(क) असंपिंडित खंडज (Clastic) निक्षेप जिसके कणों का साइज़ 1/256 मि.मी. से कम होता है।
(ख) अत्यन्त सूक्ष्म गठन का एक मटियारा निक्षेप जो गीला होने पर प्रायः प्लास्टिक होता है और गरम करने पर कठोर तथा अश्मवत् हो जाता है। रसायनतः इसकी विशेषता यह है कि इसमें ऐलुमिना के जलीय सिलिकेट प्रचुर मात्रा में होते हैं तथा साथ ही साथ फेल्सपार, विभिन्न सिलिकेट, क्वार्टज़ एवं कार्बोनेट और लोहमय तथा जैव पदार्थ विचरणशील मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इसके घटकों का कुछ अनुपात प्रायः कोलाइडी अवस्था में रहता है और तब यह अकोलाइडी पदार्थों के कणों तथा पत्रकों के प्रति एक स्नेहक के रूप में कार्य करता है।
1. मृदा कण वर्ग जिनके कणों का तुल्य व्यास 0.002 मि.मि. से कम होता है।
2. असंपिंडित खंडन निक्षेप जिसके कणों का साइज 1/256 मि.मि. से कम होता है।
3. अत्यंत सूक्ष्म गठन का एक मटियारा निक्षेप जो गीला होने पर प्रायः प्लास्टिक होता है और गर्म करने पर कठोर तथा अश्मवत हो जाता है। सामान्यतः इसकी विशेषता यह है कि इसमें ऐलुमिना के जलीय सिलिकेट प्रचुर मात्रा में होते हैं तथा साथ ही साथ फेल्सपार, विभिन्न सिलिकेट,र्क्वाट्ज एवं कार्बोनेट और लोहमय तथा जैव पदार्थ विचरणशील मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इसके घटकों का कुछ अनुपात प्रायः कोलाइडी अवस्था में रहता है। और तब यह अकोलाइडी पदार्थों के कणों तथा पत्रकों के प्रति एक स्नेहक के रूप में कार्य करता है।
4. 2 स्गिमा से छोटे सर्वाधिक क्रियाशील पृष्ठवाले मृदा कण।
(ख) अत्यन्त सूक्ष्म गठन का एक मटियारा निक्षेप जो गीला होने पर प्रायः प्लास्टिक होता है और गरम करने पर कठोर तथा अश्मवत् हो जाता है। रसायनतः इसकी विशेषता यह है कि इसमें ऐलुमिना के जलीय सिलिकेट प्रचुर मात्रा में होते हैं तथा साथ ही साथ फेल्सपार, विभिन्न सिलिकेट, क्वार्टज़ एवं कार्बोनेट और लोहमय तथा जैव पदार्थ विचरणशील मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इसके घटकों का कुछ अनुपात प्रायः कोलाइडी अवस्था में रहता है और तब यह अकोलाइडी पदार्थों के कणों तथा पत्रकों के प्रति एक स्नेहक के रूप में कार्य करता है।
1. मृदा कण वर्ग जिनके कणों का तुल्य व्यास 0.002 मि.मि. से कम होता है।
2. असंपिंडित खंडन निक्षेप जिसके कणों का साइज 1/256 मि.मि. से कम होता है।
3. अत्यंत सूक्ष्म गठन का एक मटियारा निक्षेप जो गीला होने पर प्रायः प्लास्टिक होता है और गर्म करने पर कठोर तथा अश्मवत हो जाता है। सामान्यतः इसकी विशेषता यह है कि इसमें ऐलुमिना के जलीय सिलिकेट प्रचुर मात्रा में होते हैं तथा साथ ही साथ फेल्सपार, विभिन्न सिलिकेट,र्क्वाट्ज एवं कार्बोनेट और लोहमय तथा जैव पदार्थ विचरणशील मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इसके घटकों का कुछ अनुपात प्रायः कोलाइडी अवस्था में रहता है। और तब यह अकोलाइडी पदार्थों के कणों तथा पत्रकों के प्रति एक स्नेहक के रूप में कार्य करता है।
4. 2 स्गिमा से छोटे सर्वाधिक क्रियाशील पृष्ठवाले मृदा कण।
अन्य स्रोतों से
सूक्ष्म गठित सुघट्य (प्लास्टिक) अवसादी शैल जो पंक (कीचड़) के संहनन से व्युत्पन्न होता है। इसमें मुख्यतः जल युक्त एल्युमिनियम सिलिकेट पाए जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार के फैल्सपैथी शैलों के अपक्षय (weathering) एवं विघटन (decomposition) से उत्पन्न होते हैं।
शब्द रोमन में
Mrithika, chiknai mitti