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दैनिक भास्कर ईपेपर, 11 अक्टूबर 2011
सरकार ने 19 मई, 2001 को नजफगढ़, शाहदरा व अन्य नालों पर अवरोध बनाने की पास की थी योजना, दिल्ली में यमुना होती है सबसे ज्यादा प्रदूषित
दिल्ली के लगभग 70 फीसदी लोगों की प्यास बुझाने वाली यमुना नदी को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। शायद यही वजह है कि इसे साफ-सुथरा बनाने के लिए सरकार ने दस साल पहले जो योजना बनाना शुरू की थी, वह अब तक तैयार नहीं हो सकी है। सरकार के इस रवैये के कारण ही नदी को गंदगी मुक्त नहीं किया जा सका है।
नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार ने 19 मई, 2001 को नजफगढ़, शाहदरा व अन्य नालों पर अवरोध बनाने की योजना पास की थी। इस बाबत 1357 करोड़ रुपए भी स्वीकृत किए गए थे, पर दस साल बाद भी योजना प्लानिंग स्टेज में ही है। लोक निर्माण समिति के अध्यक्ष जगदीश ममगांई का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान सामाजिक संस्थाओं में नदी को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर जागरुकता तो आयी है, पर सरकारी स्तर पर पुख्ता इंतजाम नहीं हो सका है। आंकड़ों के मुताबिक राजधानी के 48 किलोमीटर हिस्से में यमुना नदी प्रवाहित होती है। इसमें से वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला तक लगभग 22 किलोमीटर के बीच नदी सर्वाधिक प्रदूषित हो जाती है।
महज नजफगढ़ नाले से ही नदी में 60 फीसदी गंदगी प्रवाहित होती है। हालांकि नदी में समाहित होने वाले विभिन्न नालों पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। इसके बावजूद अभी भी 10 हजार लीटर सीवेज बगैर शोधित किए ही नदी में प्रवाहित होता है। पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन के दौरान दिल्ली सरकार से लेकर केन्द्र सरकार के आला अधिकारी यमुना को लेकर खासे चिंतित थे, पर अनेक कोशिशों के बावजूद इसको प्रदूषण मुक्त नहीं किया जा सका। हालांकि आयोजन से महज एक महीने पहले आयी बाढ़ और बारिश की वजह से नदी प्रदूषण मुक्त हो गई। यही वजह थी कि विदेशी सैलानियों को यमुना साफ व स्वच्छ दिखी। इस साल भी जुलाई से सितंबर महीने के बीच अच्छी बारिश हो जाने की वजह से यह साफ दिखी, पर बारिश समाप्त होने के महज 10 दिनों के अंदर एक बार फिर प्रदूषण का शिकार हो गई। यमुना जीए अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा का कहना है कि बारिश के बाद हथनीकुंड से बहुत कम पानी छोड़ा जाता है, जिसकी वजह से यह समस्या शुरू हो जाती है।
यमुना नदी के आसपास बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध कब्जे व निर्माण से इसका अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। इन दिनों नोएडा से ओखला तक और फिर उसके आगे यमुना के तट पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण जारी है। एमसीडी में निर्माण समिति के अध्यक्ष जगदीश ममगांई ने इस पर चिंता जताते हुए मामले में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से तत्काल संबंधित विभागों को कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की है। ममगांई ने कहा कि यदि इन अवैध निर्मित इमारतों में कोई हादसा होता है तो इसके लिए दिल्ली सरकार स्थानीय निकाय एमसीडी को दोषी ठहराती है, जबकि इस मामले में दिल्ली सरकार से संबंधित एजेंसियों की लापरवाही होती है।
दिल्ली के लगभग 70 फीसदी लोगों की प्यास बुझाने वाली यमुना नदी को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। शायद यही वजह है कि इसे साफ-सुथरा बनाने के लिए सरकार ने दस साल पहले जो योजना बनाना शुरू की थी, वह अब तक तैयार नहीं हो सकी है। सरकार के इस रवैये के कारण ही नदी को गंदगी मुक्त नहीं किया जा सका है।
नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार ने 19 मई, 2001 को नजफगढ़, शाहदरा व अन्य नालों पर अवरोध बनाने की योजना पास की थी। इस बाबत 1357 करोड़ रुपए भी स्वीकृत किए गए थे, पर दस साल बाद भी योजना प्लानिंग स्टेज में ही है। लोक निर्माण समिति के अध्यक्ष जगदीश ममगांई का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान सामाजिक संस्थाओं में नदी को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर जागरुकता तो आयी है, पर सरकारी स्तर पर पुख्ता इंतजाम नहीं हो सका है। आंकड़ों के मुताबिक राजधानी के 48 किलोमीटर हिस्से में यमुना नदी प्रवाहित होती है। इसमें से वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला तक लगभग 22 किलोमीटर के बीच नदी सर्वाधिक प्रदूषित हो जाती है।
महज नजफगढ़ नाले से ही नदी में 60 फीसदी गंदगी प्रवाहित होती है। हालांकि नदी में समाहित होने वाले विभिन्न नालों पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। इसके बावजूद अभी भी 10 हजार लीटर सीवेज बगैर शोधित किए ही नदी में प्रवाहित होता है। पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन के दौरान दिल्ली सरकार से लेकर केन्द्र सरकार के आला अधिकारी यमुना को लेकर खासे चिंतित थे, पर अनेक कोशिशों के बावजूद इसको प्रदूषण मुक्त नहीं किया जा सका। हालांकि आयोजन से महज एक महीने पहले आयी बाढ़ और बारिश की वजह से नदी प्रदूषण मुक्त हो गई। यही वजह थी कि विदेशी सैलानियों को यमुना साफ व स्वच्छ दिखी। इस साल भी जुलाई से सितंबर महीने के बीच अच्छी बारिश हो जाने की वजह से यह साफ दिखी, पर बारिश समाप्त होने के महज 10 दिनों के अंदर एक बार फिर प्रदूषण का शिकार हो गई। यमुना जीए अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा का कहना है कि बारिश के बाद हथनीकुंड से बहुत कम पानी छोड़ा जाता है, जिसकी वजह से यह समस्या शुरू हो जाती है।
यमुना किनारे हो रहा है अवैध निर्माण
यमुना नदी के आसपास बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध कब्जे व निर्माण से इसका अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। इन दिनों नोएडा से ओखला तक और फिर उसके आगे यमुना के तट पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण जारी है। एमसीडी में निर्माण समिति के अध्यक्ष जगदीश ममगांई ने इस पर चिंता जताते हुए मामले में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से तत्काल संबंधित विभागों को कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की है। ममगांई ने कहा कि यदि इन अवैध निर्मित इमारतों में कोई हादसा होता है तो इसके लिए दिल्ली सरकार स्थानीय निकाय एमसीडी को दोषी ठहराती है, जबकि इस मामले में दिल्ली सरकार से संबंधित एजेंसियों की लापरवाही होती है।