भूकम्प का पूर्वानुमान सम्भव नहीं
भूकम्प एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका पूर्वानुमान सम्भव नहीं है। विज्ञान की तमाम आधुनिक सुविधाओं के बावजूद भूकम्प आने के समय, भूकम्प के असर का दायरा और तीव्रता बताना मुश्किल है।
बीबीसी को दिये गये अपने एक बयान में प्रो. चंदन घोष बताते हैं कि जब कोई भूकम्प आता है तो दो तरह के वेव निकलते हैं। एक को प्राइमरी वेव कहते हैं और दूसरे को सेकेन्ड्री वेव कहते हैं।
प्राइमरी वेव की गति औसतन 6 कि.मी. प्रति सेकेन्ड की होती है जबकि सेकेन्ड्री वेव औसतन 4 कि.मी. प्रति सेकेन्ड की रफ्तार से चलती है। इस अन्तर के चलते हरेक 100 कि.मी. पर 8 सेकेन्ड का अन्तर हो जाता है। यानि भूकम्प केन्द्र से 100 कि.मी. दूरी पर 8 सेकेन्ड पहले पता चल सकता है कि भूकम्प आने वाले है।
यह समयान्तराल कुछ सेकेन्ड का बेहद कम होता है। यही वजह है कि इसको लेकर भूकम्प की कोई भविष्यवाणी सम्भव नहीं हो पाती। हाँ इसकी मदद से जापान में बुलेट ट्रेन और परमाणु ऊर्जा संयन्त्रों को ओटोमेटिक ढंग से जरूर रोक दिया जाता है।
घबड़ाने की बजाय स्थिर मन से लें निर्णय
भूकम्प आने के बाद ज्यादातर लोग किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में पहुँच जाते हैं। समझ नहीं पाते कि करना क्या है। घर में ही रहना है या घर से बाहर जाना है। घर में रहना है तो क्या करना है? घर के बाहर हैं तो क्या करना है? मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में हैं तो क्या करना है। पुराने टाइप के किसी मकान में हैं तो क्या करना है? इन बातों पर पर हम अगर गौर नहीं करेंगे तो नुकसान काफी ज्यादा होता है।
भूकम्प एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसका पूर्वानुमान करना लगभग असम्भव है। अकसर ऐसा कहते हुए लोग सुने जाते हैं कि मौसम विभग अगर हमें जानकारी दे देता तो नुकसान कम होता। एबीपी लाइव को दिए गए एक साक्षात्कार में यूपी मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता कहते हैं कि ‘भूकम्प कब आएगा इसकी भविष्यवाणी नहीं की सकती। भूकम्प की कोई निश्चित समय भी नहीं बताया जा सकता। अगर कोई व्यक्ति यह कह रहा है कि इतने बजे भूकम्प आएगा तो वह कोरी अफवाह होगी। कुछ शरारती तत्व दहशत फैलाने के लिए ऐसा करते हैं।’
भूकम्प आने से पहले हमें क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए
भूकम्प के बारे में अगर हम अग्रिम योजना बना लें तो नुकसान को काफी कम किया जा सकता है। मकानों के गिरने, सड़कों के फटने और जान-माल की हानि को कम-से-कमतर किया जा सकता है। भूकम्परोधी मकानों के निर्माण के बारे में ‘भूकम्प निर्माण मानकों’ का पालन हमें जरूर करना चाहिए।
पर्यावरणविद वंदना शिवा बताती हैं “कैलिफोर्निया में हमेशा भूकम्प आते रहते हैं, लेकिन वहाँ का एक ‘बिल्डिंग कोड’ है, जिससे कि वहाँ के मकान भूकम्प को सहन कर लेते हैं और जान व माल को नुकसान की बड़ी घटना नहीं हो पाती। इसलिए हमें यह कोशिश करनी होगी कि ‘अर्थक्वैक फॉल्ट’ क्षेत्रों में वैज्ञानिकों के कहे मुताबिक बिल्डिंग कोड तैयार करें। बहुत ही साधारण सी बात है कि अगर एक मंजिल की जगह दस मंजिल इमारत खड़ी करेंगे, तो हमारा नुकसान भी एक की जगह दस गुना होगा। इस दस गुना बड़े नुकसान से बचने के लिए बिल्डिंग कोड बहुत जरूरी है। सरकारों को चाहिए कि देश में जहाँ-जहाँ भी ‘अर्थक्वैक फॉल्ट’ क्षेत्र हैं, वहाँ-वहाँ की जमीनों की जाँच-पड़ताल कर उसी आधार पर बिल्डिंग कोड तैयार किये जायें।”
वे आगे कहती हैं कि “हमारी यानी हमारी सरकारों की दिक्कत यह है कि एक तरफ वह आधुनिकीकरण करना चाहती है, जिसके तहत बड़े-बड़े, ऊँचे-ऊँचे मकान बना रही है, दूसरी ओर भूकम्प के खतरों को नजरअंदाज करती है। आधुनिकता के साथ जो सुरक्षा का भाव है, उसे सरकारें यह कह कर नजरअंदाज कर जाती हैं कि हम इतनी व्यवस्था नहीं कर सकते, क्योंकि हम एक गरीब देश हैं। कितनी अजीब बात है यह। ऐसे में भूकम्प से बचना कहाँ तक मुमकिन है? जाहिर है, दोनों एक साथ नहीं हो सकतीं। आधुनिकीकरण लाओ तो उसके साथ सुरक्षा भी लाना पड़ेगा। परमाणु हथियार लाओ, लेकिन उसके साथ ही उससे बचने के उपाय भी विकसित करो। हम सिर्फ एक ही को करना चाहते हैं, जो आगे चलकर सिवाय नुकसान के, कोई फायदा नहीं पहुँचा सकती हैं। अगर जीएम लाओगे, तो बायोसेफ्टी भी लाना होगा। इसी तरह से अगर आप बड़े-बड़े और ऊँचे-ऊँचे मकान बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए उस क्षेत्र के ‘अर्थक्वैक फॉल्ट’ को देखते हुए ‘बिल्डिंग कोड’ भी बनाना पड़ेगा।”
भूकम्प के बारे में अग्रिम योजना बनाने के तरीके
1. भूकम्प के समय क्या-क्या चीजें खतरनाक हो सकती हैं, और उनसे बचने के उपाय
1.i. भारी आलमारियाँ व शेल्व्स को दीवारों के पास ही रखें।
1.ii. बड़ी व भारी वस्तुओं को आलमारी या शेल्व्स के निचले हिस्से में ही रखें।
1.iii. बोतलबन्द खाद्य पदार्थ, काँच या चीनी मिट्टी की बनी आसानी से टूटने वाली नाज़ुक वस्तुओं को निचले हिस्से में बन्द आलमारियों में चिटकनी लगाकर रखें।
1.iv. जहाँ बैठने की जगह हो उसके ऊपर फ्रेम वाले बड़े चित्र या पेंटिंग्स न लगायें, भूकम्प के समय ये चीजें गिरकर नुकसान कर सकती हैं।
1.v. घर व कमरों की छतों पर ‘लाइटिंग’ ऊपरी फिटिंग्स को अन्डरग्राउण्ड ही करायें।
1.vi. खराब वायरिंग व कमजोर बिजली के तारों और रिसते गैस पाइप कनेक्शन की मरम्मत तुरन्त करायें। इनसे आग का सम्भावित जोखिम है।
1.vii. पानी के हीटर को दीवार पर से पट्टे द्वारा बान्धकर और फर्श से बोल्ट द्वारा जोड़कर सुरक्षित रखें।
1.viii. छत या नींव में गहरी दरारों की मरम्मत करें। अगर संरचनात्मक दोषों के संकेत मिलें तो विशेषज्ञ से सलाह प्राप्त करें।
1.ix. खरपतवार नाशक, कीटनाशक और ज्वलनशील उत्पादों को बन्द आलमारियों में निचले शेल्व्स पर तथा चिटकनी लगाकर रखें।
2. अन्दर और बाहर के सुरक्षित स्थानों को पहचानें
अपने घर में हमेशा ऐसे स्थान की खोज रखनी चाहिए जहाँ भूकम्प के समय शरण लिया जा सके।
2.i. मजबूत फर्नीचर, मजबूत टेबल या किसी मजबूत बेड के नीचे जैसे कि एक भारी डेस्क या टेबल।
2.ii. एक अंदरूनी दीवार के सामने। खिड़कियों, दर्पण, चित्रों से दूर जहाँ काँच टूटकर बिखर सकता है या गिरने की सम्भावना वाली किताबों की भारी आलमारियाँ या अन्य भारी फर्नीचर गिर सकता है, उनसे दूर।
2.iii. इमारतों, पेड़ों, टेलीफोन और बिजली लाइनों, पुलों या ऊँचाई पर महामार्गों से दूर।
3. खुद को और परिवार के सदस्यों को भूकम्प के बारे में शिक्षित करें
3.i. भूकम्प के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने स्थानीय आपातकालीन प्रबन्धन कार्यालय या रेडक्रॉस संस्था से सम्पर्क करें।
3.ii. बच्चों को सिखाएं कि 100, पुलिस या अग्निशमन विभाग को कब और कैसे बुलाना चाहिए और आपातकालीन जानकारी के लिए कौन सा रेडियो स्टेशन सुनना चाहिए।
3.iii. परिवार के सभी सदस्यों को सिखाएं कि गैस, बिजली और पानी कैसे और कब बन्द करना चाहिए।
4. त्रासदी के समय काम आने वाली सामग्री अपने पास रखें
4.i. टॉर्च और अतिरिक्त बैटरियाँ।
4.ii. पोर्टेबल बैटरी चालित रेडियो और अतिरिक्त बैटरियाँ।
4.iii. प्राथमिक चिकित्सा किट और मैनुअल।
4.iv. आपातकालीन भोजन और पानी।
4.v. गैर-बिजली चालित डिब्बा खोलने का औज़ार।
4.vi. आवश्यक दवाएं।
4.vii. नकद और क्रेडिट कार्ड।
4.viii. मजबूत जूते।
5. एक आपातकालीन संचार योजना विकसित करें
5.i. यदि परिवार के सदस्य भूकम्प के दौरान एक दूसरे से बिछुड़ जाएं (दिन के दौरान यह सम्भावना है कि जब वयस्क काम पर गए हों और बच्चे स्कूल में हों), त्रासदी के बाद पुनर्मिलन के लिए एक योजना विकसित करें।
5.ii. राज्य से बाहर के एक रिश्तेदार या दोस्त को 'परिवार सम्पर्क बिन्दु' के रूप में काम करने के लिए कहें। त्रासदी के बाद अकसर लम्बी दूरी का कॉल करना आसान होता है। यह सुनिश्चित करें कि परिवार में सभी को सम्पर्क व्यक्ति का नाम, पता और फोन नम्बर मालूम है।
6. तैयार रहने में अपने समुदाय की मदद करें
6. i. भूकम्प के समय आपात स्थिति पर जानकारी के साथ अपने स्थानीय समाचार पत्र में एक विशेष खण्ड प्रकाशित करें। स्थानीय आपातकालीन सेवा कार्यालयों, रेडक्रॉस संस्था और अस्पतालों के फोन नम्बर मुद्रित कर जानकारी को स्थानीयकृत करें।
6.ii. घर में खतरों का पता लगाने पर एक सप्ताह लम्बी शृंखला संचालित करें।
6.iii. भूकम्प के दौरान घायल, दुर्घटनाग्रस्त लोगों को क्या करना चाहिए इस बात पर विशेष रिपोर्ट्स तैयार करने के लिए स्थानीय आपातकालीन सेवाओं और रेडक्रॉस के अधिकारियों के साथ कार्य करें।
6.iv. घर में भूकम्प अभ्यास आयोजित करने पर युक्तियाँ प्रदान करें।
6.v. यदि घर में भूकम्प से भारी नुकसान हुआ हो और घर छतिग्रस्त हो गया हो तो यूटिलिटीज़ को बन्द करने के लिए गैस, बिजली और पानी की कम्पनियों के प्रतिनिधियों से बात करें।
6.vi. कोड्स, रिट्रोफिटिंग कार्यक्रम, खतरों की खोज और आस-पास व परिवार के आपातकालीन कार्यक्रमों को निर्मित करने में अपने ज्ञान का उपयोग कर समुदाय के साथ कार्य करें।
भूकम्प के दौरान क्या करना चाहिए
एक भूकम्प के दौरान जितना सम्भव हो, सुरक्षित रहें। ध्यान रखें कि कुछ भूकम्प वास्तव पूर्व-झटके होते हैं और बाद में अधिक बड़ा भूकम्प हो सकता है। नज़दीकी सुरक्षित क्षेत्र में जाने के लिए अपनी गतिविधियों को कुछ कदमों तक ही सीमित रखें और अगर आप घर के अंदर हैं, तो तब तक वहीं रहें जब तक कि आपको यकीन न हो जाए कि कम्पन बन्द हो चुका है और बाहर निकलना सुरक्षित है।
यदि घर के अन्दर हों
i. ज़मीन पर तुरन्त बैठ जाएं, एक तगड़े टेबल या अन्य फर्निचर के नीचे घुसकर ढाल की तरह इस्तेमाल लें; और कम्पन बन्द होने तक वहीं बने रहें। यदि आपके पास मेज या डेस्क नहीं है, अपने चेहरे और सिर को भुजाओं से ढकें और इमारत के अंदरूनी कोने में झुक कर खड़े रहें।
ii. काँच, खिड़कियों, बाहरी दरवाज़ों व दीवारों तथा प्रकाश की फिटिंग्स या फर्निचर जैसी गिर सकने वाली किसी भी वस्तु से दूर रहें।
iii. यदि भूकम्प आने के समय आप बिस्तर पर हैं, तो वहीं बने रहें। अपने सिर की रक्षा एक तकिये से करें, बशर्ते कि आप एक गिर सकने वाले भारी प्रकाश फिटिंग के नीचे नहीं हैं। उस स्थिति में, निकटतम सुरक्षित जगह पर जाएँ।
iv. आश्रय के लिए एक द्वार का प्रयोग तभी करें जब वह आपके करीब हो और अगर आप जानते हों कि वह दृढ़ता से सहारा प्राप्त, भार वहन करने योग्य दरवाज़ा है।
v. घर के अंदर कम्पन बन्द होने तक बने रहें। अनुसंधान ने दर्शाया है कि सबसे अधिक चोट तब लगती है जब इमारत के अन्दर मौज़ूद लोग इमारत के अन्दर ही दूसरे स्थान को जाने का प्रयास करते हैं या इमारत से बाहर आने की कोशिश करते हैं।
vi. इस बात के प्रति सावधान रहें कि बिजली बन्द हो सकती है या फव्वारा प्रणाली अथवा आग का अलार्म चालू हो सकते हैं।
vii. लिफ्ट का उपयोग न करें।
यदि घर से बाहर हों तो
i. बाहर ही बने रहें।
ii. इमारतों, सड़कों और यूटिलिटी के तारों से दूर हट जाएँ।
iii. एक बार खुले में आने के बाद, कम्पन बन्द होने तक वहीं रहें। सबसे बड़ा खतरा इमारतों के ठीक बाहर, निकास के मार्गों पर तथा बाहरी दीवारों से सटकर होता है। 1933 में लॉग बीच के भूकम्प में हुई 120 मौतों में से अधिकांश तब हुईं जब लोग इमारतों से बाहर भागे और दीवारों के ढहने से गिरे मलबे के नीचे दब गए। भूकम्प के दौरान भूमि खिसकना, शायद ही कभी मौत या चोट का प्रत्यक्ष कारण बनता है। भूकम्प से सम्बन्धित अधिकांश मौतें दीवारों के गिरने, काँच के टुकड़े उड़ने और गिरती वस्तुओं के कारण होती हैं।
यदि एक चलती गाड़ी में हों तो
i. जितनी जल्दी सुरक्षा अनुमति देती हो, उतनी जल्दी वाहन रोकें और उसमें बैठे रहें। इमारतों, पेड़ों, ऊपरी रास्तों और यूटिलिटी के तारों के पास या नीचे रुकने से बचें।
ii. भूकम्प रुक जाने पर सावधानी से आगे बढ़ें। उन सड़कों, पुलों, या रैंप से बचें जिनको भूकम्प से सम्भावित क्षति हुई हो।
यदि मलबे में दबे हों
i. माचिस नहीं जलाएं।
ii. धूल नहीं हटाएं या उसे लात नहीं मारें।
iii. अपना मुँह एक रूमाल या कपड़े से ढकें।
iv. पाइप या दीवार को ठोकें ताकि बचाव दल आपको ढूँढ सकें। अगर उपलब्ध हो तो सीटी का प्रयोग करें। केवल एक अंतिम उपाय के रूप में चिल्लाएँ। चिल्लाने से आपकी सांस के साथ खतरनाक मात्रा में धूल शरीर में जा सकती है।
भूकम्प के बाद क्या करना चाहिए
i. भूकम्प के बड़े झटके बाद हल्के झटके आ सकते हैं, यह अपेक्षित करें। ये माध्यमिक शॉकवेव्स आमतौर पर मुख्य भूकम्प से कम नुकसानदायक होती हैं लेकिन कमजोर संरचनाओं को अतिरिक्त नुकसान पहुँचाने के लिए पर्याप्त ताकतवर हो सकती हैं और भूकम्प के बाद के कुछ घण्टों, हफ्तों या यहाँ तक कि महीनों में भी हो सकती हैं।
ii. बैटरी चालित रेडियो या टेलीविजन को सुनें। आपात स्थिति की नवीनतम जानकारी के लिए सुनें।
iii. केवल आपातकालीन कॉल के लिए टेलीफोन का उपयोग करें।
iv. आलमारियाँ सावधानी से खोलें। आलमारियों से गिर सकने वाली वस्तुओं से सावधान रहें।
v. क्षतिग्रस्त क्षेत्रों से दूर रहें। तब तक दूर रहें जब तक कि आपकी सहायता के लिए पुलिस, अग्निशमन विभाग या राहत संगठनों द्वारा विशेष रूप से अनुरोध नहीं किया जाए। केवल तभी घर लौटें जब अधिकारियों द्वारा ऐसा करना सुरक्षित बता दिया जाए।
vi. अगर आप तटीय क्षेत्रों में रहते हैं तो सम्भावित सुनामी के बारे में जानकारी रखें। इन्हें भूकम्प समुद्र की लहरों (गलती से 'ज्वारीय लहरें' कहा जाता है) के रूप में भी जाना जाता है। जब स्थानीय अधिकारी सूनामी के प्रति चेतावनी जारी करें, तो यह मान लें कि खतरनाक लहरों की एक शृंखला आ रही है। समुद्र तट से दूर रहें।
vii. घायल या फंसे व्यक्तियों की मदद करें। शिशुओं, बुजुर्ग, विकलांग लोगों जैसे अपने उन पड़ोसियों की मदद करना न भूलें जिनको आपकी विशेष सहायता की आवश्यकता हो सकती है। जहाँ उपयुक्त हो, प्राथमिक चिकित्सा दें। जब तक उन्हें और अधिक चोट का तत्काल खतरा न हो, घायल व्यक्तियों को हटाने का प्रयास न करें। मदद के लिए पुकारें।
viii. गिर कर फैली हुई दवाओं, ब्लीच, गैसोलिन या अन्य ज्वलनशील तरल पदार्थों को तुरन्त साफ करें। यदि आपको अन्य रसायनों से गैस या वाष्प की बू आ रही हो तो उस क्षेत्र से हट जाएँ।
ix. क्षति के लिए चिमनियों की पूरी लम्बाई का निरीक्षण करें। ऐसी क्षति जिस पर ध्यान न दिया जाए, आग का कारण बन सकती है।
X. यूटिलिटीज़ का निरीक्षण करें।
Xi. गैस के रिसाव के लिए जाँच करें। यदि आपको गैस की बू आ रही हो या तेज़ अथवा धीमी अवाज़ आ रही हो, तो खिड़की खोलकर जल्दी से इमारत छोड़ दें। यदि सम्भव हो तो बाहर मुख्य वाल्व से गैस बन्द कर दें और पड़ोसी के घर से गैस कम्पनी को कॉल करें। यदि आप किसी भी कारण से गैस बन्द करते हैं तो उसे दोबारा एक पेशेवर द्वारा ही चालू किया जाना चाहिए।
xii. विद्युत प्रणाली को क्षति के लिए जाँचें। यदि आपको स्पार्क्स या टूटे हुए, अस्त व्यस्त तार दिखाई देते हैं या अगर आपको गर्म इन्सुलेशन की गंध आती है, तो मुख्य फ्यूज बॉक्स या सर्किट ब्रेकर से पावर ऑफ़ कर दें। अगर फ़्यूज़ बॉक्स या सर्किट ब्रेकर तक पहुँचने के लिए आपको पानी में से होकर जाना पड़े, तो किसी बिजली के मिस्त्री से सलाह लें।
xiii. क्षति के लिए सीवेज और पानी की लाइनों की जाँच करें। यदि आपको सन्देह है कि सीवेज लाइनें क्षतिग्रस्त हुई हैं, तो शौचालय का उपयोग करने से बचें और प्लम्बर को बुलाएं।
भूकम्प सम्बन्धी शब्दावली (Seismic Glossary in Hindi)
भूकम्प के जोखिम की पहचान करने में मदद के लिए इस शब्दावली से स्वयं को परिचित कर लें:
बाद के झटके (Aftershocks - आफ़्टरशॉक)
समान या कम तीव्रता का एक भूकम्प जो मुख्य भूकम्प के बाद हो
भूकम्प (अर्थक्वेक- Earthquake)
पृथ्वी की पपड़ी के एक हिस्से का अचानक फिसलना या खिसकना, जिसके साथ व बाद में कम्पन की एक शृंखला हो।
इपिसेन्टर (उपरिकेन्द्र)
पृथ्वी की सतह पर उस दोष बिन्दु के सीधे ऊपर वह जगह जहाँ भूकम्प के लिए टूटना शुरू हुआ। एक बार दोष का फिसलना आरम्भ हो जाए, उसके बाद वह भूकम्प के दौरान दोष के साथ फैलता है और रोकने से पहले सैकड़ों मील तक विस्तारित हो सकता है।
फ़ॉल्ट (दोष)
वह फ्रैक्चर जिसके दोनो ओर एक भूकम्प के दौरान विस्थापन हुआ है। एक गम्भीर भूकम्प में फिसलने की सीमा एक इन्च से लेकर 10 गज से अधिक हो सकती हैं।
तीव्रता (Magnitude - मैग्निट्यूड)
एक भूकम्प के दौरान उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा, जिसकी गणना भूकम्पीय तरंगों के आयाम से की जाती है। रिक्टर स्केल पर 7.0 की तीव्रता एक अत्यन्त तीव्र भूकम्प को इंगित करती है। इस पैमाने पर प्रत्येक पूर्ण संख्या उससे पिछली पूर्ण संख्या द्वारा दर्शाई गई उत्सर्जित ऊर्जा में लगभग 30 गुना वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए, 6.0 माप वाला एक भूकम्प, 5.0 माप के भूकम्प की तुलना में 30 गुना अधिक शक्तिशाली होता है।
भूकम्पीय तरंगें (Seismic waves - सीज़्मिक वेव्स)
वे कम्पन जो भूकम्पीय दोष से बाहर की ओर कई मील प्रति सेकेन्ड की गति से चलते हैं। हालाँकि एक संरचना के सीधे नीचे के दोष का खिसकना काफी नुकसान कर सकता है, भूकम्पीय तरंगों के कम्पन भूकम्प के दौरान अधिकांश विनाश करते हैं।
स्रोत :
1- बीबीसी हिन्दी के आलेख
1- प्रभात खबर के आलेख -‘ये भूकम्प जगाने के लिए आते हैं’ से साभार
2- ‘विकासपीडिया पोर्टल’ से साभार