वर्ष 1998 में हरिद्वार के जगजीतपुर गाँव में गंगा किनारे स्थापित ‘मातृसदन आश्रम’ गंगा-अविरलता के लिये बलिदानी-भूमि बन गई है। मातृसदन के परमाध्यक्ष शिवानंद सरस्वती और उनके सन्तों का गंगा प्रेम अदभुत है, गंगा के लिये अब तक आश्रम से जुड़े तीन सन्तों का बलिदान हो चुका है। मातृसदन के सन्त पवित्र गंगा-अविरलता और हरिद्वार-कुम्भक्षेत्र की रक्षा के लिये विगत दो दशक से खनन माफियाओं और सरकारों से लड़ाई लड़ रहे हैं। आश्रम के सन्तों पर कई बार हमले भी हुए, लेकिन उन्होंने गंगा रक्षार्थ अपना संघर्ष नहीं त्यागा है। इस बीच मातृसदन में ही स्वामी सानंद भी 112 दिन तक अनशन करते हुए गंगालीन हो चुके हैं। उन्होंने अपने संघर्ष के लिये मातृसदन का ही परिसर चुना और यहाँ के संघर्ष और बलिदान की परम्परा को आगे बढ़ाया। मातृसदन के परमाध्यक्ष शिवानंद सरस्वती का कहना है कि मातृसदन गंगा के लिये कोई भी बलिदान देने को तत्पर है।
स्वामी सानंद के बाद मातृसदन के युवा सन्यासी आत्मबोधानंद तपस्या को आगे बढ़ा रहे हैं। स्वामी सानंद जी/डॉ. जी.डी. अग्रवाल की तपस्या अक्षुण्ण रखने हेतु दिनांक 24 अक्टूबर, 2018 से ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद तपस्यारत हैं उनको भी इलाज करने की आड़ में मारने की कोशिश की गई। आज उनकी तपस्या के 95 दिन पूरे हो चुके हैं और उनका जीवन भी खतरे में है।
भारत के अनेक प्रबुद्ध नागरिक गंगा की अविरलता और निर्मलता की मांग के लिये दिनांक 28 जनवरी, 2019 सोमवार से जन्तर-मन्तर, दिल्ली में क्रमिक अनशन आरम्भ कर रहे हैं।
इस क्रमिक अनशन में नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेत्री मेधा पाटकर, प्रसिद्ध पर्यावरण एडवोकेट एमसी मेहता, माटूजन संगठन से विमल भाई यमुना वाटरकीपर से पंडित अश्विनी कुमार, गंगा आह्वान से हेमंत ध्यानी आदि क्रमिक अनशन में पहुँचेंगे।
जो साथी जन्तर-मन्तर के क्रमिक अनशन में शामिल होना चाहते हैं, वे डॉ. विजय वर्मा से सम्पर्क करें। उनका सम्पर्क नम्बर 9634847444, 9219172063 है।
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