बुजुर्ग परिवार की नींव होते हैं, जो एक वृक्ष की भांति परिवार को छांव प्रदान करते हैं और अपनी छत्रछाया में परिवार का मार्गदर्शन करते हैं। बुुजुर्गों की एक खासियत होती हैं कि वे अपने अनुभवों के आधार पर अपनी कमियों को कभी कमजोरी नहीं बनने देते और हर समस्या में परिवार के सामने ढाल बनकर खड़े रहते हैं। ऐसे ही झारखंड के एक बुजुर्ग कमल किशोर दास भी हैं, जिन्होंने अपनी कमजोरी से कभी हार नहीं मानी, बल्कि अपने परिवार के साथ साथ समाज को भी छांव देने का कार्य कर रहे हैं। 63 वर्षीय कमल किशोर दास प्रकृति को बचाने और लोगों को छांव देने के लिए 30 वर्षों में 30 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश विशालकाय वृक्ष बन गए हैं।
हर शख्स पढ़ना चाहता है। नाम और पैसे कमा कर अपने परिवार को सुख सुविधा देना चाहता है, लेकिन कई बार शिक्षा हर व्यक्ति के नसीब में नहीं होती और उसे जीवन यापन करने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार की पेरशानियों का सामना करना पड़ता है। झारखंड स्थित चक्रधरपुर के ओटार गांव निवासी कमल किशोर दास भी खूब पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन आंखे ज्यादा कमजोर होने के कारण उन्हें ठीक से दिखाई नहीं देता था और पढ़ने में परेशानी होती थी। इस कारण न चाहते हुए भी उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद वे रोज अपने साथ के बच्चों को स्कूल जाता देखते तो, उनका भी पढ़ने का मन करता। किंतु वक्त और हालात उनके वश में नहीं थे।
ऐसे ही बच्चों को स्कूल जाते देखकर कमल किशोर युवावस्था में पहुंच गए। एक दिन गांव में किसी का निधन हुआ तो वे शवयात्रा में श्मशान गए थे। तेज गर्मी से उन्हें वहां लोग काफी परेशानी दिखे और धूम व गर्मी से राहत पाने के लिए इधर उधर छांव तलाश रहे थे। इस सब ने कमल किशोर को झकझोर दिया। तभी से उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधारोपण करने का संकल्प लिया और पौधे लगाने के कार्य में जुट गए। इस संकल्प से उनकी दिनचर्या भी बदल चुकी थी। वे सुबह होते ही घर से निकल पड़ते और घर लौटने तक कई पौधे लगा कर आते थे। कमल किशोर दास ने देसी प्रजाति के आम, नीम, पीपल, बरगल आदि पौधे लगाए। वे जहां कहीं भी खाली जमीन देखते, वहीं पौधा लगाने की कोशिश करते। अनुपयोगी और सरकारी जमीन पर पौधारोपण करने के लिए भी वे अनुमति लेते। शुरुआत में तो लोगों ने उनके इस कार्य का उपहास उड़ाया, लेकिन धीरे धीरे जब इस कार्य के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे तो सभी उनकी तारीफ करने लगे। अब चक्रधरपुर के थाना रोड, सोनुवा रोड, पदमपुर, थाना परिसर, वराहकाटा आदि दर्जनभर गांव में लगाए पीपल, नीम, आम आदि के पौधे विशालकाय वृक्ष बन चुके हैं। उनकी पत्नी शंखों देवी भी इस कार्य में उनका पूरा साथ दे रही है। कमल किशारे दास की कोशिश है कि हर आयु का व्यक्ति पौधारोपण के इस कार्य से जुड़े।
हिमांशु भट्ट
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