मध्य प्रदेश सरकार ने यह स्वीकार किया है कि बनाओ, चलाओ और सौंपो (बीओटी) मॉडल पर बनी राज्य की पहली निजी औद्योगिक जल आपूर्ति परियोजना की हालत ठीक नहीं है। इस परियोजना को लगाने और चलाने वाली कंपनी एमएसके प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड राजधानी भोपाल से 148 किलोमीटर दूर देवास औद्योगिक क्षेत्र में जरूरी पानी की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं है। इस परियोजना के लिए देवास से 128 किलोमीटर दूर नेमावर गांव से पानी नर्मदा नदी से लिया जाता है और फिर इसे पाइपलाइन से देवास औद्योगिक क्षेत्र में पहुंचाया जाता है। वैसे कंपनी का कहना है कि वह तो पर्याप्त पानी की आपूर्ति कर ही रही है लेकिन औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियां उपलब्ध पानी नहीं ले रही हैं। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कंपनी ने 2009 के अक्टूबर से लेकर 2010 के मार्च तक औसतन 3 एमएलडी पानी की आपूर्ति की है। इसमें से मार्च के महीने में कंपनी ने औसतन 6.06 एमएलडी पानी की आपूर्ति की।
एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हमने पाया है कि परियोजना में कुछ खामियां और तकनीकी समस्याएं हैं। कंपनी ने जल आपूर्ति जीआरवी पाइपों का इस्तेमाल नहीं किया है। इस वजह से आपूर्ति पाइपों के फटने और पाने के रिसाव का खतरा बना हुआ रहता है। कंपनी अधिकारियों के साथ आखिरी बैठक में हमने कंपनी को आपूर्ति और पाइपलाइन का स्तर जल्द से जल्द सुधारने को कहा है। हमें उम्मीद है कि इन मसलों को जल्द सुलझा लिया जाएगा।' हालांकि, कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र को पर्याप्त पानी की आपूर्ति की जा रही है लेकिन समस्या यह है कि कुछ स्थानीय लोगों ने कहीं-कहीं पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाया है और कंपनियां भी पहले से किए गए वायदे के मुताबिक पानी नहीं ले रही हैं।
कंपनी द्वारा सौंपे आंकड़ों के मुताबिक एमएसके और देवास औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियों के बीच जल आपूर्ति से संबंधित 144 समझौतों पर दस्तखत किए गए। इसके तहत कंपनी को 10.47 एमएलडी पानी की आपूर्ति करनी है। जबकि इस परियोजना की क्षमता 23 एमएलडी जल आपूर्ति की है। कंपनी ने 109 उद्योगों को हर रोज 7,044.32 किलोलीटर पानी की आपूर्ति की है। अभी भी कुछ और उद्योगों को हर रोज 2,173.30 किलोलीटर जल की आपूर्ति की जानी है। परियोजना से जुड़े एक सरकारी सूत्र ने बताया कि देवास औद्योगिक क्षेत्र को जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए काफी पैसा और समय लगेगा।
Source
बिजनेस स्टैंडर्ड, 22 मई 2010