आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास

Submitted by Hindi on Tue, 05/16/2017 - 13:39
Source
उत्तराखंड उदय- 2015, अमर उजाला

जून, 2013 में आई प्राकृतिक आपदा में केदारनाथ धाम सहित राज्य के अनेक हिस्से में भारी तबाही मचाई थी। पुनर्वास और पुनर्निर्माण के ज़रिये राज्य इस आपदा से उबरने की कोशिश कर रहा है।

आपदाकेदारनाथ में आई आपदा के बाद युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाया गया था। यह राज्य के लोगों का जीवट ही है कि ये फिर से जिंदगी को पटरी पर ला रहे हैं, जिसमें राज्य सरकार भी उनकी मदद कर रही है।

राहत


- आपदा, 2013 के बाद कुल 47 मदों में आपदा प्रभावितों को राहत सहायता उपलब्ध करवाई गई। कई मदों में पहली बार राहत राशि स्वीकृत की गई।

- आपदा की भीषणता को देखते हुए प्रभावितों को दी जाने वाली राशि कई गुना बढ़ाई गई।

- आपदा में मृत व्यक्तियों के विधवाओं/बच्चोंं की शिक्षा-दीक्षा एवं भरण पोषण/कन्याओं विवाह हेतु राहत सहायता दी गई है।

पुनर्वास


- आपदा, 2013 में लगभग 2500 परिवारों के आवास पूर्णत: क्षतिग्रस्त हो गए थे। ऐसे परिवारों को विश्व बैंक की सहायता से चलाई जा रही परियोजना के अंतर्गत नए आवास बनाए जाने हेतु धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। भवन निर्मित होने तक 3000 रुपये प्रतिमाह का किराया भी दिया जा रहा है।

पुनर्निर्माण


- सड़क, पुल एवं राजमार्गों का निर्माण

- राज्य में सड़क अवसंनरचनाओं को सुढ़ृण करने के लिये विश्व बैंक एवं एशिया विकास बैंक की सहायता से कुल 4500 किलोमीटर की क्षतिग्रस्त सड़कों का पुनर्निर्माण की पहल।

- विभिन्न स्थानों पर 16 वैलीब्रिज की स्थापना तथा 23 नए पुलों के निर्माण का कार्य जारी।

- राष्ट्रीय राजमार्गों, शहरी सड़कों, पैदल मार्गों, पैदल पुलों व ट्रैकिंग मार्गों के पुनर्निर्माण का कार्य सीमा सड़क संगठन, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना एवं अन्य कार्यक्रमों व योजनाओं के अंतर्गत भी किया जा रहा है।

- चारधाम यात्रा को समय पर आंरभ किए जाने के उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार द्वारा सीमा सड़क संगठन और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की सड़कों का पुनर्निर्माण।

ऊर्जा


- आपदा से 4377 गांवों में विद्युत आपूर्ति बाधित हुई एवं कई विद्युत उत्पादन इकाइयां एवं विद्युत उपकेंद्र क्षतिग्रस्त हो गए थे। सभी गांवों में विद्युत आपूर्ति दोबारा शुरू की गई है।

पेयजल


- आपदा के कारण 5091 पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हुई थीं, सभी की मरम्मत कर दोबारा सुचारु कर दिया गया है।

- इन योजनाओं के पुनर्निर्माण पर 263.78 करोड़ रुपये खर्च होेने का आकलन है, जिनमें से 27.78 करोड़ की धनराशि राज्य आपदा मोचन निधि/राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष से तथा 20.00 करोड़ की धनराशि भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय की राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल परियोजना से उपलब्ध कराई गई है।

- एशिया विकास बैंक की सहायता से उत्तराखंड आपातकालीन सहायता परियोजना के अंतर्गत कपटोप, बागेश्वर, धारचूला, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, गौचर, श्रीनगर, पौडी, उत्तरकाशी एवं देवप्रयाग में 72.00 करोड़ रुपये की पेयजल योजनाओं पर कार्य प्रगति पर है।

सिंचाई


- आपदा से क्षतिग्रस्त अवसंरचनाओं को दोबारा बहाल करने के लिये 244.82 करोड़ रुपये की परियोजना पर काम चल रहा है।

बाढ़ सुरक्षा कार्य एवं योजनाएं


- भारत सरकार द्वारा विभिन्न बाढ़ सुरक्षा कार्यों में 879.50 करोड़ रुपये की धनराशि केंद्र पोषित योजनाओं (पुनर्निर्माण) के अंतर्गत स्वीकृत की गई। प्रथम चरण में 12 जनपदों के लिये 657.97 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है तथा सभी 54 बाढ़ सुरक्षा योजनाओं में कार्य प्रगति पर है।

- उत्तरकाशी, चमोली तथा पिथौरागढ़ जनपदों में चार बाढ़ सुरक्षा योजनाओं के लिये केंद्र द्वारा विशेष योजना सहायता (पुनर्निर्माण) के अंतर्गत 40.36 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई, जिनमें से 34.75 करोड़ रुपये की राशि निर्गत की जा चुकी है।

हैलीपैडों का निर्माण


- आपदा की स्थिति में त्वरित कदम उठाने एवं यात्रियों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न स्थानों में 50 हैलीपैड़ों का निर्माण किया जाना है। 12 हैलीपैडों का निर्माण प्रगति पर है। केदारनाथ, लिन्चैली, भीमबली व गोराकुण्ड में हैलीपैड तैयार किए जा चुके हैं।

राज्य आपदा प्रबंधन बल का गठन


- आपदा के समय त्वरित राहत सुनिश्चित करने के लिये राज्य आपदा प्रबंधन बल (एस.डी.आर.एफ.) का गठन किया जा चुका हैै। तथा इसकी दो बटालियन को आपदा से निपटने के लिये प्रशिक्षित एवं उपकरणों से सुसज्जित करते हुए तैनात किया जा चुका है।

राज्य आपदा प्रबंधन योजना


- राज्य आपदा प्रबंधन योजना तैयार कर ली गई है। इसमें आपदा पूर्व एवं आपदा घटित होने पर विभिन्न दायित्व का निर्धारण किया गया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का ढ़ांचा और इसके पृथक कार्यालय भवन के लिये कदम उठाए जा रहे हैं।

संपत्तियों का पुनर्निर्माण


- 19 सार्वजनिक भवनों (खाद्य गोदाम, इंटर कॉलेज, डिस्पेंसरी, पुलिस पोस्ट, आई.टी.आई आदि) की पुनर्निर्माण किया गया। इसके अलावा आठ प्राथमिक विद्यालय का भी पुनर्निर्माण किया जा चुका है। 10 क्षतिग्रस्त सार्वजनिक भवनों के पुनर्निर्माण का कार्य किया जा रहा है।

श्री केदारनाथ पुनर्निर्माण

गौरीकुण्ड से श्री केदारनाथ धाम तक विभिन्न स्थानों पर पर्यटक/तीर्थयात्रियों के लिये यात्री शेड का निर्माण, शौचालयों की व्यवस्था, पार्किंग स्थलों का विकास आदि का कार्य।

संचार साधनों का विकास


- मौसम पूर्व चेतावनी तंत्र सुदृढ़ करने के कार्य के तहत राज्य में भिलंगना (टिहरी), गैरसैण (चमोली), तहसील मुन्सयारी (पिथौरागढ़), त्यूनी (देहरादून) में विश्व बैंक की मदद से चल रही परियोजना के अंतर्गत आॅटोमैटिक वेदर स्टेशन लगाए गए हैं तथा राज्य में 64 स्वचालित रैन गेज/स्नो गेज भी भारत सरकार के माध्यम से लगाए जाने की कार्यवाही की जा रही है।

- जनपद रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में आपातकालीन संचार सुविधाओं के अंतर्गत डी.एस.पी.टी. फोन भी लगाए जा चुके हैं।

- राज्य में आने वाले पर्यटकों/यात्रियों का पंजीकरण/पर्यटक सुविधाओं का विकास।

- यात्रियों के पंजीकरण के लिये राज्य में विभिन्न चिन्हित स्थानों पर पंजीकरण की सुविधा पर्यटन विभाग द्वारा दी जा रही है तथा कुमाऊं मंडल विकास निगम एवं गढ़वाल मंडल विकास निगम के क्षतिग्रस्त पर्यटक आवास गृहों तथा यात्री सुविधा के निर्माण के लिये 53.42 करोड़ रुपये की योजनाओं पर काम जारी है।