बड़ी झील तमाशा नहीं है

Submitted by Hindi on Mon, 07/18/2011 - 09:49
बड़ी झील तमाशा नहीं है
जिसे देखने हर रोज उमड़ते हैं लोग
झील बहुत अपनी है (अनन्य!)
जिस से लोग मिलने जाते हैं

झील से भेंट कर
लोगों को खुशी मिलती है
और बढ़ जाता है भीतर
आत्मीयता का जल

प्यास कहो
तो पानी से रिश्ता जुड़ जाता है
और दुनिया के हर कण्ठ की प्यास
अपनी हो जाती है

भोपाल कहो तो बड़ी झील से
अपनी पुरानी जान-पहचान निकल आती है!