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पंजाब केसरी, 24 सितंबर 2012
लंदन: शौकिया आकाश का निरीक्षण करने वालों ने बादलों की एक नयी प्रजाति ‘अनडुलैटस एस्परेटस’ को खोजा है। यह वर्ष 1951 के बाद औपचारिक तौर पर मान्यता प्राप्त करने वाली बादलों की पहली प्रजाति बन सकती है। ब्रिटेन स्थित क्लाउड एप्रेसिएशन सोसायटी (सीएएस) कोशिशों में लगा है कि जिनिवा स्थित वल्र्ड मिटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन इसे इंटरनेशनल क्लाउड एटलस में शामिल कर ले।
इस एटलस को अंतिम बार वर्ष 1975 में बनाया गया था। ‘डेली मेल’ की खबर के मुताबिक, अगर सीएएस अपनी कोशिशों में कामयाब हो जाता है तो वर्ष 1951 के बाद पहली बार बादलों की एक नयी प्रजाति को मान्यता मिलेगी। यह प्रजाति फ्रांस, नार्वे और स्कॉटलैंड के कुछ इलाकों में दिखी है।
इस एटलस को अंतिम बार वर्ष 1975 में बनाया गया था। ‘डेली मेल’ की खबर के मुताबिक, अगर सीएएस अपनी कोशिशों में कामयाब हो जाता है तो वर्ष 1951 के बाद पहली बार बादलों की एक नयी प्रजाति को मान्यता मिलेगी। यह प्रजाति फ्रांस, नार्वे और स्कॉटलैंड के कुछ इलाकों में दिखी है।