Cycle of erosion in Hindi (अपरदन चक्र)

Submitted by Hindi on Mon, 04/05/2010 - 13:28

अपरदन चक्रः
वह कालांतराल जिसमें मैदान या पर्वत रूप में नव-उत्थित भूमि की सतह कटकर या घिसकर निम्नतम तल के बराबर आ जाती है।

अपरदन की विभिन्न अवस्थाओं का ऐसा चक्र जिसमें से गुजर कर उत्थित भूखंड समतलप्राय (peneplain) हो जाते हैं। इसमें भिन्न-भिन्न तीन मुख्य अवस्थाएं होतीं हैः-युवावस्था, प्रौढ़वस्था तथा जीर्णोवस्था।

अन्य स्रोतों से
किसी भौतिक भू-दृश्य का परिवर्तन, जो प्राकृतिक कारकों की क्रियाओं के परिणामस्वरूप एक प्रगामी अनुक्रम में क्रमबद्ध रूप में होता है। पूर्ण परिकल्पित चक्र के अंतर्गत भूमि ऊपर उठती है और अपरदन के परिणामस्वरूप युवा, प्रौढ़ एवं वृद्ध अवस्थाओं को पार करती हुई एक लक्षणहीन मैदान के रूप में परिवर्तित हो जाती है।