प्रदूषित पानी पीने से होने वाली बीमारियों की वजह से भारत में हर साल करीब 7 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवाते है और ये आंकड़ा ज़्यदातर ग्राaमीण इलाको से सामने आये है अभी हाल ही में 7 दिसंबर 2022 को एक ऐसी घटना सामने आई जिसने राजस्थान के जल विभाग की पोल खोल कर रख दी और इस घटना ने देशभर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया ,घटना राजस्थान के करौली की है जहाँ प्रदूषित पानी पीने से 12 साल के एक मासूम ने दम तोड़ दिया और 125 लोग बीमार हो गए जिन्हे जयपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया ।
करौली जिले के हिंडौन सिटी के दुब्बे पाड़ा, चौबे पाड़ा, पाठक पाड़ा, काना हनुमान पाड़ा, गुलशन कॉलोनी और जाट की सराय सहित बाईपास की कई कॉलोनियों में जल विभाग की पानी की टंकी से पानी सप्लाई किया जाता है. जल विभाग द्वारा पानी की जो सप्लाई की जा रही है उस पानी को पीने से लोग बीमार हो रहे है। भले ही जिलाधिकारी द्वारा जांच के आदेश दे दिए हो लेकिन ये एक बड़ा सवाल है की जिस टंकी से पानी इन जगहों पर सप्लाई किया जाता है उस टंकी की आखरी बार सफाई कब हुई थी रिपोर्ट्स की माने तो स्थानीय लोगो ने पहले भी इसकी शिकायत जल विभाग से की थी कि टंकी का पानी पीने लायक जैसा नहीं है लेकिन बावजूद इसके विभाग के कर्मचारियों ने इसकी सुध नहीं ली और अब आलम ये है की उनकी गलती की वजह से जहाँ एक 12 साल के मासूम ने अपनी जान गँवा दी वही 125 लोग अभी भी अस्पताल में प्रदूषित पानी पीने की वजह से अपना इलाज करवा रहे है ।
जल उपलब्धता के मामले में भारत का स्थान 180 देशों में 133वाँ है। असलियत में दुनिया में 2.6 अरब आबादी को साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल और गन्दे नाले के निकास जैसी बुनियादी सुविधाएँ तक उपलब्ध नहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में कुल मरने वालों में से 6 फीसदी मौतें प्रदूषित पानी पीने से और सेनिटेशन की समुचित व्यवस्था के अभाव में होती हैं ,और भारत में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले तकरीब 6.3 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी तक नसीब होता है। वैज्ञानिको की माने तो जो भूजल पहले पीनी के लिए सुरक्षित था वो अब उतना ज्यादा सुरक्षित नहीं रह गया है क्यूंकि कृषि कार्यो में रासायनिक खादों व उद्योगों में रसायनों के बेतहाशा इस्तेमाल और उसके विषाक्त निकास से बुरी तरह ये पानी अब प्रदूषित हो गया हैं अब सवाल ये है की क्या विकास की अंधी दौड़ में मनुष्य अपनी जान के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहा है राजस्थान में प्रदूषित पानी पीने से जो दुखद घटना सामने आई है वो हमें सोचने पर मजबूर करती है कि प्राकृतिक संसाधनों का अतिक्रमण न किया जाय वार्ना हमें अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है