकों की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों की आख्या से एक सप्ताह में अवगत कराने की अपेक्षा की गई थी जो अभी तक अपेक्षित है। अत: आख्या अविलम्ब उपलब्ध कराई जाए ताकि शासन को तदनुसार अवगत कराया जा सके। इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पत्र मिलते ही निगम के अफ़सर और कर्मचारी योजना तैयार करने में जुट गए हैं।
कई बार मरी मछलियाँ
मछलियों के लिए पानी ही जीवन है। लेकिन यमुना मैया का दूषित पानी उन्हीं की जान का दुश्मन बन जाता है। अब तक कई बार दर्जनों की संख्या में मछलियाँ काल के गाल में समा चुकी हैं। इस दौरान अफ़सर सिर्फ मौका मुआयना करने की जहमत उठाते हैं।
पानी की नहीं कराते हैं जाँच
यमुना मैया में वर्षों से नालों के माध्यम से पानी जा रहा है। यह पानी कितना दूषित होगा, यह तो जाँच करने पर ही पता चल सकता है। लेकिन अफसरों द्वारा इस पानी की जाँच नहीं कराई जाती है। अफसरों की उदासीनता के कारण लोगों की श्रद्धा कम होती जा रही है।
नहाने से भी कतराते हैं लोग
लोग दशहरा, मकरसंक्रांति, मौनी अमावस्या, कार्तिक पूर्णिमा सहित अन्य पर्वों पर यमुना मैया में डुबकी लगाकर अपने आपको पवित्र करते हैं। लेकिन वर्तमान समय में नालों का पानी आने के कारण यमुना मैया का पानी दूषित हो चुका है। लोग अब पर्वों पर नहाने के बजाए हाथ-पैर धोकर ही काम चलाते हैं।
शवों का किया जाता है प्रवाह
केन्द्र सरकार भले ही यमुना और गंगा सहित अन्य नदियों में मूर्ति विसर्जन और शव प्रवाह करने पर पूर्ण पाबन्दी लगा दी हो, लेकिन जनपद के अफसर इसके प्रति गम्भीर नहीं हुए हैं। वर्तमान समय में जनपद सहित यमुना मैया से सटे आगरा के गाँवों के लोग आज भी यमुना मैया में शव प्रवाह करते हैं।