9 नवंबर 2013, मढ़ियाकमल, हटा, दमोह। मढ़ियाकमल के संतोष पटेल ने पिछले वर्ष ही बहुत सुंदर तालाब बनाया है। अब तालाब दो एकड़, 7-8 फीट गहरा सोने का कुंभ बन गया है। उन्होंने जहां तालाब बनाया है, वहां उनकी 22 एकड़ खेती है, जो तालाब से पहले असिंचित ही थी।
तालाब बनाने से पहले तीन कुएं भी खोद रखे हैं। पर पानी पूरा नहीं पड़ता था। कुएं 24 घंटे पानी नहीं देते थे। पर जब से तालाब बनाया है। अब कुएं लगातार पानी देते हैं।
आपने तालाब ही क्यों बनाया, कोई गहरा ट्यबवेल भी खोद सकते थे?
संतोष पटेल बताते हैं कि पास ही बने देवेन्द्र पटेल के तालाब से सीख ली। उनका अनाज पहले ट्रैक्टरों से जाता था, पर तालाब के बाद ट्रकों से जाने लगा। उनके तालाब से सीख ली, और तालाब बनाने का निर्णय किया। ट्यबवेल तो बना नहीं सकता था क्योंकि हमें पता था कि कुंओं में ही जब पानी ठीक से उपलब्ध नहीं है तो ट्यबवेल में कहां मिलेगा।
पहले निजी साधन ट्रैंक्टर में आवश्यक उपकरणों का जुगाड़ कर तालाब बनाना प्रारंभ किया और लगभग 1 एकड़ में 5 फीट गहराई तक तालाब खोद ड़ाला, परंतु मन की इच्छा पूरी नही हुई और एक जेसीबी, 5 ट्रैक्टर किराये पर लेकर खुदाई की। 2 एकड़ में 7-8 फीट गहराई का तालाब बनाया जिसमें लगभग 1 लाख 60 हजार रुपये की लागत आई।
मेहनत रंग लाई और आज 22 एकड़ में सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी हो गया है। साथ ही तालाब बनने से अन्य किसानों व स्वयं के एक कुएं में पानी की धार आ गई और अपनी सिंचाई के साथ छोटे किसानों को भी तालाब का फायदा होने लगा।
तालाब बनाने में हुये निवेश की वापसी के बारे में पूछने पर संतोष पटेल बड़ी उत्सुकता से कहने लगे कि हमारे तालाब से सिंचाई का पहला साल ही है और इसी वर्ष की चने की फसल से ही पूरा निवेश निकल आयेगा और आगे फसल से होने वाले फायदे से तालाब के विस्तारीकरण का काम जारी रहेगा।
संपर्क –
संतोष पटेल, मढ़ियाकमल, हटा, दमोह।
तालाब बनाने से पहले तीन कुएं भी खोद रखे हैं। पर पानी पूरा नहीं पड़ता था। कुएं 24 घंटे पानी नहीं देते थे। पर जब से तालाब बनाया है। अब कुएं लगातार पानी देते हैं।
आपने तालाब ही क्यों बनाया, कोई गहरा ट्यबवेल भी खोद सकते थे?
संतोष पटेल बताते हैं कि पास ही बने देवेन्द्र पटेल के तालाब से सीख ली। उनका अनाज पहले ट्रैक्टरों से जाता था, पर तालाब के बाद ट्रकों से जाने लगा। उनके तालाब से सीख ली, और तालाब बनाने का निर्णय किया। ट्यबवेल तो बना नहीं सकता था क्योंकि हमें पता था कि कुंओं में ही जब पानी ठीक से उपलब्ध नहीं है तो ट्यबवेल में कहां मिलेगा।
पहले निजी साधन ट्रैंक्टर में आवश्यक उपकरणों का जुगाड़ कर तालाब बनाना प्रारंभ किया और लगभग 1 एकड़ में 5 फीट गहराई तक तालाब खोद ड़ाला, परंतु मन की इच्छा पूरी नही हुई और एक जेसीबी, 5 ट्रैक्टर किराये पर लेकर खुदाई की। 2 एकड़ में 7-8 फीट गहराई का तालाब बनाया जिसमें लगभग 1 लाख 60 हजार रुपये की लागत आई।
मेहनत रंग लाई और आज 22 एकड़ में सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी हो गया है। साथ ही तालाब बनने से अन्य किसानों व स्वयं के एक कुएं में पानी की धार आ गई और अपनी सिंचाई के साथ छोटे किसानों को भी तालाब का फायदा होने लगा।
तालाब बनाने में हुये निवेश की वापसी के बारे में पूछने पर संतोष पटेल बड़ी उत्सुकता से कहने लगे कि हमारे तालाब से सिंचाई का पहला साल ही है और इसी वर्ष की चने की फसल से ही पूरा निवेश निकल आयेगा और आगे फसल से होने वाले फायदे से तालाब के विस्तारीकरण का काम जारी रहेगा।
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संतोष पटेल, मढ़ियाकमल, हटा, दमोह।