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दैनिक भास्कर, 09 मई 2011

यमुना खादर जल संरक्षण के लिए अनुकूल है, क्योंकि काफी रेत है जो पानी को तेजी से संरक्षित कर लेता है। इंजीनियरिंग तकनीकी के जरिए खादर में पानी को पूरी तरह से फैलाया जा सकता है। अगर सिर्फ एक महीने ही खादर में मानसून के पानी को संरक्षित कर दिया जाए तो पूरे साल तक दिल्ली को रोजाना 200 एमजीडी पानी मिल सकता है। खास बात यह है कि इस पानी के उपयोग के लिए किसी बड़े सयंत्र को स्थापित करने की जरूरत भी नहीं है, सिर्फ ट्यूबवेल के जरिए पर्याप्त पानी निकाला जा सकता है। सचिवालय तक पहुंची रिपोर्ट : जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री सचिवालय में भी दिया जा चुका है और इस पर सचिवालय ने जल संशाधन मंत्रालय को काम करने का निर्देश भी दे दिया है। फिलहाल, इस रिपोर्ट पर सेंट्रल वॉटर कमीशन कार्य कर रहा है।
सालाना नौ हजार करोड़ की हो सकती है बचत
यमुना खादर पर रिपोर्ट तैयार करने वाले दीवान सिंह का कहना है कि यदि खादर के पानी का उपयोग किया जाए तो राजधानी में सलाना नौ हजार करोड़ रुपए की धनराशि बचाई जा सकती है और इस बड़ी धनराशि का उपयोग बुनियादी समस्याओं से निजात दिलाने में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रेणुका बांध के निर्माण पर चार हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है, लेकिन इस परियोजना के पूरा होने तक लगभग सात हजार करोड़ खर्च हो जाएंगे। जबकि, इस बांध से महज 240 एमजीडी पानी ही प्राप्त होगा। इसके अलावा, बांध का निर्माण करने के लिए लाखों पेड़ों की बलि भी देनी होगी, जिससे पर्यावरण संतुलन की समस्या खड़ी हो जाएगी।
प्रतिदिन 1100 एमजीडी पानी की है जरूरत
लगभग पौने दो करोड़ दिल्ली वालों का गला तर करने के लिए रोजाना 1100 एमजीडी पानी की जरूरत है, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड फिलहाल 800-850 एमजीडी पानी की ही आपूर्ति कर पाता है, यानि 250 एमजीडी पानी की फिर भी जरूरत रहती है। यदि इस स्टडी रिपोर्ट को अमली जामा पहना दिया जाए तो काफी हद तक पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है।