Source
कल्पतरु एक्सप्रेस, 13 फरवरी 2015

इतना ही नहीं बल्कि सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पतित पावनी यमुना में नगर के सभी नालों और सीवर का दूषित पानी सीधे यमुना में जा रहा है। नोडल अधिकारी ने भी यमुना की ओर से पीठ कर ली है। नगर में छह सीवेज पम्पिंग स्टेशन एवं दो सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट थे, लेकिन अब नगर में मात्र एक एसटीपी चार एमएलडी क्षमता पुरानी तकनीक का संचालित किया जा रहा है। इसकी स्थिति अति पुरानी होने के कारण उचित नहीं है, जबकि कालीदह स्थित हाफ एमएलडी का एसटीपी पूरी तरह बंद हो गया है। नगर में पालिका के आकड़ों के अनुसार प्रतिदिन 12 एमएलडी सीवर का दूषित पानी निकलता है। चार एमएलडी का शोधन के बाद बांकी आठ एमएलडी दूषित सीवर का पानी और नगर के सभी नालों का दूषित पानी सीधे यमुना में मिल रहा है।
यही कारण है कि यमुना का पानी काला और अतिदूषित हो गया है। इतना ही नहीं यमुना महारानी का दूषित होने के साथ ही अब नगर क्षेत्र के भूजल श्रोत भी दूषित होने के कगार पर है, क्योंकि नगर के क्षेत्र में बनी आवासीय कालोनियों में एक भी एसटीपी प्लाण्ट नहीं लगाया गया। आखिर इनसे निकलने वाला दूषित जल एवं मल कहाँ जा रहा है। यह सवाल नगरवासियों के जेहन में तैर रहा है। बताया जाता है कि इन आवासीय कालोनियों से या तो यमुना की ओर पाइप लाइन निकाली गई है या जमीन में अड़ी बोरिंग की गई है। इससे अधिकांश आवासीय कालोनियों का दूषित पानी सीधे भूजल को प्रदूषित कर रहा है। हैरानी की बात सामने आई कि नगर की आधी से अधिक आबादी का सीवर एवं ड्रेनेज इन दिनों व्यवस्थित नहीं है। यह प्रदूषित जल सीधे यमुना में जा रहा है। इसके कारण श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुँच रही है और प्रदेश सरकार व स्थानीय जिला प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।