बरद बिसाहन जाओ कंता

Submitted by Hindi on Wed, 03/24/2010 - 11:43
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घाघ और भड्डरी

बरद बिसाहन जाओ कंता। खैरा का जनि देखो दंता।।
जहाँ परै खैरा की खुरी। तो कर डारै चापर पुरी।।
जहाँ परै खैरा की लार। बढ़नी लेके बुहारो सार।।


भावार्थ- किसान की पत्नी कहती है कि हे स्वामी! बैल खरीदते समय कत्थई रंग के बैल के दाँत नहीं गिनने चाहिए। अर्थात् नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि ये मनहूस माने जाते हैं। इनके पैर जहाँ पड़ते हैं वहाँ तबाही आ जाती है। यदि बैल बाँधने की जगह पर उसके मुँह की लार गिर पड़े हो, तो उसे तत्काल झाडू से बुहार कर साफ कर देना चाहिए।