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जनसत्ता, 07 अगस्त 2012
हरिद्वार, 6 अगस्त। गंगापुत्र स्वर्गीय स्वामी निगमानंद के गुरुस्वामी शिवानंद सोमवार से अपने आश्रम मातृ सदन में आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। उन्होंने पांच मांगों को लेकर आमरण अनशन शुरू किया है। उनकी पांच मांगे हैं- कुंभ क्षेत्र हरिद्वार को दोगुना किया जाए, सीबीआई के देहरादून के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए क्योंकि उन्होंने निगमानंद की मौत की क्लोजर रिपोर्ट जांच ठीक ढंग से किए बिना ही दे दी। उन्होंने सीबीआई पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। सीबीआई न्यायिक मजिस्ट्रेट योगेंद्र कुमार सागर को सस्पेंड किया जाए, सीबीआई निदेशक निगमानंद की मौत की जांच के लिए एक मेडिकल जांच समिति बनाए, सीबीआई के देहरादून के एसपी निलाभ और डीएसपी वी. दीक्षित को स्वामी शिवानंद ने खनन ठेकेदारों से सांठगांठ करने के आरोप में निलंबित करने की मांग की है।
स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि वे अपनी मांगे पूरी होने तक अपना अविछिन्न अनशन जारी रखेंगे। स्वामी निगमानंद की बीते साल आमरण अनशन के दौरान मौत हो गई थी। स्वामी शिवानंद ने आरोप लगाया था कि निगमानंद की मौत जहर देने से हुई है। उन्होंने खनन माफिया ज्ञानेश अग्रवाल पर निगमानंद की हत्या का आरोप लगाया था। और ठेकेदार के खिलाफ व निगमानंद को जहर देने की साजिश रचने वाले डॉक्टर व नर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। स्वामी निगमानंद ने गंगा की अविरल निर्मल धारा के समर्थक नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से खनन माफियाओं के ‘पक्ष’ में दिए गए फैसले के खिलाफ आमरण अनशन पिछले साल फरवरी में शुरू किया था। तेरह जून 2011 को उनकी अनशन के दौरान जौलीग्रांट के हिमालयन ट्रस्ट हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद उनके शव का दो बार पोस्टमार्टम हुआ था। और राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट में कहा था कि स्वामी निगमानंद की मृत्यु जहर देकर नहीं बल्कि भूख की वजह से हुई थी। मातृ सदन के शिवानंद सरस्वती ने सीबीआई रिपोर्ट को फर्जीवाड़ा करार दिया था।
स्वामी शिवानंद का मांग पत्र देखने के लिए अटैचमेंट देखें।
स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि वे अपनी मांगे पूरी होने तक अपना अविछिन्न अनशन जारी रखेंगे। स्वामी निगमानंद की बीते साल आमरण अनशन के दौरान मौत हो गई थी। स्वामी शिवानंद ने आरोप लगाया था कि निगमानंद की मौत जहर देने से हुई है। उन्होंने खनन माफिया ज्ञानेश अग्रवाल पर निगमानंद की हत्या का आरोप लगाया था। और ठेकेदार के खिलाफ व निगमानंद को जहर देने की साजिश रचने वाले डॉक्टर व नर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। स्वामी निगमानंद ने गंगा की अविरल निर्मल धारा के समर्थक नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से खनन माफियाओं के ‘पक्ष’ में दिए गए फैसले के खिलाफ आमरण अनशन पिछले साल फरवरी में शुरू किया था। तेरह जून 2011 को उनकी अनशन के दौरान जौलीग्रांट के हिमालयन ट्रस्ट हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद उनके शव का दो बार पोस्टमार्टम हुआ था। और राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट में कहा था कि स्वामी निगमानंद की मृत्यु जहर देकर नहीं बल्कि भूख की वजह से हुई थी। मातृ सदन के शिवानंद सरस्वती ने सीबीआई रिपोर्ट को फर्जीवाड़ा करार दिया था।
स्वामी शिवानंद का मांग पत्र देखने के लिए अटैचमेंट देखें।