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सहारनपुर। देश के कई भागों में आर्सेनिक युक्त जल पीने के कारण लोग कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के अनेक गांवों में भूजल में आर्सेनिक तत्व पाए जाने की पुष्टि वैज्ञानिकों ने की है।
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रूड़की के निदेशक डॉ. आर. डी. सिंह ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि पश्चिम बंगाल के कई गांवों में पीने के पानी में प्रति लीटर 3.20 मि.ग्रा. आर्सेनिक पाया गया है, जो सरकार द्वारा निर्धारित मानक से 64 गुणा अधिक है। उन्होंने बताया कि आर्सेनिक एक ऐसा विषैला तत्व है, जिसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह कैंसर उत्पन्न कर देता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू.एच. ओ. ने पीने के पानी में आर्सेनिक की प्रति लीटर मात्रा शून्य दशमलव शून्य एक मि.ग्रा. तय की हुई है, जबकि भारत सरकार ने शून्य दशमलव शून्य पांच मि.ग्रा. तक आर्सेनिक का मानक तय किया हुआ है। पीने के पानी में इससे अधिक आर्सेनिक होना स्वास्थ्य के लिए जान लेवा सिद्ध हो सकता है।
पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद, वर्धमान, नाडिया, हावड़ा, हुगली, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और कोलकाता जिलों के लोग इस पानी को पीने से विभिन्न रोगों के शिकार हो रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू.एच. ओ. ने पीने के पानी में आर्सेनिक की प्रति लीटर मात्रा शून्य दशमलव शून्य एक मि.ग्रा. तय की हुई है, जबकि भारत सरकार ने शून्य दशमलव शून्य पांच मि.ग्रा. तक आर्सेनिक का मानक तय किया हुआ है। पीने के पानी में इससे अधिक आर्सेनिक होना स्वास्थ्य के लिए जान लेवा सिद्ध हो सकता है। इसी संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. एन. सी. घोष ने बताया कि करीब 10 हजार वर्ष पहले मिट्टी पथरीली थी और धीरे-धीरे जियोजेनिक कारणों से कुछ पत्थर मिट्टी में परिवर्तित हो गए। इन पत्थरों के कण लौह तत्व से मिलकर भूजल में घुलनशील होकर आर्सेनिक में तबदील हो गए।
डॉ. घोष ने बताया कि बिहार में 15 जिलों के 57 ब्लाकों में आर्सेनिक की मात्रा सरकार द्वारा निर्धारित मानक से अधिक पाई गई है। ये जिले है- बक्सर, भोजपुर, पटना, खगडिया, लखीसराय, सारन, बैशाली, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुंगेर, भागलपुर, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में तीन जिलों के 7 ब्लॉकों के 69 गांवों के भूजल में आर्सेनिक पाए जाने की पुष्टि वैज्ञानिकों ने की है। ये जिले है- बलिया, गाजीपुर तथा वाराणसी।
झारखंड के 68 गांव असम में 9 ब्लॉक, मणिपुर में 4 जिले और छत्तीसगढ़ के 4 गांव ऐसे पाए गए है, जिनमें भूजल आर्सेनिक के कारण प्रदूषित हो चुका है।
डॉ. घोष ने बताया कि आर्सेनिक युक्त जल के निरंतर सेवन से देश के 36 जिलों में लोग शारीरिक कमजोरी, थकान, तपेदिक, (टी.बी.), श्वॉस सम्बंधी रोग, पेट दर्द, जिगर एवं प्लीहा में वृद्धि, खून की कमी, बदहजमी, वजन में गिरावट, आंखों में जलन, त्वचा सम्बंधी रोग तथा कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं।
उन्होंने बताया कि आर्सेनिक तत्व से पीने का पानी विषाक्त हो जाता है। इसे पीने योग्य बनाने के लिए पश्चिम बंगाल में अब आर्सेनिक रिमूवेबल फिल्टर भी लगाए गए हैं।
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रूड़की के निदेशक डॉ. आर. डी. सिंह ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि पश्चिम बंगाल के कई गांवों में पीने के पानी में प्रति लीटर 3.20 मि.ग्रा. आर्सेनिक पाया गया है, जो सरकार द्वारा निर्धारित मानक से 64 गुणा अधिक है। उन्होंने बताया कि आर्सेनिक एक ऐसा विषैला तत्व है, जिसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह कैंसर उत्पन्न कर देता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू.एच. ओ. ने पीने के पानी में आर्सेनिक की प्रति लीटर मात्रा शून्य दशमलव शून्य एक मि.ग्रा. तय की हुई है, जबकि भारत सरकार ने शून्य दशमलव शून्य पांच मि.ग्रा. तक आर्सेनिक का मानक तय किया हुआ है। पीने के पानी में इससे अधिक आर्सेनिक होना स्वास्थ्य के लिए जान लेवा सिद्ध हो सकता है।
पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद, वर्धमान, नाडिया, हावड़ा, हुगली, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और कोलकाता जिलों के लोग इस पानी को पीने से विभिन्न रोगों के शिकार हो रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू.एच. ओ. ने पीने के पानी में आर्सेनिक की प्रति लीटर मात्रा शून्य दशमलव शून्य एक मि.ग्रा. तय की हुई है, जबकि भारत सरकार ने शून्य दशमलव शून्य पांच मि.ग्रा. तक आर्सेनिक का मानक तय किया हुआ है। पीने के पानी में इससे अधिक आर्सेनिक होना स्वास्थ्य के लिए जान लेवा सिद्ध हो सकता है। इसी संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. एन. सी. घोष ने बताया कि करीब 10 हजार वर्ष पहले मिट्टी पथरीली थी और धीरे-धीरे जियोजेनिक कारणों से कुछ पत्थर मिट्टी में परिवर्तित हो गए। इन पत्थरों के कण लौह तत्व से मिलकर भूजल में घुलनशील होकर आर्सेनिक में तबदील हो गए।
डॉ. घोष ने बताया कि बिहार में 15 जिलों के 57 ब्लाकों में आर्सेनिक की मात्रा सरकार द्वारा निर्धारित मानक से अधिक पाई गई है। ये जिले है- बक्सर, भोजपुर, पटना, खगडिया, लखीसराय, सारन, बैशाली, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुंगेर, भागलपुर, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में तीन जिलों के 7 ब्लॉकों के 69 गांवों के भूजल में आर्सेनिक पाए जाने की पुष्टि वैज्ञानिकों ने की है। ये जिले है- बलिया, गाजीपुर तथा वाराणसी।
झारखंड के 68 गांव असम में 9 ब्लॉक, मणिपुर में 4 जिले और छत्तीसगढ़ के 4 गांव ऐसे पाए गए है, जिनमें भूजल आर्सेनिक के कारण प्रदूषित हो चुका है।
डॉ. घोष ने बताया कि आर्सेनिक युक्त जल के निरंतर सेवन से देश के 36 जिलों में लोग शारीरिक कमजोरी, थकान, तपेदिक, (टी.बी.), श्वॉस सम्बंधी रोग, पेट दर्द, जिगर एवं प्लीहा में वृद्धि, खून की कमी, बदहजमी, वजन में गिरावट, आंखों में जलन, त्वचा सम्बंधी रोग तथा कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं।
उन्होंने बताया कि आर्सेनिक तत्व से पीने का पानी विषाक्त हो जाता है। इसे पीने योग्य बनाने के लिए पश्चिम बंगाल में अब आर्सेनिक रिमूवेबल फिल्टर भी लगाए गए हैं।