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चौथी दुनिया, 05 दिसम्बर 2011
आर्कटिक सागर पर सफेद बर्फ की मोटी चादर जल्द ही अतीत का हिस्सा बन सकती है। ब्रिटेन के एक शीर्ष महासागर विशेषज्ञ ने दावा किया है कि 2015 के ग्रीष्म तक वहां से बर्फ खत्म हो जाएगी। बर्फ कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रो. पीटर वधाम्स के मुताबिक, आर्कटिक सागर की बर्फ इतनी तेजी से सिकुड़ रही है कि अगले चार साल में ही यह समाप्त हो सकती है। इससे ध्रुवीय भालू जैसे जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास की समस्या खड़ी हो जाएगी। उत्तरी रूस, कनाडा और ग्रीनलैंड के बीच में पसरी यह बर्फ मौसम के साथ घटती-बढ़ती रहती है।
फिलहाल यह 40 लाख वर्ग किलोमीटर के आकार में सिमट गई है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय समिति के ताजातरीन अनुमानों सहित ज्यादातर मॉडलों में हाल के दिनों में बर्फ के सिकुड़ने के हिसाब से इसके समाप्त होने की गणना की गई है। हालांकि वधाम्स का कहना है कि ऐसे अनुमान जलवायु परिवर्तन के तेजी से पड़ने वाले असर के सटीक आकलन में नाकाम रहते हैं। उनका कहना है कि उनका मॉडल सर्वश्रेष्ठ है। यह दिखाता है कि बर्फ के घनत्व में गिरावट इतनी तेजी से हो रही है कि बहुत जल्द ही यह शून्य के स्तर पर पहुंच जाएगा। 2015 का अनुमान बेहद गंभीर अनुमान है।
फिलहाल यह 40 लाख वर्ग किलोमीटर के आकार में सिमट गई है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय समिति के ताजातरीन अनुमानों सहित ज्यादातर मॉडलों में हाल के दिनों में बर्फ के सिकुड़ने के हिसाब से इसके समाप्त होने की गणना की गई है। हालांकि वधाम्स का कहना है कि ऐसे अनुमान जलवायु परिवर्तन के तेजी से पड़ने वाले असर के सटीक आकलन में नाकाम रहते हैं। उनका कहना है कि उनका मॉडल सर्वश्रेष्ठ है। यह दिखाता है कि बर्फ के घनत्व में गिरावट इतनी तेजी से हो रही है कि बहुत जल्द ही यह शून्य के स्तर पर पहुंच जाएगा। 2015 का अनुमान बेहद गंभीर अनुमान है।