भारत में भूजल का विभिन्न सेक्टरों में उपयोग

Submitted by Shivendra on Fri, 06/12/2020 - 12:04

फोटो - Himanshu Bhatt

भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन जल संरक्षण के क्षेत्र में भारत काफी ज्यादा पिछड़ा हुआ है। खेती के लिए अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के भारत भूजल पर ही निर्भर है। एक प्रकार से दुनिया में सबसे ज्यादा भूजल करने वाले देशों में भारत शुमार है, लेकिन भूजल पर भारत की इसी निर्भरता ने भीषण जल संकट का रूप ले लिया है और देश के कई इलाकों में किसानों को सिंचाई के लिए मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है। हमारी पिछली रिपोर्ट में आपने पढ़ा था कि भारत में राज्यवार भूजल दोहन कितना हो रहा है। इस रिपोर्ट में पढ़िए कि राज्य भूजल का कितना उपयोग किस-किस सेक्टर में कर रहे हैं।

केंद्रीय भूजल बोर्ड फरीदाबाद के आंकड़ों के अनुसार पंजाब कुल भूजल दोहन का 97 प्रतिशत पानी सिंचाई के लिए उपयोग करता है, जबकि राजस्थान 89 प्रतिशत, हरियाणा 92 प्रतिशत, तमिलनाडु 89 प्रतिशत, पुड्डुचेरी 73 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 89 प्रतिशत, कर्नाटक 91 प्रतिशत, तेलंगाना 88 प्रतिशत, गुजरात 95 प्रतिशत, दमन और दीव 100 प्रतिशत, उत्तराखंड 79 प्रतिशत, मध्य प्रदेश 92 प्रतिशत, महाराष्ट्र 92 प्रतिशत, केरल 46 प्रतिशत, बिहार 81 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 92 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ 85 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश 88 प्रतिशत, ओडिशा 80 प्रतिशत, गोवा 40 प्रतिशत, दादरा और नगर हवेली 50 प्रतिशत, जम्मू और कश्मीर 26 प्रतिशत, झारखंड 51 प्रतिशत, असम 72 प्रतिशत, त्रिपुरा 20 प्रतिशत, मेघालय 75 प्रतिशत भूजल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। देश की राजधानी दिल्ली में खेती की जमीन न के बराबर बची है, लेकिन फिर भी यहां वर्ष 2017 में 119.61 प्रतिशत भूजल दोहन किया गया था, जिसमें से 25 प्रतिशत सिंचाई के उपयोग में लाया गया था, जबकि 6 प्रतिशत जल उद्योग और 67 प्रतिशत जल घरेलू उपयोग में लाया गया था।

राज्यवार भूजल का उपयोग (सभी आंकड़ें प्रतिशत में)

राज्य सिंचाई  उद्योग घरेलू  घरेलू और औद्योगिक उपयोग
पंजाब  97 1 3 -
राजस्थान  89 - - 11
हरियाणा  92 3 5 -
दिल्ली 25 6 67 -
चंडीगढ़  - - - 100
हिमाचल प्रदेश 51 - - 49
तमिलनाडु  89 - - 11
लक्षद्वीप  0 0 100 -
पुड्डुचेरी 73 - - 27
तेलंगाना  88 0 12 -
गुजरात  95 1 5 -
कर्नाटक  91 - - 9
दमन और दीव 100 - - -
उत्तराखंड  79 8 13 -
मध्य प्रदेश 92 1 7 -
महाराष्ट्र 92 1 7 -
केरल  46 0 54 -
बिहार  81 5 14 -
पश्चिम बंगाल 92 - - 8
छत्तीसगढ़  85 1 14 -
आंध्र प्रदेश 88 2 10 -
ओडिशा  80 2 18 -
गोवा  40 - - 60
दादरा और नगर हवेली 50 - - 50
जम्मू और कश्मीर 26 9 66 -
झारखंड  51 14 35 -
असम  72 2 25 -
त्रिपुरा  20 0 80 -
मिजोरम  0 0 100 -
अंडमान-निकोबार 0 0 100 -
मेघालय  75 0 25 -
मणिपुर  0 0 0 -
नागालैंड़  0 0 100 -
अरुणाचल प्रदेश 0 0 100 -
सिक्किम  0 0 0 -

वर्ष 2017 में पंजाब ने 1 प्रतिशत भूजल का उपयोग उद्योगों और 3 प्रतिशत घरेलू उपयोग किया था, जबकि घरेलू और उद्योगों में राजस्थान ने 11 प्रतिशत, चंडीगढ़ ने 100 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश ने 49 प्रतिशत, तमिलनाडु ने 11 प्रतिशत, पुड्डुचेरी ने 27 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश ने 11 प्रतिशत, कर्नाटक ने 9 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल ने 8 प्रतिशत, गोवा ने 60 प्रतिशत, दादरा और नगर हवेली ने 50 प्रतिशत भूजल का उपयोग किया था। घरेलू और औद्योगिक उपयोग के आंकड़ों को एक साथ इसलिए दिखाया गया था, क्योंकि गोवा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली और पुड्डुचेरी में औद्योगिक और घरेलू कार्य के लिए भूजल दोहन की अलग से गणना नहीं की गई है, लेकिन पंजाब में एक प्रतिशत जल उद्योग और 3 प्रतिशत घरेलू कार्यो के लिए उपयोग में लाया गया था। इन आंकड़ों को डाउन टू अर्थ ने भी प्रकाशित किया है।

उद्योग और घरेलू उपयोग में क्रमशः हरियाणा 3 और 5 प्रतिशत, दिल्ली 6 और 67 प्रतिशत, लक्षद्वीप 100 प्रतिशत, तेलंगाना 0 और 12 प्रतिशत, गुजरात 1 और 5 प्रतिशत, उत्तराखंड़ 8 और 13 प्रतिशत, मध्य प्रदेश 1 और 7 प्रतिशत, महाराष्ट्र 1 और 7 प्रतिशत, केरल 0 और 54 प्रतिशत, बिहार 5 और 14 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ 1 और 14 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश 2 और 10 प्रतिशत, ओडिशा 2 और 18 प्रतिशत, जम्मू और कश्मीर 9 और 66 प्रतिशत, झारखंड 14 और 35 प्रतिशत, असम 2 और 25 प्रतिशत, त्रिपुरा 0 और 80 प्रतिशत, मिजोरम 0 और 100 प्रतिशत, अंडमान और निकोबार 0 और 100 प्रतिशत, मेघालय 0 और 25 प्रतिशत, नागालैंड 0 और 100 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश 0 और 100 प्रतिशत भूजल का उपयोग करते हैं। भारत में यदि वास्तव में जल संकट से बचना है, तो सिंचाई पद्धतियों में बदलाव कर जल संग्रहण और जल संरक्षण पर ध्यान देना होगा।

 

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हिमांशु भट्ट (8057170025)