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नेशनल दुनिया, 23 मई 2013

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाज़ियाबाद में यमुना एवं हिंडन के डूब क्षेत्र में हुआ अवैध निर्माण सिर्फ 10 साल पुराना है। गाजियाबाद के पार्षद और एनजीटी में याचिका दायर करने वाले राजेंद्र त्यागी ने कहा कि सब कुछ अथॉरिटी और प्रशासन की मिली भगत से हुआ है। हिंडन के डूब क्षेत्र में इतनी बड़ी कॉलोनियां बस गईं और अथॉरिटी ने उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं किया। अब प्रशासन राज्य या केंद्र सरकार से आने वाले आदेश का इंतजार कर रहा है।
ग्रेटर नोएडा में हिंडन के डूब क्षेत्र में गांव के किसान कॉलोनी काट रहे हैं। न्यू अशोकनगर के मकरंद कुमार चौधरी ने हैबतपुर में 110 गज का प्लॉट 8,000 रुपए प्रति वर्ग गज की दर से खरीदा है। चौधरी ने कहा, ‘इस समय वहां ज़मीन की कीमत 13,000 रुपए प्रति वर्ग गज तक चल रही है। अथॉरिटी ने पहले भी वहां तोड़ फोड़ की थी और बिजली के ट्रांसफॉर्मर्स हटा दिए थे, लेकिन बाद में सब कुछ वापस आ गया।’
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के एसीईओ हरीश कुमार वर्मा ने कहा कि अवैध निर्माण के मामले पर अथॉरिटी समय-समय पर कार्रवाई करती है और कई बार डूब क्षेत्र में मौजूद निर्माण को तोड़ा गया है। दिल्ली में यमुना के डूब क्षेत्र में 2 दर्जन इलाके शामिल हैं।
डीडीए के एक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘एक तरफ सरकार यमुना के डूब क्षेत्र में बसी कॉलोनियों को नियमित करने की योजना बना रही थी, वहीं एनजीटी ने इन्हें गिराने के आदेश दे दिए हैं।’ दिल्ली में इन कॉलोनियों का रकबा 300 एकड़ से अधिक होने की संभावना है। मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से इन कॉलोनियों में 7,500 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जा चुका है। पूर्वी दिल्ली के एसडीएम (गीता कॉलोनी) संदीप गुलाटी ने नेशनल दुनिया से कहा कि एनजीटी का आदेश आने के बाद अब तक इस बारे में सरकार से आदेश नहीं मिले हैं।
5000 एकड़ से अधिक ज़मीन पर बसी अवैध बस्ती
13,000 करोड़ में बेची गई यमुना के डूब की ज़मीन
50,000 रुपए प्रति वर्ग गज तक बिक रही है दिल्ली के खादर की जमीनें