उत्तरकाशीः राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने भागीरथी नदी में ऑलवेदर रोड का मलबा डालने से हुए नुकसान की भरपाई को कार्यदायी कम्पनी नेशनल हाइवेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) पर दो करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही ऑलवेदर रोड निर्माण के लिये जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं।
16 फरवरी, 2018 के अंक में ‘भागीरथी में समा रहा मलबा’ शीर्षक से प्रकाशित खबर में चुंगी बड़ेथी व नालूपानी के पास ऑलवेदर के कार्य का मलबा भागीरथी में डालने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद वन विभाग की ओर से निर्माण कम्पनी एनएचआइडीसीएल को नोटिस जारी किया गया। साथ ही दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता गौरव जैन ने एनजीटी में जनहित याचिका दायर की। एनजीटी ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जवाब माँगने के साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जीबी पन्त हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान अल्मोड़ा, केन्द्रीय मृदा एवं जल संरक्षण बोर्ड, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान चंडीगढ़ की एक संयुक्त जाँच टीम गठित की। टीम ने भागीरथी व अलकनंदा नदी में गिराये जा रहे ऑलवेदर रोड के मलबे की स्थिति को देखा और रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी।
गत एक नवम्बर को एनजीटी ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। ऑलवेदर रोड कटिंग का मलबा नदी में डालने से हुए नुकसान की भरपाई क लिये एनजीटी ने एनएचआइडीसीएल पर दो करोड़ रुपए का जुर्माना लगाते हुए जुर्माने की राशि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करने के आदेश दिये।
इसके साथ ही एनजीटी ने भागीरथी व अन्य नदियों में मलबा न डालने के लिये भी खास दिशा-निर्देश दिये हैं।
“ऑलवेदर रोड के मलबे की डम्पिंग को लेकर एनजीटी के फैसले की प्रति अभी मुझे नहीं मिली है। एनजीटी के जो भी दिशा-निर्देश होंगे, उनका कड़ाई से पालन कराया जाएगा। ‘नमामि गंगे’ समेत जो भी मसले एनजीटी में चल रहे हैं, उन्हें लेकर मैंने शनिवार को अधिकारियों की बैठक बुलाई है।” -डॉ. आशीष चौहान, जिलाधिकारी उत्तरकाशी
ये हैं खास दिशा-निर्देश
1. जहाँ सड़क का चौड़ीकरण किया जा रहा हैं, वहाँ रिटेनिंग वॉल बनाई जाए, ताकि नदी में मलबा न गिरे।
2. सड़क के चौड़ीकरण से पहले ही डम्पिंग जोन का डिजाइन किया जाए और उसके रख-रखाव के इन्तजाम भी किये जाएँ।
3. डम्पिंग जोन के पास एक बोर्ड लगाया जाए, जिसमें क्षेत्रफल व स्थान आदि का उल्लेख हो।
4. डम्पिंग जोन में भी अधिक मलबा न डालें, ताकि वह इधर-उधर न बिखरे।
5. डम्पिंग जोन की सुरक्षा दीवार अच्छी तकनीकी से बनाएँ।
6. जो डम्पिंग जोन भर चुके हैं, उनमें घास और पौधों का रोपण करें।
7. सभी सड़कों के निर्माण में मलबा निस्तारण प्रबन्धन नियम - 2016 के नियमों का पालन किया जाए।
8. एनजीटी की ओर से गठित कमेटी हर तीसरे माह डम्पिंग की स्थिति की निगरानी करेगी और रिपोर्ट करेगी।
Source
दैनिक जागरण, 2 नवम्बर, 2018